- आखिर क्यों गिद्ध को , वाहन के रुप मॆ स्वीकार किये शनिदेव ॥
मधुबनी - प्रतिभा सिंह निधि - गिद्ध जो सांपों या अन्य छोटे जीवों को नष्ट करने वाले प्राणी है । साँप एवं अन्य छोटे जीवों के लिये बहुत ही क्रूर एवं अन्यायी थे गिद्ध महाराज । इसी क्रूरता के कारण ही नष्ट होने वाले थे गिद्ध की पूरी प्रजाति । तभी शनिदेव की महिमा उनपर पड़ी एवं उनके प्रजाति को एक नयी जीवन प्रदान की । बात उस समय की है जब गिद्ध के कारण नागलोक का पूरा स्तित्व ही मिटने लगा था । सभी नाग , नाग देवता से अपनी सुरक्षा के लिये त्राहिमाम करने लगे । नाग एवं गिद्धों मॆ घमासान युध्द हुआ । जिसमें गिद्ध को पराजित होना पड़ा । तब नागराज ने गिद्धों के प्रजाति को ही नष्ट करने के लिये श्राप देने लगे । उधर युध्द हारने के बाद गिद्ध को आभास हुआ की वो गलत थे । नागलोक पर इतना अन्याय नहीँ करना चाहिये था । जब नागराज गिद्ध को मृत्यु दंड देने वाले थे , तभी शनिदेव प्रकट हुए और नागराज से बोले कि आप गिद्ध को जो दंड देना चाहते हैं , वो दीजिये परंतु मृत्यु दंड नहीँ दे । क्योंकि इस लोक मॆ संतुलन बनाने के लिये गिद्ध प्रजाति का होना ज़रूरी है । नागराज शनिदेव का बात सुनकर सोच मॆ पर गये । उन्होंने सोचा कि गिद्ध ने नागलोक पर बहुत अन्याय किये हैं , उसे मृत्यु दंड मिलना ही चाहिये । फ़िर गिद्ध के प्रजाति को ही नष्ट करने लगे । शनिदेव को नागराज के हठ को देखकर बहुत क्रोध आया । उन्होने जिस जल मॆ नागलोक था उसी जल को नष्ट करने लगे । शनिदेव के क्रोध को देखकर , जल देवता प्रकट हुए और नाग देवता को सूर्यपूत्र शनिदेव से अपनी गलती की छमा माँगने के लिये कहा । तब नाग देवता ने अपनी गलती पर पछतावा करते हुए गिद्ध को मृत्यु दंड से मुक्त कर दिया । तब गिद्ध ने शनिदेव को अपनी प्राण वापसी के लिये उनकी ऋणी बन गये और शनिदेव के लाख मना करने पर भी उनकी वाहन बनने की स्वीकृत शनिदेव से ले लिये ।लेकिन शनिदेव तो पापों और अन्यायों से सभी को मुक्त करने वाले इस सृष्टि के पूरे जगत मे एक मात्र देवता हैं । गिद्ध एक तृषकृत प्राणियों मे माने जाते थे , उसी दिन से गिद्ध को नयी जिंदगी मिली और शनिदेव के साथ -साथ उन्हे भी पूजा जाने लगा ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें