पटना 14 जून, इंटर परीक्षा में हुई धांधली के खिलाफ पिछले 12 जून से इंटर काउंसिल के गेट पर 8 वामपंथी छात्र-युवा संगठनों के चल रहे अनिश्चितकालीन अनशन के प्रति बिहार सरकार और इंटर काउंसिल का प्रशासन रवैया बेहद संवेदनहीन है. गर्मी के मौसम में अनशनकारियों की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. बिहार सरकार की इस संवेदनहीनता की कड़ी आलोचना करते हुए माले राज्य सचिव कुणाल ने सरकार से मांग की है कि साढ़े आठ लाख इंटर के परीक्षाथिर्यों के हित में अनशनकारियों से वार्ता करे और उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करे. उन्होंने कहा कि अब जब यह बात खुलकर सामने आ गयी है कि इंटर की कापियों की जांच में खुलकर धोखाधड़ी हुुई है और अयोग्य लोगों से काॅपियों जंचवायी गयी है, ऐसी स्थिति में बिहार सरकार का तत्परता से पुनर्मुल्याकंन की घोषणा कर देनी चाहिए थी. क्योंकि पूरा परीक्षाफल संदेह के घेरे में आ गया है. इन काॅपियों की पुनः जांच के लिए छात्र आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उलटे उनका दमन कर रही है. यह दिखलाता है कि शिक्षा के प्रति नीतीश सरकार का रुख बेहद गैरजिम्मेदाराना है. जिस प्रकार से भूमि के अतिमहत्वपूर्ण सवाल से नीतीश सरकार ने किनारा कर लिया है, शिक्षा का भी सवाल उसके लिए गौण विषय है. शिक्षा को सरकार ने धंधा बना दिया है. पिछले साल टाॅपर घोटाला हुआ और इस बार के शिक्षा घोटाले ने तो सरकार की पूरी असलियत खोल दी है. साढ़े आठ लाख बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. छात्र न्याय मांगने जाते हैं, तो उनपर लाठियां चलती हैं. यह कहां का सामाजिक न्याय है?
बुधवार, 14 जून 2017
अनशन पर बैठे छात्रों से वार्ता करे सरकार : कुणाल
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