बिहार : ब्रिटिश काल से ही है मीट कारोबार का लाइसेंस, साजिश के तहत शाहपुर में फैलाया गया उन्माद-उत्पात. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 5 अगस्त 2017

बिहार : ब्रिटिश काल से ही है मीट कारोबार का लाइसेंस, साजिश के तहत शाहपुर में फैलाया गया उन्माद-उत्पात.

  • मीट कारोबारियों के रोजगार व सुरक्षा की गारंटी करे सरकार, घटना में हुए नुकसान का मुआवजा दे.

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पटना 5 अगस्त, भोजपुर के शाहपुर के रानीसागर गांव में पिछले दिनों बीफ के नाम पर अफवाह, उत्पात व उन्माद फैलाने की घटना पूरी तरह साजिशाना है और इसके पीछे बजरंग दल व आरएसएस का हाथ है. निश्चित रूप से भाजपा द्वारा बिहार की सत्ता चोर दरवाजे से हथिया लेने के बाद अफवाह व उन्माद फैलाने वाली ताकतों का मनोबल बिहार में भी बढ़ा है, जिसका पहला उदाहरण रानीसागर कांड है. इस घटना की जांच के लिए भाकपा-माले की एक राज्यस्तरीय टीम ने 4 अगस्त को घटनास्थल का दौरा किया. इसमें पार्टी के पूर्व सांसद व केंद्रीय कमिटी के सदस्य काॅ. रामेश्वर प्रसाद, तरारी विधायक सुदामा प्रसाद, राज्य कमिटी सदस्य व भोजपुर के लोकप्रिय नेता काॅ. राजू यादव, आइसा के बिहार राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन, एडवोकेट बृन्दा यादव, भाकपा-माले के बिहिया प्रखंड सचिव उत्तम प्रसाद, शाहपुर प्रखंड के माले सचिव हरेन्द्र सिंह व कारीसाथ पंचायत के पूर्व सरपंच अजय कुमार गांधी आदि शामिल थे.


जांच टीम ने घटना स्थल का दौरा करके लोगों से बातचीत की. बातचीत के क्रम में लोगों ने बताया कि रानीसागर गांव में कुछ परिवार ब्रिटिश काल से ही मीट का लाइसेंसी कारोबार करते हैं. आज तक इसको लेकर कोई विवाद खड़ा नहीं हुआ. कभी कोई पूछताछ नहीं हुई. लोगों ने यह भी कहा कि मांस गाय का नहीं भैंस का था. बावजूद, पहली बार इस विषय पर उन्माद फैलाया गया है, जो पूरी तरह स्थानीय आरएसस व बरजंग दल के कार्यकर्ताओं की साजिश का नतीजा है. 3 अगस्त की सुबह भैंस का मांस लेकर ट्रक जैसे ही गांव से निकलकर मुजफ्फरपुर की ओर रवाना हुआ, ट्रक को गांव के थोड़े ही आगे बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने घेर लिया और ड्राइवर, खलासी व एक मजदूर को उतार कर पीटने लगे. उसके बाद उनलोगों ने पुलिस को बुलाया और पुलिस की मौजूदगी में भी लोगों की पिटाई की. तत्पश्चात पुलिस पकड़कर उन तीनों को थाने ले गयी, लेकिन कानून-व्यवस्था को अपने हाथ में लेने वाले उत्पातियों को प्रशासन ने कुछ भी नहीं किया. जबकि उत्पात मचाने व कानून-व्यवस्था को अपने हाथ में लेने के जुर्म में प्रशासन को उन्हें भी गिरफ्तार करना चाहिए था.

शाम में पुलिस ने एक बार फिर से गांव में छापा मारा. एक तरफ उन्माद-उत्पात और दूसरी ओर पुलिस की छापेमारी की वजह से लोग अभी तक डरे हुए हैं. पूर्व सासंद रामेश्वर प्रसाद ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में भाजपा-संघ द्वारा प्रायाजित भीड़ द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की शुरूआत अब बिहार में भी हो गयी है, लेकिन भकपा-माले इस उन्मादी-उत्पाती राजनीति को कभी बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार आज पूरी तरह सांप्रदायिक ताकतों के सामने घुटने टेक चुकी है. जद (यू)-भाजपा सरकार के नवनियुक्त पशुपालन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने आज से कुछ दिन पहले यह बयान दिया था कि ‘गोरक्षा’ कानून को पहले से और कड़ा बनाया जाएगा, उसके बाद ही भोजपुर की यह घटना सामने आई है. जाहिर है दलितों के स्वंयभू नेता रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस द्वारा दिए गए इस उन्मादी वक्तव्य के बाद संघ-भाजपा का मनोबल काफी बढ़ गया है.


रामेश्वर प्रसाद ने कहा है कि बिहार में गोरक्षा कानून लंबे समय लागू है, जिसके तहत 15 वर्षों से कम उम्र के पशुओं का वध कानूनन गलत है. जाहिर है कि रानीसागर गांव में इस कानून के दायरे में ही लाइसेंस लेकर मीट का कारोबार किया जाता रहा है. जो उनकी रोजी-रोटी का भी मुख्य आधार है. तब बीफ के नाम पर अफवाह फैलाकर उन्माद पैदा करना आपराधिक कृत्य है. बजरंग दल व आरएसएस जैसे विभाजनकारी ताकतों की शिनाख्त कर बिहार सरकार को अविलंब गिरफ्तार करना चाहिए और उनपर कड़ी कार्रवाई करनी होगी. साथ ही, ड्राइवर, खलासी व अन्य एक मजदूर को अविलंब रिहा किया जाए. सरकार मीट कारोबारियों के रोजगार, सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध करे और इस घटना की वजह से हुई क्षति का मुआवजा दे. उन्होंने यह भी कहा कि बीफ पर इतना बवाल है, फिर आखिर भारत से इतने व्यापक पैमाने पर बीफ का निर्यात कैसे हो रहा है. जाहिर है कि सरकार की मंशा कुछ और ही है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार समय रहते इन उत्पातियों-उन्मादियों पर रोक नहीं लगाती, तो बिहार की जनता इसका मुकम्मल जवाब देगी. इससे जो समस्यायें खड़ी होंगी, इसके लिए पूरी तरह बिहार सरकार जवाबदेही होगी.

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