खनन विभाग की मिलीभगत से प्रतिदिन फल-फूल रहा है शिकारीपाड़ा में अवैध पत्थर उत्खनन का गोरखधंधा। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 6 जून 2017

खनन विभाग की मिलीभगत से प्रतिदिन फल-फूल रहा है शिकारीपाड़ा में अवैध पत्थर उत्खनन का गोरखधंधा।

खनन विभाग, झारखण्ड प्रदूषण नियंत्रण परिषद् के क्षेत्रीय कार्यालय, वन विभाग, थाना व अंचल की मिलीभगत से अवैध पत्थर खनन का कारोबार दिन-दूनी, रात-चैगुनी तरक्की की ओर अग्रसर। खनन विभाग के नियमों की खुलकर धज्जियाँ तो उड़ाई जा रही। पत्थर खदान मालिकों से अवैध पत्थर उत्खनन के लिये प्रतिमाह खनन विभाग द्वारा वसूली जा रही 30-30 हजार रुपये की राशि। 





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दुमका (अमरेन्द्र सुमन), उप राजधानी दुमका का प्रखण्ड शिकारीपाड़ा पत्थर उद्योग के रुप में संताल परगना प्रमण्डल का रुर माना जाता है। इस क्षेत्र का स्टोनचिप्स उत्तम किस्म का तो होता ही है, इसकी सर्वाधिक मांग प0 बंगाल, बिहार व उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में है जो लगातार बढ़ती ही जा रही है। अवैध खदानो के परिचालन में इसकी इसी वजह से अनाप-शनाप पैसों की बोली भी लगाई जाती है। दूर-दूर से लोग शिकारीपाड़ा प्रखंड के विभिन्न वनप्रांतर इलाकों में मोटी रकम लगाकर खदान चलाने का गैरवाजिब प्रयास भी करते रहे हैं। प्राप्त सूचना के अनुसार प्रखण्ड के अलग-अलग पंचायतों के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ वैध पत्थर खदानों के अलावे दो सौ से अधिक ऐसे पत्थर खदान संचालित है, जो पूरी तरह अवैध हैं। न तो उपरोक्त खदान मालिकों के पास कोई बैध लाईसेंस होता है और न ही पर्यावरण विभाग द्वारा इन्हे उक्त कार्यार्थ कोई आदेश ही दिया जाता है तथापि खनन विभाग, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन विभाग, थाना व अंचल की मिलीभगत से अवैध पत्थर खदानों का कारोबार दिन-दूनी, रात-चैगुनी तरक्की की ओर अग्रसर देखा जा रहा है। खनन विभाग के नियमों की खुलकर धज्जियाँ तो उड़ाई जा रही। झारखण्ड-बंगाल सीमा से लगे होने के कारण स्टोन चिप्स की तस्करी भी व्यापक पैमाने पर लगातार जारी है। प0 बंगाल के पत्थर व्यवसायियों द्वारा इस काम को बड़े पैमाने पर अंजाम दिया जा रहा है। न तो इन्हें खनन विभाग, वन विभाग, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व जिला व प्रशासन का कोई भय रह गया है। पत्थर माफिया राज्य सरकार का मुँह भी चिढ़ाने से चूक नहीं रहे। जिला खनन पदाधिकारी, व खनन विभाग के अन्य अधिकारी-कर्मचारियों की पूरी टीम की संलिप्तता भी इस क्रम में खूब देखी जा रही है। यह गोरखधंधा वर्षों से दुमका में एक परंपरा की तरह चलता आ रहा है। राज्य की वर्तमान भाजपा सरकार के मुखिया रघुवर दास ईमानदारी पूर्वक प्रशासन चलाने की बातें करते हैं किन्तु उन्हीं के प्रशासन में आदिवासियों-दलितों तथा अन्य शोषित, पीड़ित तबकांे को उनके अधिकार से बेदखल किया जा रहा है। ईमानदारी पूर्वक प्रशासन चलाने के मुख्यमंत्री के दावे दुमका में खोखले नजर आ रहे हैं। अवैध रुप से मोटी रकम की कमाई के लिये वर्तमान जिला खनन पदाधिकारी, दुमका ने खनन माफियाओं को खुली छूट दे रखी है। एक जानकारी के अनुसार एक पत्थर खदान मालिक से अवैध पत्थर उत्खनन के लिये प्रतिमाह जिला खनन पदाधिकारी द्वारा 30-30 हजार