जतिवाद, आतंकवाद, गरीबी व भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिये संकल्प लेने का वक्त है यह : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 15 अगस्त 2017

जतिवाद, आतंकवाद, गरीबी व भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिये संकल्प लेने का वक्त है यह : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू

वर्ष 2022 तक नये भारत के निर्माण का संकल्प लें। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डा0 राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेदकर, सरदार भगत सिंह समेत उन सभी महान विभूतियों के प्रति श्रद्धा अर्पित करती हूँ, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। शासन में जन-भागीदारी, भ्रष्टाचार उन्मूलन, कृषि व आधारभूत संरचना का विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, पिछड़ों, दलितों व वंचितों का कल्याण, महिला सशक्तिकरण आदि लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास जारी है। जन-आकांक्षाओं के अनुरूप समावेशी व न्यायोचित विकास सरकार की प्राथमिकता है। एतिहासिक पुलिस लाईन मैदान, दुमका में राज्यवासियों को संबोधित करते हुए राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने उपरोक्त बातें कही। 

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दुमका (अमरेन्द्र सुमन) स्वच्छ भारत, गरीबी मुक्त भारत, भ्रष्टाचार मुक्त भारत, आतंकवाद मुक्त भारत, सम्प्रदायवाद मुक्त भारत, जातिवाद मुक्त भारत के निर्माण का प्रण लें। नये भारत के निर्माण के इस संकल्प की सिद्धि के लिए पूरी तन्मया से जुट जाने की आवश्यकता है ताकि तीव्र गति से प्रगति के मार्ग को प्रशस्त किया जा सके। स्वतंत्रता दिवस की 70 वीं वर्षगांठ को ‘संकल्प पर्व’ के रूप में मनाने का संकल्प लिया गया है। सभी जानते है कि 1942 में स्वतंत्रता सेनानियों ने एक संकल्प लिया था, भारत छोड़ो का और 1947 में वह महान संकल्प सिद्ध हुआ, भारत स्वतंत्र हुआ। वर्ष 2022 तक नये भारत के निर्माण का संकल्प लें। झारखण्ड की धरती वीर सपूतों की धरती रही है, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। बिरसा मुण्डा, सिदो, कान्हू, चाँद, भैरव, नीलाम्बर, पीताम्बर, बुधु भगत जैसे वीरों के संघर्ष व बलिदान का ही परिणाम है कि आज हम खुली हवा में विचरण कर रहे हैं। उनकी वीर गाथा हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं। राष्ट्रीय पर्व की इस सुखद बेला में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डा0 राजेन्द्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेदकर, सरदार भगत सिंह समेत उन सभी महान विभूतियों के प्रति असीम श्रद्धा अर्पित करती हूँ, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। विश्व के मानचित्र पर एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत उदय उपरोक्त के ही तप त्याग व संधर्ष का परिणाम है। उप राजधानी दुमका के एतिहासिक पुलिस लाईन मैदान में 71 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राज्यवासियों को संबोधित करते हुए उपरोक्त बातें राज्यपाल, झारखण्ड द्रौपदी मुर्मू ने कहा। राज्यपाल ने कहा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा प्रदान की और एक मजबूत स्वतंत्र भारत की बुनियाद रखी। बापू ने न केवल विदेशी सत्ता से आजादी दिलायी बल्कि रूढिवादी़ सामाजिक बंधनों से भी मुक्ति दिलायी जिनसे हमारा समाज सदियों से जकड़ा हुआ था। गाँधी जी ने सहनशीलता व आत्मसंयम पर आधारित स्वशासन-स्वराज्य का भरोसा दिलाया। कत्र्तव्य व लक्ष्य के प्रति निष्ठा व ईमानदारी तथा व्यापक हित के लिए परित्याग की भावना से ही गाँधी जी का सपना साकार हो सकता है। 


राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि शहीदों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए शहीद ग्राम विकास योजना के तहत् राज्य के वीर सपूतों यथा भगवान बिरसा मुण्डा, वीर बुधु भगत, सिद्धो-कान्हो व चाँद-भैरव, नीलाम्बर-पीताम्बर इत्यादि की जन्म भूमि के समग्र विकास का निर्णय लिया गया है। पिछले 70 वर्षों से हम भारत को एक महान एवं सर्व शक्तिमान राष्ट्र बनाने के सपने को पूर्ण करने की दिशा में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इस अवसर पर हम सभी को चिन्तन करना चाहिये कि राष्ट्र के निर्माण में हम किस प्रकार अधिक-से-अधिेक योगदान दे सकते हैं। झारखण्ड का देश के स्वतंत्रता संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मुझे विश्वास है कि झारखण्ड के सभी नागरिक राज्य एवं राष्ट्र को सुन्दर, समृद्ध और वैभवशाली बनाने के लिए लगातार प्रयत्नशील रहेंगे। सरकार राज्य के समग्र विकास व जन-कल्याण के प्रति सचेष्ट है। शासन में जन-भागीदारी, भ्रष्टाचार उन्मूलन, कृषि व आधारभूत संरचना का विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, पिछड़ों, दलितों व वंचितों का कल्याण, महिला सशक्तिकरण आदि लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास जारी है। जन-आकांक्षाओं के अनुरूप समावेशी व न्यायोचित विकास सरकार की प्राथमिकता है। 

