बिहार में पर्यटन का नया केंद्र बन रहा सिमरिया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 23 जुलाई 2017

बिहार में पर्यटन का नया केंद्र बन रहा सिमरिया

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पटना 23 जुलाई, बिहार में पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए सरकार की ओर से जारी गंभीर प्रयासों के बीच वर्ष 2011 में आयोजित अर्द्धकुंभ और अब इस वर्ष होने वाले महाकुंभ की बदौलत बेगूसराय जिले का सिमरिया पर्यटन के नये केंद्र के रूप में उभर रहा है। गंगा किनारे बसे सिमरिया ने 13 अक्टूबर से 17 नवंबर 2011 तक चले अर्द्धकुंभ के दौरान पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। आंकड़े बताते हैं कि इस अर्द्धकुंभ में देश-विदेश से आये करीब 90 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में डुबकी लगाई थी। वहीं, वर्ष 2017 में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले महाकुंभ में दो करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। इसके अलावा यदि सरकार आधारभूत ढांचे का और विकास करे तो सिमरिया सालो भर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रह सकता है। आयोजक संगठन सर्वमंगला विद्वत परिषद् की अभी हाल में हुई संगोष्ठी में वर्ष 2017 के महाकुंभ की तिथियों का निर्धारण कर दिया गया है। 17 अक्टूबर को महाकुंभ का ध्वजारोहण होगा वहीं 18,19, 26 और 31 अक्टूबर तथा 04, 14 एवं 16 नवंबर 2017 को विशेष पर्व स्नान होगा। संगोष्ठी के दौरान गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, जगद्गुरू शंकराचार्य एवं अन्य धर्माचायों की उपस्थिति में महाकुंभ चातुर्मास्य ध्वजारोहण भी किया गया। 


परिषद् ने बताया कि सिमरिया महाकुंभ-2017 के प्रतीक चिन्ह का भी लोकार्पण किया गया। इसमें एक पीतल का कलश है, जिसपर मधुबनी चित्रकारी में समुद्र मंथन का चित्र अंकित है। कलश के नीचे शुभत्व का प्रतीक अल्पना बना हुआ है। कलश के ऊपर आम्र पल्लव एवं पुष्प सुसज्जित है वहीं पीछे की ओर दैदीप्यमान सूर्य की आभा बिखरी है। संगोष्ठी में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से सिमरियाधाम की अत्यधिक महत्ता है। निर्विवाद रूप से यह स्थान समुद्र मंथन की महान ऐतिहासिक घटना से जुड़ा है। यह भी कि आदि कुंभस्थली के रूप में सिमरियाधाम की प्रतिष्ठा है जिसके समस्त प्रमाण उपलब्ध हैं।यह प्रस्ताव भी पारित हुआ कि महाकुंभ दैव निर्धारित और शास्त्र सम्मत है। यह किसी संस्था-संगठन का नहीं बल्कि लोक आयोजन है। यह सत्य है कि बीच के कालखंड में सिमरिया में महाकुंभ की कड़ी टूटी लेकिन कुंभ के अवशेष के रूप में कल्पवास की परंपरा बनी रही। इस लिहाज से सिमरियाधाम एवं प्रकारांतर से बिहार को इसे पुनर्जीवित और पुनर्जागृत करने का गौरव प्राप्त हो रहा है। उल्लेखनीय है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद भी यहां आने वाले घरेलू पर्यटकों की संख्या में 68 प्रतिशत एवं विदेशी पर्यटकों की संख्या में नौ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, यदि महाकुंभ से पहले आधारभूत संरचना को बेहतर बनाकर सिमरिया को भी पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाये तो राज्य में पर्यटकों की संख्या में और इजाफा होने से सरकार के राजस्व में और बढ़ोतरी हो सकती है। 

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