स्थानीय नीति तय कर सरकार ने खोले नौकरियों के द्वार : रघुवर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

स्थानीय नीति तय कर सरकार ने खोले नौकरियों के द्वार : रघुवर

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रांची 20 जुलाई, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज कहा कि राजनीति के कारण राज्य के युवाओं को 14 साल नौकरी के लिए इंतजार करना पड़ा लेकिन उनकी सरकार ने स्थानीय नीति तय कर नौकरियों के लिए दरवाजे खोल दिये हैं। श्री दास ने यहां वन भवन में वनरक्षियों को नियुक्ति पत्र वितरण करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि लोगों ने भ्रम फैलाया कि इस नीति से बाहरी लोगों को नौकरियां मिलेंगी। लेकिन, यह भ्रम भी टूट गया है। पिछेल ढाई वर्ष के दौरान राज्य में एक लाख नियुक्तियां हुई हैं, जिनमेंं 90 प्रतिशत से ज्यादा नौकरी झारखंडवासियों दी गई हैं। उन्होंने कहा कि 2188 वनरक्षियों की नियुक्ति में भी 90 प्रतिशत से ज्यादा नौकरियां स्थानीय लोगों को मिली हैं। 148 महिलाएं को भी इसमें नौकरी दी गयी है। आनेवाले दिनों में बड़े पैमाने पर नियुक्तियां होंगी। मुख्यमंत्री ने कहा, “झारखंड वन से अाच्छादित प्रदेश है। हमें हरा भरा प्रदेश धरोहर के रूप में मिला है इसलिए आनेवाली पीढ़ी को भी हमें हरा भरा झारखंड देना होगा। इसके लिए जरूरी है कि वनों की रक्षा की जाये। झारखंड बनने के बाद पहली बार वनरक्षियों की नियुक्ति की गयी है। आज 2188 वनरक्षियों को राज्य के वनों की रक्षा की जिम्मेवारी सौंपी जा रही है। उनका कर्त्तव्य है कि वे ईमानदारी पूर्वक इस काम का निवर्हन करें।” श्री दास ने ने कहा कि उनकी सरकार का मानना है कि महिलाओं को साथ लिये बिना राज्य के पूर्ण विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने महिलाओं को पुलिस में भी 33 प्रतिशत आरक्षण दिया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वनों की सुरक्षा के लिए गांव में बनाये जानेवाली वन रक्षा समितियों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसमें अधिकारियों के साथ ही आम लोगों की भागीदारी जरूरी है। इस साल जुलाई में सरकार ने पूरे राज्य में दो करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। जनभागीदारी से ही इस कार्य को सफल बनाया जा रहा है। नवनियुक्त वनरक्षियों से उन्होंने कहा कि वे ईमानदारी पूर्वक अपना काम करें। इससे शांति और सुकून दोनों मिलेगा। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव अमित खरे के साथ ही वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव इंदुशेखर चतुर्वेदी ने भी अपने विचार रखे। 

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