धनबाद 22 जून, झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) सुप्रीमो एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आज आरोप लगाया कि धनबाद-चंद्रपुरा (डीसी) रेलवे लाइन को बंद करने के पीछे बड़ी साजिश है। श्री मरांडी ने डीसी लाइन के बंद होने के विरोध में चंद्रपुरा से धनबाद तक की पदयात्रा के बाद यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला खनन कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) और झारखंड नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (जेआरईडीए) 137 किलोमीटर रेल लाइन को बंद करने की योजना बना रहे हैं और धनबाद-चंद्रपुरा रेलवे लाइन को बंद करना इसी योजना का हिस्सा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1956 के नियम के अनुसार, कोयला खनन कार्य पूर्ण होने के बाद उस जमीन को उसके मालिक को सौंपने का प्रावधान है लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति में कोल इंडिया के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जानी चाहिए। श्री मरांडी ने कहा कि धनबाद-चंद्रपुरा रेलवे लाइन को बंद करने से पहले केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सीआईएमएफईआर) से संपर्क नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में लगी भूमिगत आग पर अनुसंधान करने का अवसर सीआईएमएफईआर को अवश्य दिया जाना चाहिए था। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र की भूमिगत आग के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यदि खाड़ी देश कुवैत के तेल कुओं में आग लगने के बाद उस पर कुछ महीनों में काबू पाया जा सकता है तो देश की इस कोयला नगरी में जमीन के नीचे लगी आग को नियंत्रित क्यों नहीं किया जा सकता। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संबंध में पहल करने की अपील करते हुये कहा कि वैश्विक स्तर की निविदा आमंत्रित कर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। श्री मरांडी ने कहा कि वर्ष 2016 में राज्यसभा चुनाव के दौरान गड़बड़ी हो चुकी है और इस संदर्भ में चुनाव आयोग से पत्र मिलने के बावजूद झारखंड सरकार कोई भी कार्रवाई करने में विफल रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे में मुख्यमंत्री रघुवर दास को इस्तीफा देना चाहिए या विधानसभा को भंग कर दिया जाना चाहिए।
शुक्रवार, 23 जून 2017
धनबाद-चंद्रपुरा रेललाइन बंद करने के पीछे बड़ी साजिश : बाबूलाल
Tags
# झारखण्ड
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
झारखण्ड
Labels:
झारखण्ड
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें