अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस विश्व भर में स्वस्थ रहने का सन्देश दे रहा है। व्यायाम तथा प्रणायाम क्रियाओं का समीकरण है – योग और योग का अर्थ है जोड़ना यानि इन क्रियाओं के माध्यम से हम अपने स्वास्थ्य में कुछ जोड़ते हैं। निश्चित रूप से प्रतिदिन योग करने वाला व्यक्ति अन्यों की तुलना में अधिक स्वस्थ व दीर्घायु होता है। पहला सुख निरोगी काया को ध्यान में रखते हुए हर व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन कुछ समय अपने लिए खर्च करना चाहिए। ऋषि पतंजलि द्वारा बताए गए योग को बाबा रामदेव द्वारा जन-जन तक पहुंचाने तथा प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा योग के महत्व को पूरे विष्व में स्वीकृति दिलाने तथा 21 जून को विष्व योग दिवस घोषित कराने के लिए बधाई के पात्र हैं। सांस लेने की इस प्रक्रिया का सीधा सम्बन्ध पर्यावरण से है क्योंकि प्रातः जिस वायु को हम श्वांस के साथ अन्दर लेने के लिए योग करते हैं यदि वह शुद्ध नहीं होगी तो योग से लाभ की बजाय हानि होगी।1
दीपावली 2016 के बाद भारत की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की जो स्थिति रही थी वैसी स्थिति में योग घातक हो सकता है जबकि इसमें योग क्रिया का कोई दोष नहीं है। ऐसे में हमें पर्यावरण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। एक व्यक्ति दिन भर में जितनी आक्सीजन लेता है उससे 3 सिलेण्डर भरे जा सकते हैं। एक सिलेंडर की कीमत लगभग 700 रुप्ये है यानि हम प्रतिदिन 2100 रुप्ये की आक्सीजन प्रकृति से लेते हैं और यदि एक व्यक्ति की औसत आयु 65 वर्ष मान ली जाये तो एक व्यक्ति 5 करोड़़ से अधिक की आक्सीजन प्रकृति से मुफत में प्राप्त करता है। बदले में देता है प्रदूषण गन्दगी कूड़ा ककर्ट। एक व्यक्ति अपने जीवन काल में जितना प्रदूषण फैलाता है उसे स्वच्छ करने में 300 वृक्षों की शक्ति लगती है जबकि हम आधुनिकता व विकास के नाम पर लाखों की संख्या में हरे वृक्षों की बलि दे रहे हैं। हमारे शास्त्रों व विज्ञान अनुसार वृक्ष में प्राण होते हैं और इस प्रकार हरे वृक्ष काटना हत्या जैसे जघन्य अपराध की क्षेणी में आता है जिसे कुछ समय पूर्व उत्तरांचल उच्च न्यायालय ने भी स्वीकार किया है। एक ओर वन माफिया बंटाधार करने में लगा है तो दूसरी ओर सरकार।
देश में सड़क मार्ग को चौड़ा करने व नई कालोनियां विकसित करने की योजना बनाते समय पुराने वृक्ष काटने से पूर्व यदि दूसरे स्थान पर नए वृक्ष लगाने अनिवार्य हों तो कुछ प्रतिशत अन्तर अवश्य होगा। कुछ प्रतिशत इसलिए कि जितनी संख्या में पौधारोपण आंकड़ो में होगा वास्तव में उससे कहीं कम पौधारोपण होगा और समुचित देखभाल के अभाव में अधिकांश पौधे नष्ट हो जायेंगे। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए जहां वृक्ष अनिवार्य हैं वहीं वायु में घुलने वाले जहर पर भी रोक आवश्यक है। पटाखा जनरेटर कूड़़ा जलाना खेतों में भूसा जलाना उद्योगों से निकलने वाली गैसें वाहनों का धुआं आदि अनेक कारणों से वायु दूषित होती है जिसे शुद्ध करने के लिए वृक्ष ही एकमात्र साधन है। स्वस्थ रहने के लिए पर्यावरण संरक्षण अति आवष्यक है। प्रदूषण न फैलायें कुड़ा कर्कट खुल्ले में न डालें, धुआं न करें, जल व ऊर्जा का संरक्षण करें, टुंटी खुल्ली न छोड़ें, जल बर्बाद न करें तथा बिजली बेकार न जलायें। जुन मार्च के अन्तिम सप्ताह में पारा 40 डिग्री तथा जून के आरम्भ में अनेक स्थानों पर 48 डिग्री पार जाना गम्भीर चिन्ता का विषय है इसलिए हम प्राकृतिक संसाधनों के प्रति अपने कर्तव्य को समझें। निश्चित रूप से योग के हर समर्थक को इस पर भी अनिवार्य रुप से ध्यान देना होगा। इसलिए 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस से 21 जून विश्व योग दिवस तक पूरा पखवाडा योग.पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष अभियान चलायें साथ ही संकल्प लें कि हर वर्ष जून मास में एक पौधा अवश्य लगाऊंगा और वृक्ष बनने तक देखभाल करुंगा।
रमेश गोयल
पर्यावरणविद्
राष्ट्रीय अध्यक्ष, पर्यावरण प्रेरणा -9416049757
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