दुमका : अवैध पत्थर खदान में चट्टान के नीचे दबकर तीन मजदूरों की हुई दर्दनाक मौत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 22 जून 2017

दुमका : अवैध पत्थर खदान में चट्टान के नीचे दबकर तीन मजदूरों की हुई दर्दनाक मौत

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) उप राजधानी दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड अंतर्गत सरसडंगाल (मकरापहाड़ी) में दिन सोमवार (19 जून 2017) की दोपहर एक हादसे में तीन मजदूरों की हुई दर्दनाक मौत के बाद पूरा का पूरा जहाँ एक ओर स्तब्ध है वहीं दूसरी ओर प्रखण्ड के जर्रे-जर्रे में खामोशी की चादर बिछी है। इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी अवैध पत्थर खदान संचालकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होना आने वाले वक्त के लिये एक बड़ा संकट साबित हो सकता है। सामान्य घटना की तरह इस घटना को ऐसा नजरअंदाज कर दिया गया है कि क्षेत्र में कुछ हुआ ही न हो। मालूम हो, मकरापहाड़ीे के जिस खदान में यह हादसा हुआ, मरने वाले 35 वर्षीय मजदूर मंजूर अंसारी (आमड़ाटोला) सहित 25 वर्षीय मिस्टर अंसारी (सोनाढाव) व 30 वर्षीय बाबुूल अंसारी शामिल हैं। यह भी बात सामने आ रही है कि इस घटना में कुल 8 व्यक्तियों की मृत्यु हुई है, किन्तु यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। दरअसल यह घटना तब घटित हुई जब उपरोक्त मजदूर पत्थर खदान में ड्रिल कर रहे थे कि तभी अचानक एक बड़ा सा चट्टान मजदूरों पर आकर गिर पड़ा जिससे वे सभी दबकर काल के गाल में समा गए। मकरापहाड़ी व सरसडंगाल के नागरिकों सहित शिकारीपाड़ा के कुछ व्यक्तियों ने अलग-’अलग जानकारी देते हुए कहा कि  जिस खदान में चट्टान के खिसकने से मजदूरों की मौत हुई वह खदान सार्थ मंडल (राजबांध) काजल साह (शिकारीपाड़ा) व कार्तिक पाल (स्थान मालूम नहीं) द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जा रहा था। तीनों मृतकों को आनन-फानन में रामपुर हाट (वीरभूम) ले जाया गया जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। कुछ महींने पूर्व इसी शिकारीपाड़ा प्रखंड के बादल पाड़ा के दो मजदूरों की मौत खदान में दब जाने के कारण हो गई थी, बावजूद घटना से कोई सीख नहीं ली गई, और बेरोक-टोक अवैध पत्थर खनन का धंधा चलता रहा जो आज भी निर्वाध जारी है। कुछ ही महीनें के अन्तराल में हुई इस दूसरी घटना के बाद भी खनन विभाग व संबंधित थाना द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो फिर इस मामले का पटाक्षेप हो जाएगा।   मकरापहाड़ी में घटित इस घटना ने जिले की कानून-व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। पूरी इमानदारी के साथ काम के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाने वाली रघुवर दास सरकार भी इस घटना के बाद कटघरे में खड़ी नजर आती है। जिला खनन कार्यालय के संरक्षण में इस प्रखण्ड के विभिन्न इलाकों यथा- बेनागड़िया, चितरागड़िया, हरिपुर, सरसडंगाल, मकरापहाड़ी, गोसाईपहाड़ी, कुलकुली डंगाल, रामजान, कादरपोखर व अन्य स्थानों पर दो सौ से अधिक अवैध पत्थर खनन का कारोबार बिना किसी भय के निर्वाध जारी है। इन अवैध पत्थर खदानों के संचालन में शामिल कारोबारियों द्वारा प्रतिमाह जिला खनन पदाधिकारी (डीएमओ) को एकमुश्त मोटी रकम दी जाती है। पहले यह गोरखधंधा काफी हद तक संतुलन में था किन्तु अब खुलेआम हो चुका है। अवैध पत्थर खनन कारोबारियों को न तो स्थानीय प्रशासन, पुलिस प्रशासन, अंचंल व जिला खनन पदाधिकारी से कोई डर रह गया है और न ही क्षेत्र के प्रबुद्ध नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों व अन्य बुद्धिजीवियों से ही रह गया है। 

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