सीएनटी एसपीटी संशोधन विधेयक का मुद्दा समाप्त, विपक्ष न मचाये हायतौबा : रघुवर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 10 अगस्त 2017

सीएनटी एसपीटी संशोधन विधेयक का मुद्दा समाप्त, विपक्ष न मचाये हायतौबा : रघुवर

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रांची 10 अगस्त, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज विधानसभा में कहा कि छोटानागपुर काश्तकारी (सीएनटी) और संतालपरगना काश्तकारी (एसपीटी) अधिनियम संशोधन विधेयक का मुद्दा अब खत्म हो गया है इसलिए विपक्षी दलों को इस पर हाय-तौबा मचाने की जरूरत नहीं है। श्री दास ने कहा कि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सीएनटी-एसपीटी अधिनियम संशोधन विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया है। यदि सरकार इसे दुबारा सदन में लाती तो चर्चा की जरूरत होती। उन्होंने कहा कि इस संशोधन विधेयक पर भम्र की स्थिति उत्पन्न किये जाने के कारण जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) की बैठक में भी कई सुझाव आये। इसके बाद राज्य मंत्रिपरिषद ने भी इस पर फैसला ले लिया है और इससे सभी अवगत है। इससे पहले आज मॉनसून सत्र के तीसरे दिन पूर्वाह्न 11 बजे सभा की कार्यवाही शुरु होने पर नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय के हवाले से आज अखबारों में खबर छपी है कि राज्य सरकार ने सीएनटी-एसपीटी अधिनियम संशोधन विधेयक को वापस ले लिया गया है। इस खबर पर राज्यभर में लोग खुशियां मना रहे हैं। लेकिन सरकार को सदन में यह स्पष्ट करना चाहिए कि इस संशोधन विधेयक को निरस्त कर दिया गया है या अभी पुनर्विचार किया जाना बाकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मीडिया को ढाल बनाकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न करने की कोशिश में जुटी है। श्री सोरेन ने कहा कि उन्हें खबर छपने से थोड़ी राहत मिली थी लेकिन अंदरखाने में कुछ और चल रहा है। फिर से संशोधन विधेयक लाने की तैयारी हो रही है और अभी मुद्दे को डायवर्ट करने की कोशिश की गयी और दूसरे माध्यम से जमीन देकर व्यापारियों की मदद की कोशिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि सीएनटी-एसपीटी अधिनियम में संशोधन से सरकार ने लोगों का सिर्फ हाथ पकड़ने का काम किया था लेकिन अब भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में संशोधन के माध्यम से सीधे गला ही पकड़ने की कोशिश की जा रही है। 


वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के स्टीफन मरांडी ने कहा कि कल विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने इस मुद्दे पर राज्यपाल द्वारा भेजे गये संदेश को सभा में पढ़ कर सुनाया, जिसमें सीएनटी-एसपीटी अधिनियम संशोधन विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस भेजने की बात की गयी थी जबकि सदन के बाहर सरकार का बयान आया कि इस संशोधन विधेयक को वापस ले लिया गया। यह बयान दिग्भ्रमित करने वाला है। उन्होंने कहा कि अभी एक पुराना घाव भरा भी नहीं था कि सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन कर बहुफसली भूमि का अधिग्रहण करने की योजना बनायी है, जिसे निरस्त करना चाहिए। संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ने कहा कि सरकार ने तय कर लिया है कि इस संशोधन विधेयक को अब इस रूप में पेश नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार इस संशोधन विधेयक पर विचार करेगी लेकिन यह नहीं कह सकती कि कभी संशोधन विधेयक नहीं लाया जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार तय करेगी कि इस विधेयक को सदन के समक्ष लाना है या नहीं। श्री राय के इस बयान से भी विपक्षी सदस्य शांत नहीं हुए और वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह सदन के एक-एक सदस्य को आश्वस्त करना चाहते है कि उनकी भावना का ख्याल रखा जाएगा इसलिए सभी सदस्य सदन को सुचारू रुप से चलाने में सहयोग करें। स्पीकार के समझाने पर वेल में आकर नारेबाजी कर रहे झामुमो सदस्य वापस अपने स्थान पर जाकर बैठ गये। 

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले तीन सत्र से सदन की कार्यवाही नहीं चल रही है, इससे लोकतंत्र कलंकित हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आज भी इस बात पर अडिग है कि सीएनटी-एसपीटी अधिनियम में जो संशोधन हुआ था, वह यहां के लोगों के हित के लिए जरूरी था। उन्होंने यह भी चुनौती दी कि कोई भी यह सिद्ध कर बताये कि उद्योगपतियों के लिए जमीन अधिग्रहण की कोशिश की गयी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वर्ष 1996 में एकीकृत बिहार में जब झामुमो के समर्थन से राजद की सरकार चल रही थी, तब इस अधिनियम में संशोधन कर जमीन देने की कोशिश की गयी थी। श्री दास ने कहा कि सभी राजनीतिक दल और संगठनों ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी, इस पर गहन चिंतन-मनन हुआ। टीएसी की बैठक में भी सुझाव आया लेकिन कुछ राष्ट्र विरोधी शक्तियों द्वारा भ्रम उत्पन्न करने की कोशिश की गयी, जिसके कारण राज्यपाल ने संशोधन विधेयक को पुनर्विचार के लिए वापस किया। मुख्यमंत्री के वक्तव्य से नाराज विपक्षी सदस्य फिर से वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत ने भी कहा कि मुख्यमंत्री के वक्तव्य से सरकार की मंशा स्पष्ट हो गयी है, विपक्ष के दबाव के कारण ही यह विधेयक वापस हुआ है। विधानसभा अध्यक्ष ने हंगामा कर रहे झामुमो सदस्यों को समझाने की कोशिश की लेकिन सदन में शोर-शराबा जारी रहने के कारण पूर्वाह्न 11.42 बजे सभा की कार्यवाही अपराह्न 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12.30 बजे सभा की कार्यवाही दुबारा शुरु होने पर सदन की कार्यवाही व्यवस्थित तरीके से चली और ध्यानाकर्षण सूचना पर सवाल-जवाब हुआ। 

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