नयी दिल्ली 05 जून, भारत ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान पर आज सख़्ती से खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई के नाम पर भारत अरबों रुपये उगाहेगा, भारत ने साफ किया कि उसने पेरिस समझौते पर किसी भय, दबाव या लोभ में आकर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने मंत्रालय की तीन साल की उपलब्धियों का विवरण देने के लिये यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भारत ने पेरिस समझौते पर किसी भय, दबाव या लोभ में आकर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। श्री ट्रंप के पेरिस समझौते से हटने की घोषणा और जलवायु परिवर्तन आर्थिक मदद को लेकर भारत पर टिप्पणी के बाद पहली बार भारत की यह सीधी प्रतिक्रिया आयी है। श्रीमती स्वराज ने कहा कि पेरिस समझौते को लेकर भारत की प्रतिबद्धता अक्षुण्ण रहेगी चाहे अमेरिका उसमें रहे या नहीं रहे। पर्यावरण एवं प्रकृति का संरक्षण भारत की 5000 साल पुरानी संस्कृति में निहित है। उन्होंने कहा, “ यह आज की प्रतिबद्धता नहीं है। हमारी प्रतिबदद्धता 5000 साल की है। नदियों और वृक्षों की पूजा, यह भारतीय सांस्कृतिक धरोहर है। इसलिए कोई कहे कि दबाव या पैसे के लेकर हस्ताक्षर किए तो मैं ये आरोप खारिज करती हूं।” विदेश मंत्री ने कहा, “ओबामा के कार्यकाल के दौरान जिस तेजी से संबंध बढ़ रहे थे उसी तेजी से ट्रंप के कार्यकाल में भी बढ़ रहे हैं। लगातार हमारे और उनके नेता संपर्क में हैं। ट्रंप प्रशासन भारत और अमेरिका के संबंधों को पारस्परिक लाभ का संबंध मान रहा है।” एच-1बी वीजा के बारे में एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि अभी तक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। 2004 के बाद से 65 हजार ऐसे वीसा की सीमा निर्धारित है, जो यथावत है। वीसा लॉटरी के आधार पर अब भी दिये जा रहे हैं। पीएचडी करने वालों को 20 हजार वीसा की सीमा भी पूर्ववत है। उन्होंने कहा कि कुछ निर्णय कार्यकारी आदेश से नहीं लिये जा सकते हैं। उनके लिये अमेरिकी कांग्रेस में विधेयक लाना होता है। भारत सरकार ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के अलावा सांसदों के भी संपर्क में हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी भी अमेरिका जायेंगे तो ट्रंप प्रशासन से इस बारे में बात करेंगे। अमेरिका के साथ द्विपक्षीय रणनीतिक एवं रक्षा साझेदारी के बारे में पूछे जाने पर श्रीमती स्वराज ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध ट्रंप प्रशासन में भी उतने ही अच्छे हैं जितने ओबामा प्रशासन के समय थे। उन्हाेंने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध परस्पर लाभ पर आधारित हैं और दोनों देशों के संबंध पहले की रफ्तार से ही बढ रहे हैं। एशिया प्रशांत साझेदारी या रक्षा साझेदारी में कमी अाने के कोई संकेत नहीं हैं। अमेरिका को भारत का बडा रक्षा सहयोगी बताते हुए उन्होंने कहा,“ प्रधानमंत्री ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से तीन बार बात की है, अधिकारियों की आपस में बात होती रही हैं। यह बातचीत सकारात्मक और अच्छी रही है। ” श्री ट्रंप के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के संबंधों के बारे में पूछे गये सीधे सवाल पर उन्होंने कहा ,“ उनकी तरफ से ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिससे यह लगे कि दोनों देशों के विशेष संबंधों में किसी तरह की कमी आई है।”
मंगलवार, 6 जून 2017
ट्रंप को भारत का दो टूक जवाब
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