बढ़ती बेरोजगारी एवं शिक्षा की बदहाली के खिलाफ, भाकपा का कन्वेंशन ने किया संघर्ष का ऐलान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 31 जुलाई 2017

बढ़ती बेरोजगारी एवं शिक्षा की बदहाली के खिलाफ, भाकपा का कन्वेंशन ने किया संघर्ष का ऐलान

cpi-annoncy-state-protest
पटना, 31 जुलाई। बढ़ती बेरोजगारी एवं षिक्षा की बदहाली के खिलाफ आज यहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने किया आई.एम.ए. हाॅल, पटना में राज्यस्तरीय कन्वेंषन। भाकपा का कन्वेंषन ने किया आगामी 9 अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर राज्यभर में समाहरणालयों पर जुझारू प्रदर्षन का ऐलान। कहा देना होगा सबको षिक्षा, सबको काम नहीं तो होगा चक्का जाम, सरकार रोजगार दे या जीवन यापन के लिए दस हजार रूपये मासिक भत्ता दे, समान षिक्षा प्रणाली लागू करें छात्रों-नौजवानों को झांसा देना बंद करें भाकपा राज्य कार्यकारिणी सदस्य प्रमोद प्रभाकर, राज्य परिषद सदस्य परवेज आलम एवं निखिल कुमार झा की संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित कन्वेंषन का उद़घाटन करते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने कहा कि आज देष में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बन गई है। केन्द्र सरकार की नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के कारण लगातार रोजगार के अवसर घट रहे हैं और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। देष में गरीबी, कुपोषण, अषिक्षा, जातिय एवं साम्प्रदायिक तानाव, नक्सली एवं अपराधिक समस्याओं व घटनाओं के जड़ में बेरोजगारी ही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रति वर्ष दो करोड़ नौजवानों को रोजगार देने सहित कई वादा, छलावा साबित हुआ। केन्द्र की मोदी सरकार, सरकारी नौकरियों का दरवाजा पूरी तरह से बंद कर दी है, नोटबंदी के बाद प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लभगभ बीस लाख लोगों की छंटनी हो गई।  भाकपा नेता ने कहा रोजगार की तलाष में लाखों लोग हर साल बिहार से बाहर पलायन कर रहे हैं, भारतीय उद्योग से जुडे़ लोगों में बिहार की हिस्सेदारी एक प्रतिषत से भी कम है। बिहार सरकार को नौकरियों में भी रिक्त स्थानों पर बहाली  नहीं हो रही है सभी विभागों में नियोजित किये जा रहे है, नियोजित कर्मियों को मामूली राषि मानदेय के रूप में दी जाती है, जो इनके साथ अन्याय है। हमारी पार्टी समान काम के लिए समान वेतनमान की मांग करती है। उन्होंने कहा कि हमारे देष में कृषि, कुटीर एवं लघु उद्योग ऐसा क्षेत्र रहा है, जहां बड़े पैमाने पर रोजगार मिलता था। परंतु आज कृषि चैपट हो गया, कुटीर एवं लघु उद्योग लगभग बंद हो गया, सरकार की ओर से इन्हें न सरंक्षण मिला और न सहयोग। उन्होंने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार, रोजगार विहीन विकास की ढ़ोल पीट रही है। रोजगार सृजन के प्रति दोनों ही सरकार संवेदनहीन एवं निकम्मी है। जब कि रोजगार की यहां अपार सभावनाएँ हैं, कम पंूजी निवेष से छोटे एवं मझौले उद्योग लगाये जा सकते हैं, कृषि आधारित उद्योग 



