नीतीश का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा, बिहार के हित में भाजपा के साथ से परहेज नहीं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 26 जुलाई 2017

नीतीश का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा, बिहार के हित में भाजपा के साथ से परहेज नहीं

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पटना 26 जुलाई, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) की प्राथमिकी के बाद से राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन के दो बड़े घटक राष्ट्रीय जनता दल(राजद) और जनता दल यूनाइटेड(जदयू) के बीच उत्पन्न गतिरोध का पटाक्षेप आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ हो गया, श्री कुमार ने आज शाम जदयू विधायक दल की बैठक के तुरंत बाद राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को अपना त्याग पत्र सौंप दिया । राज्यपाल ने भी श्री कुमार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उन्हें अगली व्यवस्था होने तक काम करते रहने को कहा है। इससे पूर्व जदयू विधायक दल की बैठक में श्री कुमार ने अपने इस्तीफे की घोषणा की और इसके बाद राज्यपाल से मिलने के लिए समय मांगा था । श्री कुमार ने राज्यपाल से मिलने से पहले फोन कर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और महागठबंधन के एक अन्य घटक कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार मामलों के प्रभारी सी0 पी0 जोशी को अपने इस्तीफे की जानकारी दे दी थी ।



श्री कुमार ने इस्तीफा देकर लौटने के बाद राजभवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘ मैनें अंतरात्मा की आवाज मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। महागठबंधन की सरकार 20 महीने से भी ज्यादा समय तक चलाई है और मुझसे जितना संभव हुआ, हमने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए जनता से चुनाव के समय किये गये वादों को पूरा करने की कोशिश की।’ उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में जिस तरह की चीजें सामने आईं, उसमें उनके लिए महागठबंधन का नेतृत्व करना और काम करना संभव नहीं था। कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने किसी का इस्तीफा नहीं मांगा था । उनकी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से भी बात होती रही और श्री तेजस्वी यादव भी उनसे मिले थे। इस दौरान उन्होंने उन्हें यही कहा कि जो भी उनपर आरोप लगे हैं, उसपर उन्हें स्पष्टीकरण देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने समर्थकों के बीच यह दलील दी जा सकती है कि उन्हें फंसाने के लिए आरोप लगाये गये हैं , लेकिन इस मामले को लेकर आमजनों के बीच में जो एक अवधारणा बन रही है, उसको ठीक करने के लिए स्पष्टीकरण जरूरी है लेकिन उनकी (लालू-तेजस्वी) ओर से वह भी नहीं हो रहा था। श्री कुमार ने कहा कि इस मामले को लेकर राज्य में माहौल ऐसा बन गया था कि हर ओर सिर्फ इसी बात को लेकर चर्चा थी। ऐसे में काम करना संभव नहीं था । हालांकि इस फैसले पर पहुंचने से पहले उन्होंने हर बिंदु पर सोच विचार किया और रास्ता निकालने की कोशिश की । कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की और उन्हें अध्यादेश फाड़े जाने की घटना को भी याद दिलाया । उन्हें उम्मीद थी कि समस्या का हल हो जायेगा । कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संकट नहीं है बल्कि अपने आप लाया गया संकट है। यदि आरोप लगा है तो उसका उचित उत्तर देना चाहिए था और स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए थी। स्पष्ट कर देते तो उन्हें भी एक आधार मिलता लेकिन इतने दिनों तक इंतजार किया और समझा कि वे कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं, कुछ कहना नहीं चाहते। ऐसे में वह तो उनकी ओर से जवाब नहीं दे सकता था। श्री कुमार ने कहा कि वह सरकार का नेतृत्व कर रहे थे और यदि सरकार के अंदर के व्यक्ति के बारे में कुछ बातें कही जाती हैं तो ऐसी स्थिति में सरकार कैसे चला सकते थे । उन्होंने कहा ,‘जब तक चला सकते थे, चला लिया। अब स्थिति मेरे स्वभाव या मेरे काम करने के तरीके के अनुरूप नहीं है। इसलिए इस्तीफा दे दिया ।’ कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हमेशा गांधीजी की बातों को उद्धृत करते रहे हैं कि जरूरत की पूर्ति हो सकती है लेकिन लालच की नहीं । गलत तरीके से संपत्ति अर्जित करना ठीक नहीं होता। कफन में भी पॉकेट नहीं होता। जो भी है, यहीं रहेगा। ऐसी परिस्थिति में लोग समझ सकते हैं कि उनके पास रास्ते ही क्या बचे थे। उन्होंने कहा कि गठबंधन और विपक्षी एकता की जहां तक बात है तो वह इसके पक्षधर रहे हैं लेकिन इसका एजेंडा भी तो होना चाहिए।



श्री कुमार ने कहा कि यह कैसी स्थिति है जहां वह एक व्यक्ति के रूप में अपनी सोच तक प्रकट नहीं कर सकते हैं । जब बिहार के राज्यपाल रहे श्री रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार बनाया गया तो यह गर्व की बात थी इसलिए उनकी पार्टी ने उनका समर्थन किया तो न जाने क्या-क्या आरोप लगाए गए। हालांकि वह इन सब को झेलते रहे। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी जब नोटबंदी का मसला आया था तब उनकी पार्टी ने उसका समर्थन किया था। उस समय भी उनपर तरह तरह के आरोप लगाये गए। कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उनकी पार्टी नोटबंदी का समर्थन कर रही थी तब उस समय उन्होंने साफ-साफ कहा था कि बेनामी संपत्ति पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे में वह इस मुद्दे पर कैसे पीछे जा सकते थे। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों की सोच का दायरा ही अलग है। श्री कुमार ने कहा कि यदि वे (लालू-तेजस्वी) सफाई देते तो बहुत ऊंचे हो जाते। उन्होंने कहा कि सबके अपने-अपने रास्ते हैं। उनके भी अपने रास्ते हैं। जो उनके लिए संभव था, उसे उन्होंने निभाया भी लेकिन अब आगे संभव नहीं है। कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी कटिबद्धता बिहार के लोगों के प्रति है और वह न्याय के साथ विकास के हमेशा से पक्षधर रहे हैं। उन्होंने चुनाव के दौरान किये गये वादों को पूरा करने की कोशिश की। सात निश्चय पर अमल किया और शराबबंदी लागू कर सामाजिक बदलाव की बुनियाद रखी । इसी तरह कृषि रोड मैप , बिजली, सड़क, पुल-पुलिया और लोक कल्याण की योजनाओं के लिए निरंतर काम करने की कोशिश की । श्री कुमार ने कहा कि अब वह किसी पर कोई आरोप नहीं लगाना चाहते हैं लेकिन अब उनके लिए वर्तमान माहौल में काम करना संभव नहीं था। उनका मानना है कि राजनीति लोक लज्जा से चलती है । कई कठिनाईयों को झेलते हुए उन्होंने सरकार का नेतृत्व किया और इस दौरान उन्हें जिन-जिन लोगों ने सहयोग दिया वह सबको इसके लिए धन्यवाद देते हैं । श्री कुमार से जब भविष्य की उनकी रणनीति और भाजपा से सहयोग को लेकर सवाल किया गया तब उन्होंने कहा ,‘ आगे क्या होगा देखते रहिये, अभी जो मसला था उसकी तार्किक परिणति हो गयी है। बिहार के विकास और हित में जो होगा, उस पर जरूर विचार करेंगे। ’ हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं कर सकते।

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