नयी दिल्ली 22 अगस्त, केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जितेन्द्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ को स्वास्थ्य क्षेत्र से जोड़ने पर बल देते हुए आज कहा कि 21वीं सदी के भारत की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए सार्वजनिक - निजी भागीदारी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। डॉ. सिंह ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि संपूर्ण भारतीय समाज बड़ी तेजी से विकास कर रहा है और भारत भी वैश्विक दुनिया का हिस्सा बन रहा है। इसका स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था सहित जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा है। एक ओर मधुमेह और हृदय से जुड़ी बीमारियां ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ रही हैं, जो पहले शहरी आबादी तक सीमित थीं, वहीं दूसरी ओर इलाज के आधुनिक तरीके केवल शहरों और बड़े कस्बों तक ही सीमित हैं, जिसके कारण 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी केवल देश की एक तिहाई अस्पताल सुविधाओं का ही लाभ उठा पाती है और 60 करोड़ से अधिक लोग देश में किफायती स्वास्थ्य देखभाल से वंचित हैं। निजी क्षेत्र को महत्वपूर्ण बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत जैसे विविधता वाले देश के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं अभी भी अत्यधिक प्रासंगिक है। इसे देखते हुए उन्होंने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य देखभाल संस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय का आग्रह किया। डॉ. सिंह ने पूर्वोत्तर के अनुभव का हवाला दिया कि जहां उन्होंने देश के प्रमुख कॉरपोरेट क्षेत्र के अस्पताल समूहों को स्थान की व्यावहारिकता के आधार पर ओपीडी क्लिनिक या जांच केन्द्र अथवा संपूर्ण अस्पताल सहित विभिन्न स्तर के स्वास्थ्य देखभाल केन्द्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
मंगलवार, 22 अगस्त 2017
‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम से स्वास्थ्य क्षेत्र को जोड़ना जरूरी: जितेंद्र
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