राज्यपाल ने कहा किसानों की खुशहाली व समृद्धि राज्य के विकास का आधार है। राज्य में केले की खेती की असीम संभावनाओं को देखते हुए संताल परगना प्रमण्डल अन्तर्गत साहेबगंज जिला में इसकी खेती आरम्भ की गई है। प्रारम्भिक तौर पर 100 कृषकों को केले की खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया है। भविष्य में संथाल परगना क्षेत्र केले की खेती में अपनी एक अलग पहचान बनायेगा ऐसा विश्वास है। राज्य के सभी जिलों के सभी प्रखण्डों में तीन दिवसीय ‘‘किसान मेला-सह-प्रखण्ड कृषि जागृति अभियान, 2017’’ का आयोजन किया गया ताकि किसानों को एक ही स्थान पर लाभकारी योजनाओं की पूरी जानकारी मिल सके तथा सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ किसानो तक पहँुचाया जा सके। बायफ के माध्यम से संथाल परगना प्रमण्डल अन्तर्गत विभिन्न जिलों में 280 डेयरी पशु विकास केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। राज्य के कुल 10, 000 मत्स्य कृषकों को मछली पालन हेतु तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। झारखण्ड मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चुका है। संताल परनगा क्षेत्र में सड़कों की स्थिति में सुधार के तहत प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनान्तर्गत 281 पथ एवं 41 पुल निर्माण का कार्य प्रगति पर है। मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजनान्तर्गत भी इस वित्तीय वर्ष में 11 पुलों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गयी है। इस वित्तीय वर्ष में 954 कि0मी0 पथ का निर्माण करते हुए 386 बसावटों को जोड़ने का भी लक्ष्य निर्धारित है। दुमका में मयूराक्षी नदी पर उच्चस्तरीय पुल के निर्माण हेतु स्वीकृति प्रदान की गई है। 


राज्यपाल ने कहा राज्य के आर्थिक रूप से अक्षम वृद्धों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने एवं प्रमुख तीर्थ स्थलों के दर्शन हेतु सरकार द्वारा ’मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना’ संचालित की जा रही है। इस योजनान्तर्गत दुमका प्रक्षेत्र के गरीबी रेखा के नीचे के 1000 (एक हजार) वरिष्ठ नागरिकों को प्रमुख तीर्थ स्थल यथा हरिद्वार एवं ऋषिकेश की यात्रा करायी गयी। झारखण्ड में औद्योगिक विकास के उद्देश्य से ‘‘मेक इन इंडिया’’ के तर्ज पर मेक इन झारखण्ड की शुरूआत की गई है ताकि झारखण्ड के होनहार युवक-युवतियों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। इसके फलस्वरूप झारखण्ड में अनुकूल औद्योगिक एवं व्यापारिक वातावरण तैयार हुआ है तथा यहाँ के औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आयी है। झारखण्ड में निजी पूंजी-निवेश को बढ़ावा देने की दृष्टिकोण से राज्य में दो नये निजी विश्वविद्यालयों यथा एमिटी यूनिवर्सिटी झारखण्ड व आइसेक्ट यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई है। इस वर्ष पुनः तीन नये विश्वविद्यालय यथा-सरला बिरला विश्वविद्यालय, वाई.बी.एन. विश्वविद्यालय तथा अरका जैन विश्वविद्यालय की स्थापना करने से संबंधित अधिनियम को स्वीकृति प्रदान की गई है। राज्य में महाविद्यालयों की संख्या राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। इस ओर सरकार द्वारा गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में कुल 30 महाविद्यालय जिसमें 11 महिला महाविद्यालय, 12 माॅडल महाविद्यालय, 7 डिग्री महाविद्यालय की स्वीकृति देते हुए कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इन 30 काॅलेजों में से 10 महिला महाविद्यालयों में वैकल्पिक व्यवस्था करते हुए पठन-पाठन का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है तथा इस वर्ष 6 अन्य महाविद्यालयों में पठन-पाठन का कार्य शुरु किया जा रहा है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य हमारी मूलभूत आवश्यकता है। शिक्षा के विकास हेतु सरकार द्वारा हर स्तर पर प्रयास जारी है। शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने तथा राज्य में शिक्षा-व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु 280 ़2 विद्यालयों की स्थापना की गई है। नेतरहाट विद्यालय/ इंदिरा गाँधी विद्यालय की तर्ज पर संथाल परगना प्रमण्डल के दुमका जिला में भी आवासीय विद्यालय स्थापित किया जा रहा है।

