जमीन बेचने की अनुमति दी जाए-सदान एकता परिषद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 18 जुलाई 2017

जमीन बेचने की अनुमति दी जाए-सदान एकता परिषद

  • एसपीटी एक्ट की बंदिशों से गैर आदिवासियों को मुक्त करते हुए उन्हें उनकी जमीन बेचने की अनुमति दी जाए-सदान एकता परिषद

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) गैर जनजाति समाज (सदानों) को एसपीटी एक्ट 1949 की बंदिशों से मुक्त करने से संबंधित सदान एकता परिषद की ओर से आयुक्त संताल परगना प्रमण्डल के माध्यम से मुख्यमंत्री झारखण्ड रघुवर दास के नाम एक मांगपत्र भेजा गया है।  सदान एकता परिषद् की ओर से मुख्यमंत्री के नाम भेजे गए मांगपत्र में परिषद् के केन्द्रीय अध्यक्ष राधेश्याम वर्मा, लक्ष्मीकांत झा लोकेश, कामेश्वर मंडल, कमलाकांत प्रसाद सिन्हा, रमाकांत साह, प्रेम केशरी, नन्दकिशोर अम्बष्ट, विजय कुमार अम्बष्ट ने कहा है कि वर्ष 1949 में लागू एसपीटी एक्ट तत्कालीन संताल परगना प्रमण्डल की आर्थिक व बौद्धिक रुप से कमजोर जनता को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया था। जिस समय यह एक्ट लागू किया गया था उस समय लोग निहायत ही गरीब व अशिक्षित थी। उनकी भूमि किसी दूसरे के हाथ न चली जाए तथा आर्थिक रुप से वे और भी कमजोर न बन जाएँ, एक्ट के लागू करने के पीछे यही उद्देश्य छिपा था। इस एक्ट के लागू हुए 67 वर्ष हो गए। सदान एकता परिषद के नेताओं का कहना है कि इन 67 वर्षों की कालावधि में संताल परगना प्रमण्डल के विभिन्न जिलों यथा-दुमका, देवघर, गोड्डा, पाकुड़, साहेबगंज व जामताड़ा जिले के लोग बौद्धिक, आर्थिक व सामाजिक रुप से काफी जागरुक हो चुके हैं। जो सामंतवादी प्रवृत्ति एक्ट के लागू होने के वर्षों में थी लोग पूरी तरह उससे निजात पा चुके हैं। इन वर्षों में शिक्षा में क्रांतिकारी उछाल आया है। आर्थिक रुप से भी लोग काफी समृद्ध हुए हैं। वर्तमान समय में लोग अपना भला-बुरा खूब समझते हैं। उच्चस्तरीय तकनीकी संसाधनों से पूरे प्रमण्डल का गाँव-कस्बा काफी उन्नत हो चुका है। यह समय ऐसा है कि कोई किसी को बहलाकर उसकी जमीन नहीं हड़प सकता। परिषद् के केन्द्रीय अध्यक्ष राधेश्याम वर्मा का कहना है जिस समय यह एक्ट लागू किया गया था उस समय इस क्षेत्र की आबादी काफी न्यूनतम थी। आज स्थिति यह है कि जनसंख्या में आमूलचूल परिवर्तन आया है। जनसंख्या वृद्धि के परिणामस्वरुप वर्तमान संताल परगना की आवासीय व्यवस्था सहित शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार की भारी कमी देखी जा रही है जिसका एकमात्र कारण इस क्षेत्र में भूमि का अहस्तांतरण है। ननसेलेबुल लैंड होने की वजह से इस क्षेत्र का चतुर्दिक विकास पूरी तरह अवरुद्ध है। न तो इस क्षेत्र में बड़े-बड़े उद्योग-धंधे स्थापित हो सकते हैं और न ही शिक्षा, चिकित्सा के क्षेत्र में बड़े-बडे स्कूल-काॅलेज, मेडिकल, इंजीनियरिंग काॅलेज ही खोले जा सकते हैं। पूरे संताल परगना प्रमण्डल में लाखों परिवार ननसेलेबुल लैंड पर ही बसोवास कर रहे हैं। ननसेलेबुल लैंड में निवास कर रहे लोग भी अब तक इस बात से आश्वस्त नहीं हो सके हैं कि वे जिस जमीन पर रह रहे हैं वह जमीन उनका अपना है। श्री वर्मा ने कहा है कि ननसेलेबुल लैंड से बिक्रेता, क्रेता व सरकार तीनों को हानि हो रही है। जमीन का जो वर्तमान मूल्य है भूस्वामी को जमीन की बिक्री से वह प्राप्त नहीं हो पा रहा। ननसेलेबुल लैंड होने की वजह से न्यूनतम मूल्य पर ही वे अपनी जमीन बेचने के लिये बाध्य हैं। दूसरी ओर जमीन खरीदने वाले भी पशोपेश में हैं और वे यह सोंचने पर मजबूर हैं कि उन्होंने जो जमीन खरीद रखा हे वास्तविक रुप से वह जमीन उन्हीं का है। यहाँ सरकार को भी भारी राजस्व की हानि हो रही है। सेलेबुल लैड रहने से सरकार को जमीन खरीद-बिक्री के एवज में भारी राजस्व की प्राप्ति हो सकती थी। इस तरह प्रतिवर्ष राज्य सरकार को करोड़ों रुपये की राजस्व हानि हो रही है। श्री वर्मा ने कहा कि जमीन खरीदने वालों व जमीन पर घर बनाकर रहने वालों के विरुद्ध भी सरकार कुछ नहीं कर सकती। श्री वर्मा ने कहा कि एसपीटी एक्ट 1949 के लागू होेने के बाद भी जमीन खरीद-बिक्री हो ही रही है तो फिर एक्ट में संशोधन न करने से उन्हें क्या फायदा प्राप्त हो रहा तो इस एक्ट में संशोधन के विरुद्ध हैं। मुख्यमंत्री के नाम प्रेषित पत्र मंे श्री वर्मा ने कहा है कि यदि आदिवासी समाज के लोग यह चाहते हैं कि उनकी जमीन का हस्तांतरण न हो तो कोई बात नहीं है। वे जो चाहते हैं उसके लिये वे समझें। उन गैर आदिवासियों को क्यों प्रताड़ित किया जा रहा जो चाहते हैं कि उनकी जमीन बिके। अपनी जमीन बेचकर गैर आदिवासी समुदाय चाहते हैं कि उनके बच्चे समाज की मुख्यधारा से जुड़कर राष्ट्र निर्माण की दिशा में अग्रसर हों। वे अपने बच्चों को शिक्षित देखना चाहते हैं। उनके बच्चे आगे बढ़े, वे यह चाहते हैं। मुख्यमंत्री के नाम प्रेषित पत्र में सदान एकता परिषद् के उपरोक्त नेताओं ने मांग की है कि गैर आदिवासियों की जमीन को सेलेबुल किया जाए ताकि वे अपनी जमीन बेचकर अपने बच्चों को एक नेक इंसान बना सकें। 

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