पटना 7 जून, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने मध्यप्रदेश के मंदसौर में 6 जून को भाजपा सरकार द्वारा आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस फायरिंग, जिसमें 5 किसानों की निर्मम हत्या कर दी गयी और कई लोग घायल हुए हैं, की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि आज देश के हरेक हिस्से में किसान आंदोलनरत हैं और मध्यप्रदेश में वे ऐतिहासिक हड़ताल पर हैं. महाराष्ट्र में भी किसान कर्ज की माफी और उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के सवाल पर आंदोलन कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चैहान और उनके मंत्री निर्लज्जता के साथ किसानों को एंटी-सोशल करार दे रहे हैं. इस तरह का झूठ आरएसएस के प्रोपगंडा स्कूल की चारित्रिक पहचान है. मध्य प्रदेश के मंदसौर में स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने, कर्ज माफी, भमि अधिग्रहण कानून-2013 में किये गये बदलाव को वापस लेने जैसे मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों पर की पुलिस फायरिंग सें 5 किसानों की मौत से भाजपा का असली किसान विरोधी-लोकतंत्र विरोधी चेहरा उजागर हुआ है. विगत सप्ताह से ही महाराष्ट्र भी कमोवेश इन्ही मांगो को लेकर आंदोलित है और किसानों का आंदोलन तेजी से फैलता जा रहा है. स्वामीनाथन कमटी की सिफारिशों में सबसे महत्वपूर्ण बात किसानों की फसल की लागत मूल्य का निर्धारण कर उसमें 50 फीसदी जोड़ कर सरकार द्वारा खरीद की गारण्टी किया जाना है. किसानों की बदहाली और आत्महत्याओं में बेहताशा बढ़ोतरी के मद्देनजर साथ ही देश के विकास के लिए भी जरूरी था कि इन सिफारिशों को लागू किया जाता, परन्तु कांगे्रस ने लागू नहीं किया और लोक सभा चुनाव में अपने प्रचार अभियान में मोदी जी ने इसका वायदा किया था। परन्तु आज हम सभी जानते हैं कि पूरे देश में हालात् बद से बदतर होते जा रहे हैं, नोटबंदी से रही सही कसर भी पूरी कर दी थी। भाकपा-माले किसानों के आदंोलन का पूरी तरह समर्थन करता है और न्यूनतम समर्थन मूल्य, कर्ज की माफी और स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट को लागू करने की मांग की करती है.
सीपीएम दफ्तर में घुसकर सीपीएम महासचिव के साथ हाथापाई की कोशिश शर्मनाक.
भाकपा-माले ने आज दिल्ली स्थित सीपीआईएम के कार्यालय में घुसकर सीपीआईएम के महासचिव काॅ. सीताराम येचुरी के साथ-साथ हाथापाई, बदतमीजी, उनके प्रेस कांफ्रेस को बाधित करने की घटना की कड़ी आलोचना की है. अपने बयान में पार्टी ने कहा है कि आरएसएस की गुंडावाहिनी लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने पर तुली हुई है और अपने विरोधियों व खासकर वामपंथी नेताओं-कार्यकर्ताओं को अपना निशाना बना रही है. यह देश के लोकतांत्रिक समाज के लिए बेहद खतरनाक है.
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