दुमका (अमरेन्द्र सुमन/ बी0 बी0 सारस्वत) उप राजधानी दुमका के शिकारीपाड़ा, रानेश्वर, मसलिया, जरमुण्डी व रामगढ़ प्रखण्डों में पत्थर, कोयला व लकड़ी माफियाओं के हौसले इन दिनों इतने बुलंद है कि उन्हें पुलिस प्रशासन व वन विभाग से कोई खौफ नहीं रह गया है। सीना ठोंककर ऐसे लोग अपना कारोबार चला रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार शिकारीपाड़ा प्रखण्ड के कुलकुलीडंगाल, गोसाईपहाड़ी, रामजान, कादरपोखर, बेनागड़िया, चितरागड़िया, हरिपुर, सरसडंगाल, मकड़ापहाड़ी में जहाँ एक ओर इलिगल स्टोन माईनिंग का कारोबार निर्वाध जारी है वहीं दूसरी ओर वनक्षेत्र की कीमती लकड़ियों की तस्करी भी धड़ल्ले से जारी है। रानेश्वर प्रखण्ड के बादलपाड़ा, लुटियापहाड़ी, कल्याणपुर मंे अवैध कोयला उत्खनन वर्षों से जारी है। जिले के जरमुंडी प्रखंड अंतर्गत तालझारी व जरमुणडी थाना क्षेत्र अन्तर्गत तमाम पहाड़ों पर अवस्थित पेड़ों की अंधाधूंध कटाई जारी है। हरियाली व दुर्लभ वनस्पतियों के लिए विख्यात इन पहाड़ों पर वन माफियाओं की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है। लगातार काटे जा रहे पेड़-पौधों से हरियाली का नामोनिशान मिटता जा रहा है। वनों से आच्छादित ये पहाड़ दूर-दूर तक वीरान नजर आते हैं। कुछ वर्षों पूर्व तक पहाड़ के निचले हिस्से में बसे गांव के नागरिकों व मवेशियों के लिए ये पहाड़ जन्नत से कम नहीं हुआ करते थे। इन पहाड़ों से बहुमूल्य जड़ी-बूटियों की खोज कर लोग लाईलाज रोगों का उपचार किया करते थे। इतना ही नहीं मवेशियों के लिए इस इलाके के पहाड़ वर्षभर चारागाह स्थल के रुप में विख्यात हुआ करते थे किन्तु पिछले कुछ वर्षों से कोयला, पत्थर व लकड़ी माफियाओं ने पहाड़ों का अस्तित्व ही मिट्टी में मिला दिया। इस इलाके के पहाड़ों की दुर्दशा का वर्णन करते हुए स्थानीय लोग रो पड़ते हैं। रसूख वाले वन माफियाओं के भय से लोग कुछ भी बोलने से कतराते हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक महिला ने कहा कि पहाड़ों से वनों की अंधाधूंुध कटाई का फायदा पत्थर माफिया को मिल रहा है जिनकी गिद्ध दृष्टि से पहाड़ों का अस्तित्व शनैः शनैः खत्म होता जा रहा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है पत्थर, लकड़ी व कोयला माफियाओं की यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं जब आने वाले समय में पहाड़ों का अवशेष भी मौजूद न रहे। ग्रामीणों का कहना है प्रतिदिन उपरोक्त तमाम प्रखण्डों के विभिन्न ग्रामों में स्थित पहाड़ों को भारी दबाब वाले विस्फोटकों से चकनाचूर किया जा रहा है। सिर्फ दुमका के विभिन्न प्रखण्डों से प्रतिदिन हजारों टन स्टोन चिप्स बाहर भेजे जाते हैं। प्रतिदिन करोड़ों रुपये की ईलिगल माईनिंग होती है। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न झारखंड की उप राजधानी दुमका के शिकारीपाड़ा, रानेश्वर, रामगढ़ व बासुकीनाथ में कोयला का अवैध व्यापार चरम पर है। इस अवैध धंधे में कई सरगनाओं ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया है। सैकड़ों टन कोयले का अवैध व्यापार कोयला माफियाओं द्वारा कानून की धज्जियाँ उड़ाकर लगातार जारी है। ब्लैक डायमंड के इस खेल में तथाकथित सफेदपोशों से लेकर छुटभैया रंगबाजों तक की पैरवी व पहुंच सत्ताधारी दल से लेकर विपक्षी दलों के नेताओं तक है। चितरा से कोयला के तस्कर बासुकीनाथ की दूरी बेखौफ तय कर लेते हैं। गौरतलब है कि 09 जुलाई से विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरु है। इस मेला में अत्यधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से बासुकीनाथ धाम में साइकिल से कोयला की तस्करी करने वालों का रेला लगा रहता है, जिसे यहां बैठे कोयला माफिया अपने डंपिंग स्थल तक उसे ले जाते हैं और उसका भंडार बनाकर उँची कीमत पर कोयला की बिक्री करते हैं।
सोमवार, 3 जुलाई 2017
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दुमका : माफियाओं के हौसले बुलंद, जिला प्रशासन व वन विभाग से उन्हें कोई खौफ नहीं रह गया है
दुमका : माफियाओं के हौसले बुलंद, जिला प्रशासन व वन विभाग से उन्हें कोई खौफ नहीं रह गया है
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