अयोध्या विवाद : पांच दिसम्बर से शुरू होगी अंतिम सुनवाई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 12 अगस्त 2017

अयोध्या विवाद : पांच दिसम्बर से शुरू होगी अंतिम सुनवाई

ayodhya-dispute-the-final-hearing-will-start-from-december-5
नयी दिल्ली,11 अगस्त, उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या के राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की अंतिम सुनवाई पांच दिसम्बर तक के लिए आज स्थगित कर दी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ विभिन्न अपीलों की संयुक्त सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नज़ीर की विशेष पीठ ने कहा कि वह पांच दिसम्बर से इस मामले में अंतिम सुनवाई करेगी। न्यायालय ने हालांकि सभी संबंधित पक्षकारों को आगाह किया कि वह उस दौरान सुनवाई स्थगित करने का किसी भी पक्ष का अनुरोध नहीं मानेगा। सभी पक्षों को इसके लिए जरूरी तैयारी रखनी होगी। मामले की सुनवाई शुरू होते ही सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दलील दी कि कई दस्तावेजों के अनुवाद का काम अब तक नहीं हो पाया है। ये दस्तावेज संस्कृत, फारसी, उर्दू, अरबी और अन्य भाषाओं में हैं। इनके अनुवाद के लिए थोड़े समय की जरूरत है। न्यायालय ने हालांकि, सात वर्ष तक दस्तावेजों का अनुवाद नहीं होने को लेकर नाराजगी भी जतायी। न्यायालय ने इसके लिए सभी पक्ष के वकीलों को 12 सप्ताह की मोहलत दी। उच्चतम न्यायालय में सात साल के अंतराल के बाद इस मामले की सुनवाई आज भोजनावकाश बाद शुरू हुई थी। इस मामले में कुछ समय पहले भारतीय जनता पार्टी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली पीठ से जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 2010 में विवादित स्थल के 2.77 एकड़ क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच बराबर-बराबर हिस्से में विभाजित करने का आदेश दिया था। कुछ महीने पहले न्यायालय ने इस मामले का अदालत से बाहर समाधान निकालने की संभावना तलाशने के लिए कहा था। इसे लेकर विभिन्न पक्षकारों की ओर से प्रयास किए गए, लेकिन समाधान नहीं निकल सका। लिहाजा न्यायालय अब गुण-दोष के आधार पर ही इस विवाद का निपटारा करेगा।

कोई टिप्पणी नहीं: