- बिहारशरीफ की घटना को प्रशासन द्वारा सांप्रदायिक रंग देने के खिलाफ, मस्तान मांझी व पेंटर मांझी की रिहाई की भी उठायी गयी मांग.
- मीना तिवारी ने कहा कि पुनर्वास की बजाए दलित-गरीबों को उजाड़ने वाला है शराबबंदी कानून, उसके काले प्रावधान रद्द करने को होगा अब आंदोलन.
पटना 23 जुलाई, पिछली 17 जुलाई को बिहारशरीफ में ‘नाॅट इन माइ नेम’ और इंसाफ मंच के बैनर से आयोजित अमन मार्च पर नालंदा जिला प्रशासन द्वारा बर्बर किस्म के सुनियोजित हमले और उसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों के खिलाफ इंसाफ मंच के बैनर से आज पूरे बिहार में प्रतिवाद मार्च निकाला गया. इसंाफ मंच के राज्य सचिव सूरज कुमार सिंह ने कहा कि राजधानी पटना सहित आज मुजफ्फरपुर, दरभंगा, जहानाबाद, आरा, अरवल, नवादा, समस्तीपुर, खगड़िया आदि शहरों में भी प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किए गए. राजधानी पटना में इंसाफ मंच द्वारा आयोजित मार्च की अध्यक्षता जाने माने चिकित्सक डाॅ. अलीम अख्तर ने किया. संचालन ऐक्टू के बिहार राज्य सचिव रणविजय कुमार ने किया. प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि लंबे समय से दलित-अल्पसंख्यक समुदाय के न्याय के लिए संघर्षरत इंसाफ मंच को बिहारशरीफ प्रशासन संदेहास्पद बता रहा है. जिला प्रशासन ने 17 जुलाई को बेहद सुनियाजित तरीके से दमन चक्र चलाया और मनमाने ढंग से अल्पसंख्यक समुदाय, भाकपा-माले व इंसाफ मंच के कार्यकर्ताओं पर मुकदमा थोप दिया है. जबकि ये लोग देश में भाजपा-आरएसएस द्वारा फैलाये जा रहे सांप्रदायिक उन्माद के खिलाफ अमन-चैन व अमरनाथ यात्रा में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए एकजुट हुए थे. बिहार की नीतीश-लालू सरकार धर्मनिरपेक्षता का दावा करती है, लेकिन यहां भी योगी राज की तरह दलितों-अल्पसंख्यकों की आवाज को कुचलने की कोशिशें हो रही हैं. नालंदा जिला प्रशासन का रवैया पूरी तरह संविधान, लोकतंत्र और देश की गंगा-जमुनी तहजीब के खिलाफ है.
उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने लंबे आंदोलन के बाद शराबबंदी कानून लागू करवाने में सफलता प्राप्त की थी. लेकिन नीतीश कुमार अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं और अब तो शराबबंदी के नाम पर सरकार ने बिहार के गरीबों-दलितों के साथ जो अन्याय किया है, वह भी खुलकर सामने आ रहा है. हमने शराबी संस्कृति खत्म कर बेहतर माहौल निर्माण की लड़ाई लड़ी थी, गरीबों के पुनर्वास के लिए लड़ाई लड़ी थी, जिसे नीतीश कुमार ने गांव-गांव में शराब की दुकानें खुलवाकर तबाह कर दी थीं. लेकिन उन्होंने जो शराबबंदी कानून लागू किया है, वह दलित-गरीबों के पुनर्वास की बजाए उजाड़ने वाली है. जहानाबाद में मुसहर समुदाय के दो दिहाड़ी मजदूरों मस्तान मांझी व पेंटर मांझी को सजा सुना दी गयी है, जबकि उनके घर में भूखमरी की नौबत है. हमने शराबबंदी की मांग की थी, गरीबों-दलितों के घर उजाड़ने की नहीं. सभा को संबोधित करते हुए सरोज चैबे ने कहा कि हमें बिहारशरीफ के अनुमंडलाधिकारी ने बताया कि चूंकि बिहारशरीफ में उपद्रव की कोई घटना नहीं घटी है, इसलिए 17 जुलाई का कार्यक्रम निरूद्देश्य था. अनुमंडलाधिकारी ने खुलकर कहा कि मार्च में शामिल सभी लोग उपद्रवी और इसंाफ मंच के बैनर से शहर में दंगा-फसाद करने आए थे. जाहिर है, प्रशासन अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित था. जांच टीम ने यह पाया कि एफआईआर में मनमाने तरीके से नाम डाला गया है. यहां तक कि आपकी पार्टी के एमएलसी राजू गोप के विधायक प्रतिनिधि अखलाक सहित कई ऐसे नाम हैं, जिनका कार्यक्रम से कोई संबंध नहीं था. सोगरा काॅलेज के प्राचार्य मो. सगीर उज्जमा का भी नाम एफआईआर में है. पुलिस ने घरों में घुसकर लोगों के साथ मारपीट की. जबकि अमन मार्च में शामिल लोग ‘भीड़ द्वारा की जा रही हत्या’ के खिलाफ थे. वे अमरनाथ आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए एकजुट हुए थे. ऐसे में अमन मार्च से कौन सी शांति भंग हो रही थी? लाठी चार्ज में सुरेन्द्र राम, रामदास अकेला, मकसूदन शर्मा, मनमोहन, पाल बिहारी लाल समेत सैकड़ो लोग घायल हुए. प्रशासन की दमनात्मक कार्रवाई की वजह से मुस्लिम समुदाय में अब तक भय व आतंक का माहौल है.
अन्य वक्ताओं ने बर्बर लाठीचार्ज और अमन मार्च को सांप्रदायिक स्वरूप साबित करने वाले बिहारशरीफ अनुमंडलाधिकारी पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने, गिरफ्तार सभी आंदोलनकारियों को बिना शत्र्त अविलंब रिहा करने, इंसाफ मंच को बदनाम करने की साजिश पर रोक लगाने और बिहारशरीफ में भय व आतंक के माहौल में जी रहे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की सुरक्षा की गारंटी करने की मांग की. प्रतिवाद सभा में समकालीन जनमत के केके पांडेय, जसम के राजेश कमल, भाकपा-माले के अभ्युदय, उमेश सिंह, मुर्तजा अली, नसीम अंसारी, इनौस से नवीन कुमार, कर्मचारी नेता रामबलि प्रसाद, कोरस की समता राय, हिरावल से अभिनव, आइसा से मोख्तार व बाबू साहेब, माले नेता सुधीर कुमार आदि उपस्थित थे.
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