- यूपी में ऐपवा व खेत मजदूर नेता जीरा भारती पर भाजपा समर्थित सामंती-अपराधियों द्वारा बर्बर हमले के खिलाफ पटना में विरोध मार्च.
पटना 6 जुलाई, यूपी के मिर्जापुर जिले की दलित समुदाय से आने वाली ऐपवा व खेत मजदूरों की लोकप्रिय नेता काॅ. जीरा भारती पर भाजपा समर्थित सामंती-अपराधियों द्वारा बर्बर हमले के खिलाफ आज ऐपवा ने पटना में राष्टव्यापी प्रतिवाद के तहत प्रतिरोध मार्च निकाला. स्टेशन गोलंबर स्थित बुद्धा पार्क से मार्च निकला और रेडिया स्टेशन के पास सभा आयोजित की गयी. मार्च का नेतृत्व ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे, पटना नगर की सचिव अनीता सिन्हा, अध्यक्ष मधु, सह सचिव अनुराधा, कार्यालय सचिव विभा गुप्ता, पटना ग्रामीण की सह सचिव माधुरी गुप्ता आदि महिला नेताओं ने किया. मार्च के दौरान प्रदर्शनकारी ‘योगी-मोदी शर्म करो, दलित-अल्पसंख्यकों-महिलाओं पर हमला बंद करो’, ‘जीरा भारती के हमलावरों को अविलंब गिरफ्तार करो’ ‘ हमलावरों पर दलित उत्पीड़न व हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज करो’ आदि नारे लगा रहे थे.
प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा है कि यूपी में जब से योगी की सरकार आई है, संविधान व लोकतंत्र की लगातार धज्जियां उड़ायी जा रही हैं. सामंती-अपराधियों का मनोबल आसमान छू रहा है और सहारनपुर से लेकर मिर्जापुर तक दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों पर बर्बर किस्म के हमले हो रहे हैं, हालिया घटनाक्रम में मिर्जापुर जिले में ऐपवा व खेत मजदूरों की लोकप्रिय नेता जीरा भारती पर बर्बर तरीके से सामंती-दबंगों ने हमला किया. यह हमला भाजपा संरक्षित सामंती अपराधियों ने किया है. जब वे 3 जुलाई की शाम को मिर्जापुर प्रखंड कार्यालय से अपने गांव रिक्सा खुर्द लौट रही थीं, सामंती ताकतों ने उनके ऊपर बर्बरता से हमला किया, उनकी साड़ी खोलकर उन्हें निर्वस्त्र करने की कोशिश की और उन्हें जमीन पर गिरा दिया. उन्हें लात-घूंसों से मार कर अधमरा कर दिया. उनके साथ उनका 14 वर्ष का बेटा भी था. पिछले समय में उन्होंने अपने इलाके में मजदूरी के सवाल पर जबरदस्त आंदोलन का नेतृत्व किया था. जिसके दबाव में प्रशासन को मजदूरी की दर बढ़ाकर 100 रु. करनी पड़ी थी. सामंती ताकतें इसी से खार खाए बैठी थीं. योगी राज में इनका मनोबल बढ़ा और इस तरह की शर्मनाक घटना सामने आई.
राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे कहा कि यूपी में दलित कार्यकर्ताओं, महिलाओं, जनांदोलन के नेताओं पर हमले की बाढ़ सी आ गयी है. जीरा भारती पर हमले के पहले बनारस में भाकपा-माले कार्यालय पर छापेमारी की गयी, जो यह साबित करता है कि जोगी राज में लोकतांत्रिक तरीके से किए जा रहे प्रतिवाद को भी सरकार दबाने पर पूरी तरह आमदा है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दलितों के सवालों को लेकर यूपी प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने वाले बुद्धिजीवियों की गिरफ्तारी भी बेहद निंदनीय है. पुलिस ने प्रेस क्लब में घुस कर प्रोफेसर रमेश दीक्षित, पूर्वपुलिस अधिकारी एस.आर.दारापुरी, रामकुमार, आषीश अवस्थी, पी एस कुरील को गिरफ्तार कर लिया है. यह लोकतंत्र के मुँह पर कालिख है और इसका हर स्तर पर विरोध किया जाना चाहिए. यह संवाददाता सम्मेलन गुजरात से आ रहे कुछ दलित संगठनों की गिरफ्तारी के विरोध में किया गया था. अनीता सिन्हा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आरएसएस व भाजपा द्वारा देश में आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर दी गयी है और राजनीतिक विरोधियों को लगातार टार्गेट किया जा रहा है. हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं. भाजपा देश में लोकतंत्र की हत्या करके तानाशाही थोपना चाहती है.
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