स्थापित कर कृषि को लाभकारी बनाया जा सकता है, कुटीर एवं लघु उद्योग को पुनर्जीवित किया जा सकता है। बिना रोजगार, विकास का दावा करना जले पर नमक छिड़ने की तरह है।  भाकपा नेता ने षिक्षा की बदहाली, षिक्षा का साम्प्रदायीकरण एवं व्यवसायीकरण पर रोष प्रकट करते हुये राष्ट्रहित एवं छात्र हित में समान षिक्षा, रोजगारोन्मुखी षिक्षा एवं वैज्ञानिक षिक्षा की आवष्यकता बताया। उन्होंने षिक्षा की बदहाली एवं बेरोजगारी के खिलाफ व्यापक संघर्ष का आह्वान किया। कन्वेंषन को संबोधित करते हुये भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रो॰ एम. जब्बार आलम ने कहा कि भारत में प्रतिदिन 350 नौकरियां घट रही है। 2021 तक 23 प्रतिषत नौकरियाँ खत्म हो जा सकती है। 77 प्रतिषत परिवारों के पास नियमित आय का कोई जरिया नहीं है, इस भीषण स्थिति को अर्जुन सेन गुप्ता आयोग ने भी उजागर किया है। उन्होंने कहा कि बिहार में 21 लाख परिवार भूमिहीन है, जबकि 21 लाख एकड़ भूदान, हदबंदी से फाजिल, सरकारी और गैर मजरूआ जमीन है, जिस पर दबंगों एवं भू-स्वामियों एवं भू-माफियाओं का अवैध कब्जा है, अगर यह जमीन भूमिहीनों के बीच वितरित कर दिया जाय तो भूमिहीन परिवार को रोजगार का अवसर मिल सकता है। उन्होंने कहा कि रोजगार गारंटी योजना लगभग भ्रष्टाचार का भेट चढ़ जाता है।, आवंटित राषि का बड़े हिस्से की लूट हो जाती है, श्रमिकों को वाजिब लाभ नहीं मिलता इसलिए मजदूरों का पलायन बदस्तुर जारी है। भाकपा नेता बेरोजगारी के इस भीषण स्थिति के खिलाफ संघर्ष तेज करने का आह्वान किया। कन्वेंषन को विधान पार्षद एवं बिहार माध्यमिक षिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पाण्डेय ने संबोधित करते हुए कहा कि दोहरी षिक्षा एंव महंगी षिक्षा से छात्रों का भविष्य अंधकार मय हो रहा है, बड़ी संख्या में गरीब छात्र उच्च षिक्षा पाने से वंचित रह जाते है। उन्होंने षिक्षा के निजीकरण एवं केन्द्र सरकार द्वारा  प्रस्तावित नई षिक्षा नीति 2016 पर घोर आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने समान षिक्षा प्रणाली लागू करने, गुणवत्तापूर्ण षिक्षा के लिए नियोजित षिक्षकों को वेतनमान देने की मांग की। उन्होंने कहा कि षिक्षा बुनियादी परिवत्र्तन का सबसे बड़ा हथियार है, इसलिए षिक्षा समान हो एवं सबके लिए हो, इसकी लड़ाई लड़नी होगी।   कन्वेंषन में षिक्षा की बदहाली एवं बेरोजगारी के खिलाफ एक लिखित प्रतिवेदन षिक्षक नेता विजेन्द्र केसरी ने प्रस्तुत की।  कन्वेंषन को भाकपा राज्य सचिवमंडल के सदस्य अखिलेष कुमार, ए.आई.एस.एफ. के राज्य सचिव सुषील कुमार, ए.आई.वाई.एफ. के राज्य सचिव रौषन कुमार  सिन्हा, ने संबोधित किया। इन नेताओं ने केन्द्र व राज्य सरकार को छात्र-युवा विरोधी सरकार करार देते हुए कहा कि राष्ट्रपति का हो या भंगी की संतान सबको षिक्षा एक समान। सरकार बेरोजगारो को रोजगार दे या दस हजार रूप्या मासिक, जीवन यापन भत्ता दे, अन्यथा इसके गंभीर परिणाम होंगे। नेताओं ने 9 अगस्त, क्रांति दिवस के अवसर पर बिहार के सभी जिला समाहरणालयों पर जुझारू प्रदर्षन करने का आह्वान किया।  

कोई टिप्पणी नहीं: