जयराम के बाद मनीष बोले कांग्रेस को बदलने की जरुरत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 26 अगस्त 2017

जयराम के बाद मनीष बोले कांग्रेस को बदलने की जरुरत

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नयी दिल्ली, 25 अगस्त, श्री जयराम रमेश के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने पार्टी के कामकाज के तरीकों पर सवाल उठाते हुये कहा है कि पार्टी की रणनीति में बदलाव लाने और नयी सोच के साथ काम करने की जरूरत है, श्री तिवारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 2009 में 206 सीट जीतने वाली कांग्रेस का 2014 में 44 सीटों पर सिमट जाना निश्चित रूप से चिंता की बात है, नयी चुनौतियों का मुकाबला करने विशेषकर 2019 के आम चुनाव में जाने के लिये पार्टी को अपने तौर तरीके, सोच और रणनीति में बदलाव लाना होगा, उसे ज्वलंत और अहम मुद्दों पर जनता के सामने अपनी बात नये और प्रभावी ढंग से रखने की जरुरत है, उन्होंने कहा कि राजनीतिक प्रबंधन की कमजोरी के चलते कांग्रेस को इस वर्ष के शुरु में हुये पांच राज्यों के चुनाव में दो राज्यों गोवा और मणिपुर में जीत के बावजूद सरकार बनाने से वंचित होना पड़ा, ये चुनाव परिणाम 3..2 से कांग्रेस के पक्ष में हाेने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी 4..1 से अपने पक्ष में मोड़ने में सफल रही और हम सिर्फ पंजाब में सरकार बना पाये, इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर बुरा असर पड़ा, उल्लेखनीय है कि गोवा और मणिपुर में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरी थी, वह सरकार बनाने के प्रयास शुरु करती इससे पहले ही भाजपा ने छोटे दलों को अपने साथ मिलाकर दोनों राज्यों में सत्ता पर कब्जा कर लिया था, पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश द्वारा कुछ दिनों पहले कांग्रेस के कामकाज को लेकर की गयी टिप्पणी की ओर ध्यान दिलाये जाने पर श्री तिवारी ने कहा कि वह उनसे पूरी तरह से तो सहमत नहीं है लेकिन उनकी बातों को नकारात्मक बताकर अनदेखा भी नहीं किया जा सकता है, गौरतलब है कि श्री रमेश ने कहा था कि कांग्रेस अस्तित्व के संकट से गुजर रही है और सभी के मिलकर काम करने की जरूरत है, उन्होंने कहा था कि श्री नरेंद्र मोदी और श्री अमित शाह के नेतृत्व वाली भाजपा से सामान्यरूप से नहीं निपटा जा सकेगा और इसके लिए नए ढंग से काम करना होगा, उन्होंने पार्टी के कामकाज को लेकर कहा था कि सल्तनत चली गयी है लेकिन हमारा व्यवहार अब भी सुल्तान जैसा ही है, श्री तिवारी ने कहा कि उनका मानना है कि पार्टी को अपनी रणनीति और सोच बदलनी चाहिये और अहम मुद्दों पर अपनी बात नये ढंग से रखने और कार्यकताओं में नया जोश भर कर पार्टी को नये सिरे से खड़ा करने की जरुरत है, उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्रवाद की प्रगतिशील परिभाषा तय कर उसे जनता के बीच प्रचारित करने की जरूरत है, हमें लोगों को समझाना होगा कि देश की अर्थव्यवस्था में सबका योगदान है और यह सबके लिये है ना कि चंद पूंजीपतियों के लिये, उन्होंने माना कि पार्टी में उस तरह की आक्रमकता अौर “ किलर इंस्टिंक्ट” नहीं है जो एक विपक्षी पार्टी में होनी चाहिये, इसके पीछे बड़ी वजह है कि कांग्रेस लंबे समय सत्ता में रही है और वह वैसा आक्रामक रुख नहीं दिखा पाती जो विपक्ष में रहे दल दिखाते हैं, कई बार तो हमारे नेता सरकार के फैसलों की आलाेचना करने की बजाये उनके सही होने का तर्क ढूंढ़ने लग जाते है, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर उठ रहे सवालों पर कांग्रेस नेता ने कहा कि वह इससे सहमत नहीं है कि पार्टी के लोगों का उन पर भरोसा नहीं है, उन्होंने कहा कि श्री गांधी की छवि खराब करने के लिये जो दुष्प्रचार होता रहा है पार्टी उसका सही ढंग से जवाब नहीं दे पायी, इस सवाल पर कि क्या 2019 में श्री गांधी पार्टी को चुनाव जिता सकते हैं, उन्होंने कहा कि 2004 के लोकसभा चुनाव के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कद के आगे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को कम आंका जा रहा था क्योंकि वह राजनीति में नयी थीं लेकिन जो चुनाव परिणाम आये थे वे सबके सामने हैं, उन्होंने विपक्षी दलों की एकता के लिये चल रहे प्रयासों का जिक्र करते हुये कहा कि अब तो अन्य विपक्षी दल भी श्रीमती गांधी और राहुल गांधी में अास्था जता रहे हैं।

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