दमनकारी ताकतों के खिलाफ संघर्ष की जरूरत : सोनिया गांधी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 10 अगस्त 2017

दमनकारी ताकतों के खिलाफ संघर्ष की जरूरत : सोनिया गांधी

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नयी दिल्ली 08 अगस्त, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज कहा कि देश में नफरत अौर विभाजनकारी राजनीति के हावी हो रही तथा धर्मनिरपेक्ष एवं उदारवादी मूल्य खतरे में पडते जा रहे हैं और ऐसे में आजादी को सुरक्षित रखने के लिए दमनकारी शक्तियों के खिलाफ संघर्ष की जरूरत है। श्रीमती गांधी ने ‘भारत छोडो आन्दोलन ’की 75वीं सालगिरह पर लोकसभा में विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए किसी संगठन का नाम लिये बगैर कहा कि अाजादी के दौर में भी ऐसे संगठन और व्यक्ति थे जिन्होंने भारत छोडो आन्दोलन का विरोध किया था । इन तत्वों का देश को आजादी दिलाने में कोई योगदान नहीं था। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा ,‘ आज जब हम भारत छोड़ो आन्दोलन की 75वीं सालगिरह मना रहे हैं तो देशवासियों के मन में कई आशंकाएं भी हैं । यह अहसास गहरा होता जा रहा है कि अंधकार की शक्तियां हमारे बीच तेजी से उभर रहीं हैं । देश में भय का माहौल है और जनतंत्र की बुनियाद को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है । यह बुनियाद विचार,आस्था, समानता तथा सामाजिक न्याय की आजादी और कानून सम्मत व्यवस्था पर आधारित है । ’ उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता सेनानियों ने एक समावेशी ,बहुलतावादी ,लोकतांत्रिक और न्यायसंगत भारत के लिए लडाई लडी थी और इस विचार को संविधान में स्थापित किया था । लेकिन आज इस विचार पर नफरत और विभाजन की राजनीति के बादल छा गये हैं तथा धर्मनिरपेक्ष ,लोकतांत्रिक तथा उदारवादी मूल्य खतरे में पडते जा रहे हैं । सार्वजनिक जीवन में असहमति ,बहस और विचारो की विभिन्नता की गुंजाइश कम होती जा रही है । कई बार कानून के राज पर गैर कानूनी शक्तयां हावी दिखायी देती हैं । श्रीमती गांधी ने कहा ,‘यदि हमें अपनी अाजादी को सुरक्षित रखना है तो हमें हर तरह की दमनकारी शक्तियों के खिलाफ संघर्ष करना होगा फिर चाहे वे कितनी भी समर्थ एवं सक्षम क्यों न हों । ’ उन्होंने कहा ,‘यह मौका हमें इस बात की याद दिलाता है कि हम देश को संकीर्ण मानसिकता ,विभाजनकारी और सांप्रदायिक सोच का कैदी नहीं बनने देंगे ।’

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