बिहार : विकास के केन्द्र में वंचितों को देनी होगी प्राथमिकता, - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 5 अगस्त 2017

बिहार : विकास के केन्द्र में वंचितों को देनी होगी प्राथमिकता,

  • वर्तमान माॅडल से नौजवानों में बढ़ी कुंठा व हताशा-प्रो॰ डी॰एम॰ दिवाकर, पटना लाॅ काॅलेज में ए॰आई॰एस॰एफ॰ ने किया सेमिनार आयोजित। हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता हुए शामिल।

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पटना काॅलेज:- विकास के वर्तमान माॅडल से नौजवानों मंे कुंठा व हताशा बढ़ी है। जो कि एक खतरनाक स्थिति की तरफ देश को ले जाएगी। देश के 50 करोड़ युवा आबादी इस धरती को अपनी धरती समझें इस दिशा में सरकार को अपनीनीति केन्द्रित करनी होगी। भारत आज की तारीख मंे अमेरिका, जापान एवं यूरोपीय देश की तुलना में युवा मुल्क है लेकिन इसका उपयोग व इन पर संकेन्द्रित नीति बनाने के पक्ष में सरकार का कोई ध्यान नहीं हैं जिनके पास ज्ञान है उनके पास प्रमाण-पत्र नहीं है लेकिन जिनके पास प्रमाण-पत्रा है उनके पास ज्ञान नहीं है यदि कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए। ये बातें ए॰एन॰ सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो॰ डी॰एम॰ दिवाकर ने कही। प्रो॰ दिवाकर ने कहा कि आज लोकतंत्र पर भी खतरा मंडरा रहा है। बिना बहस के नोटबंदी की गयी, योजना अयोग को बंद कर दिया गया। नोटबंदी की वजह से करोड़ों लोग बेरोजगार हुए। मेक इन इंडिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये कैसा मेक इन इंडिया जिसमें विदेशी पूंजी के आने की बात की जाती है। मजबूत राष्ट्र के लिए जमीनी तौर पर कर के भी दिखाना होगा न कि खोखले वादे। रोहित वेमुला को आत्महत्या करनी पड़ती है, नजीब को खोजने में सरकार विफल है और कन्हैया को देशद्रोही करार दिया गया। वे ”युवाओं के समक्ष शिक्षा व रोजगार की चुनौतियाँ“ विषय पर ए॰आई॰एस॰एफ॰, पटना लाॅ काॅलेज इकाई द्वारा आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे। उन्होंने विकास के केन्द्र में आर्थिक तौर पर वंचित लोगों को प्राथमिकता देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि सरकार कहती है कि स्वीडन कैशलेस इकोनाॅमी बन सकता है तो भारत क्यों नहीं? जबकि यह भी सवाल उठना चाहिए कि क्यूबा पूर्ण साक्षर हो सकता है तो भारत क्यों नहीं?

अध्यक्षता करते हुए पटना हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष सह वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कहा कि लंबी लड़ाई के बाद ‘शिक्षा’ नीति-निर्देशक तत्व से मौलिक अधिकार वाले खंड में लाया गया। बावजूद इसको सीमित अर्थों मंे ही रखा गया है। उन्होंने कहा शिक्षा व रोजगार की स्थिति को भयावह बताते हुए लीगल पहलुओं की चर्चा की तथा इसके माध्यम से भी लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि अधिवक्ता रामजीवन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा में हमारी तादाद बढ़ी है लेकिन अभी भी काफी कम है। आगत अतिथियों का स्वागत काॅलेज के प्राचार्य प्रो॰ राकेश वर्मा ने किया। मौके पर मौजूद ए॰आई॰एस॰एफ॰ के राज्य सचिव सुशील कुमार ने कहा कि प्रतिरोध की संस्कृति को जिन्दा रखना अनिवार्य शर्त है। खासकर जिस तरीके से हमने बढ़े हैं और सार्वजनिक उपक्रमों को कमजोर किया गया है नई पीढ़ी में इस तरह के कार्यक्रमों को चलाना होगा। मंच संचालन ए॰आई॰एस॰एफ॰ लाॅ काॅलेज इकाई के अध्यक्ष मंगल राज ने किया। जबकि अतिथियों का परिचय लाॅ काॅलेज सचिव विजय कुमार विमल ने कराया। इस मौके पर काॅलेज के शिक्षक प्रो॰ वीरेन्द्र कुमार, ए॰आई॰एस॰एफ॰ जिलाध्यक्ष राजीव किशोर, जिला सचिव सुशील उमाराज पीयू अध्यक्ष राकेश प्रसाद कुशवाहा, पीयू सचिव संदीप कुमार, जिला सह सचिव अमित कुमार सिंह, पीयू सह सचिव सोनी कुमारी, जिला उपाध्यक्ष जन्मेजय कुमार, पंकज कुमार, पटना महानगर छात्र नेता बिर्जुन कुमार भारती, विक्रांत कुमार, राजेश कुमार, हेमंत कुमार आदि मौजूद थे।

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