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा झारखण्ड के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध कराने हेतु हमारी सरकार कृतसंकल्प है। शिशु-स्वास्थ्य, मातृत्व-स्वास्थ्य, टीकाकरण, पोषण इत्यादि पर सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आदिम जनजातियों के स्वास्थ्य एवं जीवन को सुरक्षित रखने के लिए संथाल परगना क्षेत्र में ‘पहाड़िया विशेष स्वास्थ्य योजना’ के अंतर्गत 18 पहाड़िया उप स्वास्थ्य केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। ‘आदिम जनजाति बिरसा आवास योजना’ के तहत इन्हें आवास की सुविधा भी उपलब्ध करायी जा रही है।  महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए हमारी सरकार ने एक अभिनव प्रयास किया है जिसके तहत् महिलाओं के पक्ष में निष्पादित 50 लाख रुपये मूल्य तक की भूमि/ सम्पत्ति के विक्रय विलेखों पर मात्र एक रुपये टोकन राशि के रूप में मुद्रांक शुल्क लेकर निबंधन शुल्क में पूर्ण विमुक्ति दी गई है। महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में सरकार की इस योजना के दूरगामी परिणाम होंगे। सभी आँगनबाड़ी केन्द्रों में स्वच्छ गैस एवं स्टोव की आपूर्ति की कार्रवाई की जा रही है। इस योजना से आँगनबाड़ी केन्द्रों में स्वास्थ्यकर वातावरण उपलब्ध कराने में सहायता मिलेगी।

उन्होंने कहा संथाल परगना क्षेत्र में मानकी-मुण्डा व्यवस्था को मान्यता प्रदान करते हुए हमारी सरकार द्वारा मानकी, मुण्डा/ग्राम प्रधान, डाकुवा के सम्मान राशि में दोगुने की वृद्धि करते हुए मानकी को 3000/- रुपये प्रतिमाह, मुण्डा/ ग्राम प्रधान को 2ए000/- रुपये प्रतिमाह तथा डाकुवा को 1ए000/- रुपये प्रति माह सम्मान राशि के रुप में प्रदान किया जा रहा है। जल, जंगल, जमीन झारखण्ड की सामाजिक सांस्कृतिक पहचान है तथा यहाँ के जनजातियों के जीवन का हरेक पहलू जंगल से जुड़ा हुआ है। हमारी सरकार द्वारा जनजातीय संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए वन अधिकार अधिनियम के तहत् देवघर, जामताड़ा, दुमका, गोड्डा, पाकुड़ एवं साहेबगंज जिले में लगभग 2180 हे0 भूमि ग्रामीणों के मौलिक अधिकारों हेतु उपलब्ध कराया गया है, ताकि उनकी आजीविका सुदृढ़ हो सके। महात्मा गाँधी के सच्चे अनुयायी टाना भगतों को मुख्यधारा में लाने एवं इनके सर्वांगीण विकास हेतु टाना भगत विकास प्राधिकार का गठन किया गया है तथा इसके निमित्त चालू वित्तीय वर्ष में 10 करोड़ रुपये का बजट उपबंध किया गया है। संथाल परगना क्षेत्र के हमारे आदिवासी भाई बन्धुओं का साहुकारों द्वारा लम्बे समय तक शोषण किया जाता रहा है। हमारी सरकार ने झारखण्ड की भोली-भाली जनता को साहुकारों के चंगुल से मुक्त करने के लिए झारखण्ड निजी साहुकारी अधिनियम, 2016 पारित किया है जिससे अब बिहार साहुकारी अधिनियम, 1974 समाप्त हो गया है। अब बैंकों को छोड़कर कोई व्यक्ति नगद या वस्तु के रूप में बंधक रखने संबंधी साहुकारी का व्यवसाय नहीं कर सकेगा।

झारखण्डवासियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेवारी है और हमारी सरकार इस दिशा में सघन प्रयास भी कर रही है। पाकुड जिला के लिट्टीपाड़ा प्रखण्ड को पूर्णतः पाईप जलापूर्ति से आच्छादित करने हेतु हमारी सरकार द्वारा 217 करोड़ रुपये की योजना का शुभारम्भ किया गया है। इससे इस क्षेत्र की फ्लोराईड प्रभावित आबादी भी आच्छादित हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने हेतु वर्ष 2017-18 में संथाल परगना क्षेत्र में कुल 17 वृहद् ग्रामीण एवं 765 लघु पाईप जलापूर्ति योजनायें स्वीकृत एवं कार्यान्वित की जा रही है। झारखण्ड विकास के पथ पर अग्रसर है और विकास की इस यात्रा में हमारी सरकार सबको साथ लेकर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही है। कल्याणकारी योजनाओं का समुचित लाभ लक्षित समूहों तक पहुँचे, इसके लिए आवश्यक है कि प्रशासन चुस्त-दुरूस्त, संवेदनशील एवं पारदर्शी हो। अंतिम व्यक्ति तक विकास का लाभ पहँुचाकर उसके चेहरे पर मुस्कान लाने में सफल हों, यही हमारे लोकतंत्र की सही मायने में जीत होगी।

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