पटना 31 अगस्त, केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार एक तरफ जहां वर्ष 2019 तक देश को खुले में शौच मुक्त करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है, वहीं इसके विपरीत बिहार की 70 प्रतिशत आबादी की पहुंच अब भी शौचालय तक नहीं है। दिल्ली आधारित अनुसंधान और पक्षसमर्थक संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसई)के नए अध्यययन में यह खुलासा हुआ है कि देश में बिना शौचालय के 6.4 करोड़ परिवारों में से 22 प्रतिशत अकेले बिहार से हैं। जून 2017 तक के लिए गये आंकड़ों के अनुसार , बिहार की 70 फीसदी आबादी को अभी भी शौचालय तक पहुंच नहीं थी। अध्ययन में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि विद्यालयों में पर्याप्त शौचालय की सुविधा नहीं होने के कारण 50 प्रतिशत से अधिक लड़कियां अनुपस्थित रहती हैं। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में अध्ययन के आकड़ों को जारी करते हुए कहा, “ शौचालय बनवाना और इसका उपयोग हो रहा है कि नहीं , यह सुनिश्चित करना दोनों अलग-अलग बातें हैं। लोगों की सोच में बदलाव को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस कदम उठाये जाने की जरुरत है । इनमें उपयोग नहीं किये जा रहे शौचालयों की मरम्मत , पुनर्निर्माण और व्यवहार में बदलाव को प्रोत्साहित करना है।” वहीं पूरे अध्ययन का शोध करने वाली सुष्मिता सेन गुप्ता का कहना है कि इस रिपोर्ट से यह बात साफ हो गयी है कि ग्रामीण स्वच्छता के मामले में बिहार की स्थिति सर्वाधिक खराब है। उन्होंने कहा कि राज्य में अंधाधुंध गति से शौचालयों के निर्माण पर तो जोर दिया जा रहा है, लेकिन यह काम कर रहे हैं या इनका उपयोग हो रहा है या नहीं इसके तरफ ध्यान नहीं दिया गया है । स्वच्छ भारत मिशन के तहत बिहार में निर्मित किये गये 16 लाख शौचालयों में से 50 प्रतिशत का निर्माण 2016-17 में पूरा कर लिया गया है ।
गुरुवार, 31 अगस्त 2017
बिहार की 70 प्रतिशत आबादी की पहुंच अब भी शौचालय तक नहीं : सीएसई
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