सोयाबीन में कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
- गर्डल बीटल की रोकथाम हेतु थायक्लोप्रीड का छिड़काव करें
भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सोयाबीन कृषकों को कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु सामयिक सलाह जारी की गयी है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि रिमझिम वर्षा के दौरान पत्ती खाने वाली इल्ली, कलिया, फूल या नन्ही फलियों का भक्षण करती है, जिसके कारण अफलन की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका रहती है। ऐसे स्थानों पर कीट नियंत्रण हेतु क्विनालफॉस 1500 मिलीलीटर प्रति हेक्टयर या इन्डोक्साकार्ब 333 मिलीलीटर प्रति हेक्टयर का 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। जिन स्थानों पर फसल में गर्डल बीटल का प्रकोप प्रारंभ हो चुका है, वहां थायक्लोप्रीड 21.7 एससी 650 मिलीलीटर प्रति हेक्टयर का छिड़काव करें। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि सोयाबीन फसल में कहीं-कहीं कोलर रॉट (गर्दनी सड़न) नामक बीमारी का प्रकोप होता है। इसके नियंत्रण हेतु किसान अपने खेत में अतिरिक्त पानी के निकासी की व्यवस्था के साथ ही ग्रसित पौधों को खेत से उखाड़कर फेंक दें। संभव होने पर डोरा / कुल्पा चलाकर भी बीमारी को बढने से रोका जा सकता है। सोयाबीन फसल में आने वाले समय में पत्ती धब्बा तथा एन्थ्रेकनोज नामक बीमारियों के प्रकोप भी संभावित होता है। बीमारी के नियंत्रण हेतु टेबूकोनाझोल अ सल्फर मिश्रित फफूंद नाशक दो ग्राम प्रति लीटर पानी के मान से या थायोफिनेट मिथाइल या कार्बेन्डाझिम एक ग्राम प्रति लीटर पानी के मान से छिड़काव करें। कृषि वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक बीमारी का भी प्रकोप होता है। इस संबंध में किसानों को सलाह दी गयी है कि वे ग्रसित पौधों को खेत से उखाड़कर गड्डों में दबा दें। साथ ही रोग को फैलाने वाली वेक्टर सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु बीटासायफ्लूथ्रीन ़ इमिडाक्लोप्रीड 350 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर को 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। जिन किसानों ने बोनी के तुरंत बाद खरपतवारों के नियंत्रण हेतु अनुशंसित खरपतवार नाशकों का प्रयोग नहीं किया है, उनके लिये कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि वे 15-25 दिन की फसल होने पर खड़ी फसल में अनुशंसित खरपतवार नाशक जैसे क्लोरीम्यूरान इथाइल 36 ग्राम प्रति हेक्टेयर या इमाझेथापायर एक लीटर प्रति हेक्टेयर या क्विजालोफॉप इथाइल एक लीटर प्रति हेक्टेयर या क्विजालोफॉप-पी-टेफूरील एक लीटर प्रति हेक्टेयर या फेनाक्सीफॉप-पी-इथाइल 0.75 लीटर प्रति हेक्टेयर में से किसी एक का 500 लीटर पानी के साथ फ्लड जेट या फ्लेट फेन नोझल का उपयोग कर समान रूप से खेत में छिड़काव करें। जो किसान खडी फसल में इमेझेथापायर अथवा क्विझालोफाॅप इथाईल का प्रयोग करना चाहते है वे इसके साथ क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल कीटनाशक का भी प्रयोग कर सकते है जिससे खरपतवार के साथ साथ पत्ती खाने वाली इल्लियों का नियंत्रण भी हो सकेगा। अधिक वर्षा होने की स्थिति में किसानों को यह भी सलाह दी गयी है कि वे खेत से अतिरिक्त पानी के निकास की व्यवस्था करें।
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