‘करेंगे और करके रहेंगे’- मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 10 अगस्त 2017

‘करेंगे और करके रहेंगे’- मोदी

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नयी दिल्ली 09 अगस्त, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से देश को भ्रष्टाचार, गरीबी और अशिक्षा जैसी समस्याओं से मुक्त करने और महान स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने के लिए ‘ करेंगे और करके रहेंगे’ का संकल्प लेने का आह्वान किया है। श्री मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर लोकसभा में अपने संबोधन में आज कहा कि महात्‍मा गांधी ने ‘ करो या मरो ’ का नारा दिया था और ‘करेंगे या मरेंगे’ एक सूत्र वाक्य बन गया था । उन्होंने कहा कि पांच साल बाद 2022 में आजादी की 75 वीं वर्षगांठ तक भारत को स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों के अनुरूप बनाने के लिए हमें दृढ़संकल्‍प के साथ काम करना होगा। इसके लिए विभिन्न समस्याओं से निजात पानी होगी और यह तभी हो सकता है, जब सभी सवा सौ करोड़ देशवासी ‘करेंगे और करके रहेंगे’ के संकल्प के साथ आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि सभी को इस दृढ़ निश्चय के साथ चलना होगा कि ‘ हम सब मिल करके देश से भ्रष्‍टाचार दूर करेंगे और करके रहेंगे। हम सभी मिलकर गरीबों को उनका अधिकार दिलाएंगे और दिलाकर रहेंगे। हम सभी मिलकर नौजवानों को स्‍वरोजगार के और अवसर देंगे और देकर रहेंगे। हम सभी मिलकर देश से कुपोषण की समस्‍या को खत्‍म करेंगे और करके रहेंगे। हम सभी मिलकर महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकने वाली बेड़ियों को खत्‍म करेंगे और करके रहेंगे। हम सभी मिलकर देश से अशिक्षा खत्‍म करेंगे और करके रहेंगे। ’ प्रधानमंत्री ने कहा,“ अगर उस समय का मंत्र था करेंगे या मरेंगे, तो आजाद हिन्‍दुस्‍तान में 75 साल बाद जब हम आजादी का पर्व मनाने की ओर आगे बढ़ रहे हैं तब ‘करेंगे और करके रहेंगे’, इस संकल्‍प को ले कर हम आगे बढ़ेंगे। यह संकल्‍प किसी दल का नहीं, यह संकल्‍प किसी सरकार का नहीं, यह संकल्‍प सवा सौ करोड़ देशवासी, सवा सौ करोड़ देशवासियों के जन-प्रतिनिधियों, इन सबका मिल करके एक संकल्‍प बनेगा तो मुझे विश्‍वास है कि इस संकल्‍प से सिद्धि होगी। ” उन्होंने कहा कि 2017 से 2022 तक के पांच साल में आजादी के दीवानों के सपने पूरा करने का उचित समय है और इसमें हम प्रेरणा के साथ आगे बढ़ें। श्री मोदी ने जनप्रतिनिधियों से कहा कि अगस्‍त क्रांति दिवस पर उन महापुरुषों के त्‍याग, तपस्‍या, बलिदान का स्‍मरण करते हुए हम सब मिल कर कुछ बातों पर सहमति बना कर देश को नेतृत्‍व दें और उसे समस्‍याओं से मुक्‍त करें।

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