नयी दिल्ली 10 मई, जमीअत उलमा-ए-हिंद ने केन्द्र सरकार पर तीन तलाक को बेवजह मुद्दा बनाने का अारोप लगाते हुए आज कहा कि इसे उलेमाओं को सौंप दिया जाना चाहिए और उच्चतम न्यायालय को उलेमाओं की राय लेने के बाद ही इस मामले में कोई निर्णय लेना चाहिए। संगठन के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मजहब के मामलों का समाधान मजहब को ही करने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि तीन तलाक के मुद्दे को केन्द्र सरकार बार बार हवा दे रही है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले में राय लेने की बात कहकर राज्य के मुस्लिम समाज में बेचैनी पैदा करने की कोशिश की है। मौलाना मदनी ने कहा कि तीन तलाक के मुद्दे को उलेमाओं को सौंप दिया जाना चाहिए। अगर उलेमा इस मसले का कोई हल नहीं निकाल पाते हैं तब न्यायालय को इसमें दखल देना चाहिए लेकिन ऐसा लगता है कि न्यायालय इसमें दखल देने के लिए पहले से तैयार बैठा है। उन्होंने कहा कि मुसलमान इस मुल्क में हजारों साल से रह रहे हैं लेकिन इतने वर्षों में कभी मुस्लिम महिलाओं पर जुल्म की बात नहीं उठी । अगर उन पर जुल्म होता रहा है तो यह बात अब दबी हुई क्यों थी। ऐसी धारणा बना दी गयी है जैसे हर मुसलमान चार बीवियां रखे हुए है। मौलाना मदनी ने तीन तलाक को एकतरफा बताने की धारणा को गलत बताते हुए कहा कि तलाक के मामले में मुसलमान महिलाओं को भी अधिकार हासिल हैं। अगर वह अपने शौहर से तलाक चाहती है तो काजी के जरिये शौहर से तलाक ले सकती है।
गुरुवार, 11 मई 2017
उच्चतम न्यायालय उलेमाओं से राय लेने के बाद तीन तलाक पर ले निर्णय : मदनी
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