विशेष : कितनी भयंकर हो सकती है वास्तु दोष की परिणति? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 22 जून 2017

विशेष : कितनी भयंकर हो सकती है वास्तु दोष की परिणति?

विगत 20 सालों से लोगों को नि:शुल्क वास्तु सलाह देने के दौरान मेरा एक से बढ़कर एक दुखी, तबाह, पीडि़त, हताश, दिग्भ्रमित लोगों से पाला पड़ा है, लेकिन अपने एकमात्र पुत्र की हत्या के चंद महीनों बाद ही अपने पति की सड़क दुर्घटना में अकाल मृत्यु की वज्रपात सरीखी घटना से रु-ब-रू होने वाली कामरुप जिले के ऊपरहाली गांव की एक महिला की करुण जीवन गाथा ने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया। गत रविवार गत रविवार (18 जून 2017) को उक्त महिला के पति की सड़क दुर्घटना में मौत की घटना को दस दिन हो चुके थे। वो सिर्फ डेढ़ महीने पहले की बात है, जब वह महिला अपनी दीदी के साथ मेरे घर पर अपने घर का वास्तु देखने का अनुरोध करने आई थी। मांग में चमकता सिंदुर तथा ललाट पर असम की साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता लेखिका स्वर्गीय मामोनी रॉयसम गोस्वामी की तरह बड़ी सी लाल बिंदी लगाये मैंने जब उन्हें पहली बार देखा था तो मुझे इस बात का अहसास भी नहीं हुआ था कि वो अपने एकमात्र पुत्र की हत्या का दर्द अपने अंतर में छुपाए है। उस रोज उक्त महिला को जब मैंने अपनी दीदी के घर विधवा के रूप में सफेद साड़ी में देखा तो मेरा कलेजा मुंह को आ गया था। 


मैं जब उनके घर का वास्तु देखने गया था तो मैंने उनके घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में हैंडपंप देख उनसे तत्काल उसे हटाने को कहा था क्योंकि वास्तु के नियमानुसार घर के दक्षिण-पश्चिम कोण में कुंआ, बोरिंग, सेप्टिक टैंक, हैंडपंप अथवा अन्य किसी भी प्रकार का गढ्ढा हो तो उस परिवार में लड़ाई-झगड़े, कोर्ट केस, दुर्घटना, अकाल मृत्यु सरीखी घटनाएं घटती हैं। वे अपने बेटे की अकाल मृत्यु का दर्द झेल रही थी। अत: मैंने भविष्य में और वैसी कोई घटना न हो, इसलिए तत्काल हैंडपंप हटाने को कहा था। घर आकर उन्होंने अपने पति को मेरी सलाह के बारे में बताया तो उन्होंने बात पर ज्यादा गंभीरता नहीं दिखाई तो उक्त महिला ने मुझे पुन: फोन पर अपने पति की वास्तु के प्रति लापरवाही की बात कही तथा दीदी के घर आकर पति को समझाने की बात कही। मैं तथा उनकी दीदी ने उनके पति को काफी समझाया। मैंने दक्षिण-पश्चिम कोण में बोरिंग, कुंए, हैंडपंप, सेप्टिक टैंक की वजह से दुर्घटना-अकाल मृत्यु की घटना घटने वाले कई परिवारों के विडियो इंटरव्यु का भी हवाला दिया। उन्होंने जल्द ही हैंडपंप हटाने की बात कही जरूर, लेकिन अविश्वास की वजह से अथवा किसी मजबुरी की वजह से उसे नहीं हटाया।


कल जब उनकी दीदी ने मुझे फोन कर सूचित किया कि असम पुलिस की नौकरी करने वाले उसके बहनोई की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है तो मैं स्तब्ध रह गया। मैंने बारम्बार उन्हें हैंडपंप हटाने को कहा था, लेकिन हैंडपंप तो नहीं हटा, अलबत्ता उनके पति को ही दुनिया से हटना पड़ा। रविवार को जब मैं उनके घर गया तो मांग में चमकते सिंदुर व ललाट पर चमकती बड़ी लाल बिंदी के साथ मेरे घर वास्तु देखने का अनुरोध करने आई महिला को सफेद साड़ी में बुत बनकर बैठे देखकर मैं स्तब्ध रह गया। मुझे देखते ही उसकी दीदी ने कहा-'झांझरी दा, आपोनार कथा मानि लोवा होले ताईर आजि ऐई अवस्था नोहोलहेंतेन। श्राद्धोर काज शेष होले मोयो आपुनी कोवार दोरे ताईर घोरोर दोमकोल गुसाई दिम आरु मोर घोरोर वास्तुओ होलाई दिम (झांझरी जी, आपकी बात मान ली होती तो आज उसकी यह दशा नहीं होती। श्राद्ध होने के बाद उसके घर का हैंडपंप हटाने के साथ ही मैं आपके बताये अनुसार अपने घर का भी वास्तु दोष पूरी तरह ठीक करूंगी।)। पिछले बीस सालों में मैंने वास्तु की महत्ता को पग-पग पर महसूस किया है, लेकिन इस घटना से महसूस हुआ कि वास्तु की अनदेखी का कितना भयंकर परिणाम हो सकता है। यह सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, पूर्वोत्तर के घर-घर की कहानी है। पूर्वोत्तर के लोग पूरी तरह वास्तु के विपरीत गृह निर्माण करते आये हैं, इसलिए समूचा पूर्वोत्तर पिछड़ा, उग्रवाद पीडि़त, अलगाववादी व नकारात्मक मानसिकता का शिकार है। विगत 20 सालों से घर-घर जाकर लोगों को नि:शुल्क वास्तु सलाह देने के पीछे भी यही भावना छिपी है कि पूर्वोत्तर के लोग जीवन में वास्तु की महत्ता को समझे।




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--राजकुमार झांझरी--

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