रुपये की राशि निर्धारित कर दी गई है जिसे देने के लिये वे बाध्य होते हैं। वर्तमान जिला खनन पदाधिकारी द्वारा पिछला रिकाॅर्ड तोड़ते हुए प्रत्येक पत्थर खनन कारोबारियों से बतौर अग्रिम दो-दो माह की राशि (अर्थात 60-60 हजार रुपये) इस कार्यालय में अपने पदस्थापना के बाद ही वसूल लिये गए। शिकारीपाड़ा प्रखण्डवासी प्रकाश मंडल ने राज्यपाल, झारखण्उ को आवेदन देकर इस पूरे गोरखधंधे के पर्दाफाश का आवेदन किया है। श्री मंडल के अनुसार खनन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को खुश रखने के लिये बिचैलिया के रुप में एक अवैध पत्थर खनन कारोबारी मानिक बागड़ी बड़ी भूमिका निभा रहा हैं। राजस्थान के मेवाड़ का रहने वाला यह आदमी दुमका में ऐसा फल-फूल रहा है जो कहने वाली बात नहीं। एक-एक अवैध पत्थर खनन कारोबारियों से इस व्यक्ति के द्वारा जिला खनन पदाधिकारी के नाम पर  30-30 हजार रुपये की वसूली की जाती है। अपने कारोबार को निर्वाध बनाए रखने के लिये जिला खनन पदाधिकारी के लिये यह व्यक्ति बिचैलिया की भूमिका निभा रहा है। श्री मंडल के अनुसार पिछले दिनों शिकारीपाड़ा प्रखण्ड के कुलकुली डंगाल, गोसाइ्रपहाड़ी, काठपहाड़ी, रामजाम, चितरागड़िया, बेनागड़िया, पिनरगड़िया व अन्य स्थानों पर गोचर व वनभूमि पर अवैध पत्थर खनन से संबंधित कई अलग-अलग व्यक्तियों ने मुख्य सचिव व खनन सचिव, झारखण्ड तथा मुख्यमंत्री को आवेदन दिया गया था। अभी तक उपरोक्त पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वर्तमान जिला खनन पदाधिकारी, दुमका द्वारा प्रतिमाह (30-30 हजार रुपये गुणा दो सौ पच्चास पत्थर खदान) इस तरह 75 लाख रुपये प्रतिमाह की मोटी कमाई की जा रही है। प्रतिवर्ष एक डीएमओ लगभग 4 करोड़ रुपये की कमाई करते हैं। अवैध पत्थर मालिक मानिक बागड़ी के सात-आठ अवैध पत्थर खदान संचालित है। ंजिला खनन पदाधिकारी के लिये पैसों की वसूली कर मानिक बागड़ी ही उनके गन्तव्य स्थानों तक पैसे पहुँचाने का काम करता हैं। इससे पूर्व सहायक खनन पदाधिकारी, दुमका सुरेश शर्मा से दुमका पुलिस ने एक गुप्त सूचना के आधार पर देवघर ले जाते हुए उनके वाहन से 8 लाख 15 हजार रुपये नकद राशि की धड़पकड़ की थी, मानिक बागड़ी ने पुलिस के समक्ष यह स्वीकार किया था कि उपरोक्त रकम में 5 लाख रुपये उसके थे। सहायक खनन पदाधिकारी सुरेश शर्मा के ड्राईवर को इतनी मोटी राशि देवघर पहुँचाने की बात भी उसने स्वीकारी थी।  दुमका पुलिस ने इस मामले को एसीबी को सुपुर्द कर दिया था जिसकी जानकारी एक आरटीआई एक्टिविस्ट को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विपुल शुक्ला ने दी थी। शिकारीपाड़ा प्रखण्डवासी मंडल ने राज्यपाल झारखण्ड से अपने आवेदन के माध्यम से अनुरोध करते हुए लिखा है कि वर्तमान जिला खनन पदाधिकारी व इस विभाग के कुछ तथाकथित कर्मचारी जो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं का स्थानान्तरण दुमका से अन्य स्थानों के लिये करते हुए खनन बिचैलिया मानिक बागड़ी एवं ऐसे अनेक अवैध पत्थर खनन कारोबारियों के विरुद्ध ठोस कानूनी कार्रवाई की जाए जिसकी वजह से वैध खदान मालिक भी भ्रष्टाचार के घेरे में आ जाते हैं जिनका दोहन प्रतिमाह पूरे बेरुखी से किया जाता है। अपने आवेदन में श्री मंडल ने अवैध पत्थर खदानों पर प्रतिबंध की बातें भी लिखी है। 

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