48,000 करोड़ की नवीकरणीय परियोजनाएं संकट में - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 28 अगस्त 2017

48,000 करोड़ की नवीकरणीय परियोजनाएं संकट में

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नयी दिल्ली, 28 अगस्त, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिए जोर शोर से जारी नीलामी प्रक्रिया का इस क्षेत्र पर बुरा असर पड़ रहा है क्योंकि अधिकतर वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) हाल के वर्षों में ऊंची टैरिफ दरों पर हस्ताक्षरित बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) के लिए दोबारा मोलभाव करके कम दर पर नये सिरे से समझौता करना चाहती हैं। क्रिसिल की ताजा शोध रिपोर्ट के मुताबिक उच्च टैरिफ दरों से सौर और पवन क्षेत्र की लगभग 48 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर संकट के बादल मंडरा रहे है। इनमें सौर ऊर्जा की सात गीगावाट की वे परियोजनाएं शामिल हैं, जिनकी निविदा वित्त वर्ष 2015-16 में पांच से आठ रुपये प्रति यूनिट की दर से दी गयी थी। इसके अलावा वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी और चौथी तिमाही के बीच आवंटित पवन ऊर्जा क्षेत्र की दो से तीन गीगावाट की परियोजनायें हैं। अधिकतर डिस्कॉम डेवलपर्स को छूट देने के लिए बाध्य करने के वास्ते भुगतान में देर और ग्रिड कर्टेलमेंट जैसे कदम उठाते हैं। मई 2017 में सौर ऊर्जा की नीलामी टैरिफ दर 2.44 रुपये प्रति यूनिट बोली गयी जबकि मार्च 2016 में 4.43 रुपये प्रति यूनिट की बोली लगी थी। पवन ऊर्जा की नीलामी टैरिफ भी फरवरी 2017 में 3.46 रुपये प्रति यूनिट बोली गयी जो टैरिफ की न्यूनतम दर 4.16 रुपये प्रति यूनिट से भी 17 प्रतिशत कम है। इसी वजह से कई डिस्कॉम कंपनियों ने करीब तीन गीगावाट के लिए किये गये पीपीए समझौतों या लेटर ऑफ इंटेंट को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। इसमें आंध्र प्रदेश की 1.1 गीगावाट क्षमता, गुजरात की 250 मेगावाट क्षमता, कर्नाटक तथा तमिलनाडु की 500-500 मेगावाट क्षमता वाली परियोजनाओं के पीपीए समझौते किये गये। ये समझौते कुछ वर्ष पूर्व मौजूदा नीलामी टैरिफ से कहीं अधिक दर पर किये गये थे।

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