रांची 28 जून, झारंखड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज कहा कि पर्यावरण संरक्षण उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री श्री दास ने आज यहां ओरमांझी में देश के सबसे बड़े फ्रेश वाटर इक्वेरियम ‘रांची मछली घर’ का उद्घाटन तथा इको पार्क का शिलान्यास करते हुए कहा कि इससे झारखंड के पर्यटन में नया अध्याय जुड़ा है। विकास हमेशा पर्यावरण सापेक्ष होना चाहिए। पर्यावरण और लोगों के बीच सीधा संबंध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि झारखंड के लोगों का प्रकृति के प्रति विशेष प्रेम रहा है। भारतीय संस्कृति में भी इनका विशेष स्थान रहा है। पर्यावरण संरक्षण में भी भारत दुनिया को राह दिखाता रहा है। रांची मछली घर के खुलने से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बच्चों को भी काफी जानकारियां मिलेंगी। श्री दास ने कहा कि झारखंड को अब देश के सबसे बड़े मछली पार्क के लिये जाना जायेगा। यहां देश-विदेश की विभिन्न प्रजातियों की मछलियां रखी गयी हैं। शहर की भीड़-भाड़ और तनावपूर्ण जीवन से दूर लोग यहां अपने परिवार के साथ आकर सुकून का समय बिता सकेंगे।
श्री दास ने कहा कि राज्य सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। इसी कड़ी में इको पार्क का शिलान्यास किया गया है। यहां रोज गार्डन, चिल्ड्रेन जोन, भूल भलैया, झरना, फव्वारा आदि रहेंगे। पास ही तितली पार्क भी बनाया जा रहा है। यहां विभिन्न प्रजातियों की रंग-बिरंगी तितलियां रहेंगी। मुख्यमंत्री कहा कि जलवायु परिवर्तन की विश्व चिन्ता को कम करने में वनों की अहम भूमिका है। इको पार्क पारिस्थितिकीय संतुलन का अद्भुत उदाहरण बनेगा। इको पार्क वन्य जीवन को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा। राज्य के वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव इंदु शेखर चतुर्वेदी ने मछली घर की विशेषताओं की जानकारी देते हुए बताया कि भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान परिसर स्थित मछली घर 36000 वर्ग फीट में फैला है। 58 फिश टैंक में 120 प्रजाति की लगभग 1500 मछलियां यहां प्रदर्शित की गयी हैं। ये शाकाहारी, मांसाहारी, सर्वाहारी एवं अपमार्जक श्रेणी की हैं। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि मछली घर में भारत के अलावा बैंकाक, सिंगापुर से भी मछलियां मंगायी गयी हैं। इको पार्क को 5.67 करोड़ रुपये में 4.99 एकड़ में विकसित किया जा रहा है। कार्यक्रम में रांची के सांसद रामटहल चौधरी, खिजरी के विधायक रामकुमार पाहन समेत बड़ी संख्या में अधिकारी और स्थानीय लोग उपस्थित थे।
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