भाजपा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य केवल चुनावी जुमला : लालू - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 8 जून 2017

भाजपा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य केवल चुनावी जुमला : लालू

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पटना 07 जून, राष्ट्रीय जनता दल (राजद)के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने मध्यप्रदेश के मंदसौर में छह किसानों की पुलिस फायरिंग में हुई मौत की आज कड़ी निंदा करते हुए कहा कि किसानों को लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत लाभ दिये जाने का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए भले ही एक चुनावी जुमला हो लेकिन आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर रहने वालों के लिए यह जीवन-मरण का प्रश्न है।  श्री यादव ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर अपनी टिप्पणी में कहा कि मंदसौर में अपनी जायज मांग उठाने वाले छह किसानों को मौत के घाट उतार दिया गया। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में किसानों की दयनीय स्थिति तथा व्यथा को इससे भला बेहतर और क्या प्रदर्शित कर सकता है कि वे स्वयं अपनी ही उपज, जिसे किसान अपनी संतान की तरह खून पसीने से सींचता है उसे ही हताशा में सड़कों पर फेंक रहे थे तथा दूध बहा रहे थे। राजद अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा का ही चुनावी वायदा था की किसानों की कुल लागत पर 50 प्रतिशत अपनी ओर से जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के रूप में देंगे । यह भाजपा के लिए मात्र एक चुनावी रणनीति या जुमला हो सकता है लेकिन यह देश के गरीब एवं मजबूर अन्नदाता के लिए जीवन और मरण का प्रश्न है। उन्होंने कहा कि देश की 70 प्रतिशत आबादी अपने जीविकोपार्जन के लिए कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों पर ही निर्भर है । 


श्री यादव ने कहा कि ऐसे में कोई स्वयं को प्रधान सेवक (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) कहने वाले व्यक्ति देश की आबादी के इतने बड़े हिस्से की अनदेखी कैसे कर सकता है। भाजपा के बादशाह इतने निष्ठुर न बनें कि 15 दिनों से हताश किसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन को समझने के लिए चंद पल निकल नहीं सकते। दूर दूसरे देश में एक आदमी मरता है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इतनी पीड़ा होती है कि उनकी उंगलियां अपने ही स्मार्टफोन पर नाचकर ट्वीट के माध्यम से उनकी पीड़ा जाहिर करते हैं। राजद अध्यक्ष ने कहा कि श्री मोदी के लोक कल्याण मार्ग स्थित सरकारी आवास से चंद मीटर दूर हजारों किलोमीटर की यात्रा करके आये तमिलनाडु के किसान कभी सड़क पर परोस कर भोजन खा रहे थे, कभी मूत्र पी रहे थे तो चूहे मुंह में दबाये अपने दुर्भाग्य पर छाती पीट रहे थे लेकिन आपके कानों में भूखे किसानों के बच्चों की कराह नहीं गयी। जब लोक ही नहीं रहेंगे तो किसका कल्याण और कैसा नामकरण । उन्होंने कहा कि जब किसान नहीं रहेगा, उसका बच्चा नहीं रहेगा तो कौन फौज में जाकर सीमा पर अपने सीने में गोलियां खायेगा। किसी पूंजीपत्ति का बेटा तो नहीं जायेगा। श्री यादव ने कहा कि किसकी बहादुरी के दम पर हुए सर्जिकल स्ट्राइक पर सियासी रोटी गरम करेंगे। गरीब का क्या है, किसान रहे या जवान, विवश होकर आपके ही चुनावी बहकावे या सियासी उकसावे में आयेगा। हर साल हजारों की संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं लेकिन केन्द्र सरकार के माथे पर कोई शिकन नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यापक तौर पर किसानों के लिए कर्ज माफी की जाये । इसी तरह सिंचाई के लिए नहरों का जाल हो और उसके अभाव में सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली की व्यवस्था हो । किसानों की दशा पर ही तरक्की की नींव टीकी हुई है । 

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