नयी दिल्ली 26 अगस्त, हरियाणा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के समर्थकों द्वारा पंजाब और हरियाणा सहित कई स्थानों पर हिंसा एवं उसके बाद की स्थिति काे लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने फिलहाल चुप्पी साध ली है और पार्टी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बारे में ‘देखो और प्रतीक्षा करो’ की नीति अपना रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी मुख्यालय में महासचिव अनिल जैन और कैलाश विजयवर्गीय के साथ आज हरियाणा की स्थिति पर विचार -विमर्श किया। सूत्रों के अनुसार पार्टी एवं केन्द्र सरकार हरियाणा में हिंसा राेक पाने की विफलता को लेकर नाराज़ है। बताया गया है कि श्री शाह ने हरियाणा की स्थिति को लेकर कल रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। श्री मोदी ने भी हरियाणा में हिंसा होने को लेकर नाराज़गी व्यक्त की थी। दरअसल हरियाणा की घटनाओं को लेकर राज्य सरकार के साथ- साथ केंद्र सरकार एवं भाजपा की भी फजीहत हो रही है। इसका एक कारण पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की हरियाणा सरकार को लेकर की गयी वह टिप्पणी भी है , जिसमें अदालत ने कहा कि उसने राजनीतिक लाभ के लिये पंचकुला को जलने के लिये छोड़ दिया। उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं करने पर भी राज्य सरकार अदालत के निशाने पर है। पार्टी का एक तबका यह भी महसूस करता है कि गुरमीत राम रहीम मामले में पंचकुला में उसके सैकड़ों समर्थकों के आकर हिंसा करने से रोकने में राज्य सरकार के साथ साथ उच्च न्यायालय भी कहीं न कहीं जिम्मेदार है। बीते तीन चार दिनों में उच्च न्यायालय कई बार कटु टिप्पणियां की हैं। उसका कहना था कि पुलिस महानिदेशक को अगर अदालत में छह-छह घंटे बैठा लिया जायेगा तो वह काम कैसे करेंगे। पार्टी के इस तबके काे लगता है कि उच्च न्यायालय की अतिसक्रियता एवं कटु टिप्पणियों से एक अतिसंवेदनशील मामले काे निपटाने में मुश्किल आ रही है। उनका मानना है कि पूर्व में बाबा रामपाल के मामले की तुलना में वह गुरमीत राम रहीम के मामले में आरोपी बाबा को डेरा से निकाल कर अदालत तक लाने में कामयाब रही। पार्टी के कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि डेरा समर्थकों ने जितनी तैयारी की थी, उस स्तर पर वे हिंसा करने में कामयाब नहीं हो पाये। उनका कहना है कि इस दौरान जो भी मारे गये हैं, उनमें कुछ को छोड़ कर अधिकतर डेरा समर्थक उपद्रवी लोग हैं। मरने वालों में महिलायें या बच्चे नहीं हैं। पार्टी नेतृत्व ने इन सब पहलुओं पर विचार करने के बाद तय किया है कि वह 28 अगस्त को डेरा प्रमुख को सज़ा सुनाये जाने के बाद की स्थिति को देखेगा और तब समग्रता से खट्टर सरकार की कार्रवाई का आकलन करेगा। तब तक काेई सार्वजनिक बयान नहीं दिया जायेगा। पार्टी नेतृत्व काे लगता है कि मुख्यमंत्री श्री खट्टर को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाना चाहिये। इससे पहले केवल एकतरफा ढंग से कार्रवाई नहीं की जा सकती है। पार्टी के नेताओं ने गुरमीत राम रहीम को लेकर लोकसभा सांसद साक्षी महाराज के बयानों पर भी गोलमोल रुख अपनाया है। वे साक्षी महाराज के बयानों का खंडन, निंदा या पुष्टि तीनों से बचने का प्रयास कर रहे हैं। दिन में श्री खट्टर को आलाकमान द्वारा तलब किये जाने की खबरों का शाम को पार्टी के नेताओं ने खंडन कर दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को कभी तलब नहीं किया गया।
रविवार, 27 अगस्त 2017
हरियाणा की स्थिति पर भाजपा ने अपनायी ‘देखो एवं प्रतीक्षा करो’ की नीति
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