- भाकपा-माले के जनकन्वेंशन में जुटे शहर के बुद्धिजीवी व 74 आंदोलन के नेता., कहा - भाजपा-जद(यू) के अवैध शासन के खिलाफ एकताबद्ध संघर्ष का लिया संकल्प.
- 8 सूत्री राजनीतिक प्रस्ताव पर आगामी दिनों में आंदोलन का लिया गया निर्णय.
पटना 8 अगस्त, जनोदश से विश्वासघात, उन्माद-उत्पात की राजनीति व लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ आज भाकपा-माले द्वारा भारतीय नृत्य कला मंदिर में जनकन्वेंशन का आयोजन किया गया. जनकन्वेंशन को संबोधित करते हुए माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा व संघ परिवार के कुचक्र को जोड़-तोड़ की राजनीति से नहीं बल्कि वामपंथियों की व्यापक एकता व प्रत्याक्रमण में और अधिक गति लाकर ही मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता है. ये ताकतें जितनी तेजी से देश व समाज के माहौल को दूषित कर रही हैं, हमें उसी तेजी के साथ जनता के हक-अधिकार के एजेंडे व संघर्ष को सामने लाना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार की जनता से विश्वासघात करते हुए भाजपा को बिहार की सत्ता में ला दिया है. यह सबकुछ बहुत तेजी से हुआ, इसमें इतनी तेजी रखी गयी कि जनता कुछ समझ न सके. इस विश्वासघात से बिहार की जनता गहरे आघात का शिकार हुई है. भाजपाइयों के दुष्चक्र में बिहार को भी अब समेट लिया गया है और सत्ता में आते ही इन ताकतों ने भोजपुर में अपना उन्माद-उत्पात का कारोबार शुरू कर दिया है. भाजपा-संघ ने बिहार में उस भोजपुर को अपना निशाना बनाया है, जो लंबे समय से वामपंथी आंदोलन का माॅडल रहा है. रणवीर सेना और जनसंहार रचाकर दलित-गरीबों के उभार को रोक पाने में सामंती-सांप्रदायिक ताकतें असफल रहीं, तो अब गाय के नाम पर हिंदु-मुसलमान का तनाव पैदा करने व सामाजिक विभाजन में लग गयी हैं. जो कल तक पूरे देश में हो रहा था, आज वह बिहार में भी हो रहा है. इसके लिए बिहार की जनता नीतीश कुमार को कभी माफ नहीं करेगी.
उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ नोटबंदी, जीएसटी आदि जैसे कानूनों के जरिए अंबानी-अडानी और बाबा रामदेव की सेवा में ये सरकारें मस्त हैं, तो दूसरी ओर जनता की जिंदगी में जहर घोलने का भी काम कर रही हैं. हमारे हुक्मरान नहीं चाहते कि लोग अपने हक-अधिकार, शिक्षा-रोजगार के बारे में सोचे और सरकार से सवाल करें. इसलिए वे जनता पर दोतरफा हमला कर रहे हैं. एक तरफ पूंजीपतियों को भारी मदद करके और दूसरी ओर जनता में गाय, धर्म आदि के नाम पर विभाजन पैदा करके. इस सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ हमें लोकतंत्र व जिंदगी के हर सवालों पर लड़ाई लड़नी होगी. यह भी कहा कि स्वच्छता अभियान के नाम पर दलित-गरीबों-महिलाओं को उत्पीड़ित-अपमानित किया जा रहा है. लेकिन यह सब नहीं होने दिया जाएगा. जहां भी इस तरह के अपमान की घटना होगी हमारी पार्टी बीडीओ, एसडीओ को घेरने का काम करेगी. शराबबंदी के काले प्रावधानों को वापस लेने की मांग उठायी जाएगी. राजनीति जनता के अधिकारो के सवाल पर होगी. इसके पूर्व हिरावल के संगीत के साथ जनकन्वेंशन आरंभ हुआ. हिरावल के साथियो ने गइया बैरन जाई और नीतीश कुमार के विश्वासघात पर रचित कजरी को गाया. तत्पश्चात् जनकन्वेंशन का परिप्रेक्ष्य माले राज्य सचिव कुणाल ने रखा. उन्होंने बिहार में नई सत्ता के गठन के बाद राजनीति के क्षेत्र में आए बदलाव और उन खास घटनाओं की चर्चा की, जो बिहार को गुजरात बनाने की रणनीति का हिस्सा है. उसके बाद राज्य कमिटी के सदस्य काॅ. अभ्युदय ने राजनीतिक प्रस्ताव का पाठ किया. कन्वेंशन को अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजाराम सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि आज पूरे देश में मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ किसान सड़कों पर है. लेकिन किसानों के प्रति मोदी सरकार के रवैये को हम सब देख रहे हैं. बिहार में जनादेश से यह विश्वासघात बिहार की जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी, भाजपा की राजनीति बिहार में चलने वाली नहीं है.
कन्वेंशन को वाम दलों के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया. सीपीआई के राज्य सचिव मंडल के सदस्य रामबाबू कुमार ने कहा कि वामपंथ अपनी एकता और मजबूत करे और यही वह रास्ता है, जिसके जरिए सांप्रदायिक फासीवाद की राजनीति को हराया जा सकता है. सीपीआईएम के राज्य सचिव मंडल सदस्य अरूण कुमार मिश्रा ने भी कन्वेंशन को संबोधित किया. उन्होंने कन्वेंशन के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर की और कहा कि नीतीश कुमार के इस कदम से हम सब को गहरा आघात लगा है. साथ ही, उनका असली चेहरा भी सामने आ गया है. एसयूसीआईसी के राज्य सचिव अरूण कुमार ने भी कन्वेंशन में अपने वक्तव्य रखे. जाने-माने माक्र्सवादी चिंतक व भाकपा-माले के नेता अरविंद सिन्हा ने अपनी एकजुटता जाहिर की और कन्वेंशन को संबोधित किया. फारवर्ड ब्लाॅक के बीरेन्द्र ठाकुर भी कन्वेंशन में उपस्थित थे. प्रख्यात अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर, समाजशास्त्री एमएन कर्ण, डाॅ. पीनपी पाल, अधिवक्ता जावेद अहमद, महंथ मांझी, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी भी ने कन्वेंशन को संबोधित कि
पीएनपी पाल ने कहा कि इस समय नीतीश कुमार की राजनैतिक अंत्येष्टि हो चुकी है. उन्होंने जदयू के विधायकों तक से राय नहीं ली. यदि उनके भीतर नैतिकता होती तो नया मेंडेट लेकर बिहार में सरकार बनाने का काम करते. बिहार में जो बदलाव हुआ है, उसमें वामपंथियों व क्रांतिकारियों की भूमिका काफी बढ़ गयी हैत्र सामाजिक सवालों पर चल रहे आंदोलनों को क्रांतिकारी दायरे में समेटने की आवश्यकता है. जनकन्वेंशन की अध्यक्षता काॅ. केडी यादव ने किया तथा संचालन काॅ. धीरेन्द्र झा ने किया.
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