पटना 19 अगस्त, बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने आज पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव को जदयू तोड़ने की खुली चुनौती दी तो दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल(राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर परिवारवाद तथा भ्रष्टाचार को लेकर हमला बोला और कहा कि राज्य में जनादेश न्याय के साथ सरकार चलाने के लिए मिला था, न कि पिछलग्गू बनकर दूसरों के कुकर्म को ढोने के लिए। श्री कुमार ने जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद यहां रवीन्द्र भवन में पार्टी के खुला अधिवेशन में जदयू के बागी नेताओं को चुनौती देते हुये कहा कि उनमें ताकत है तो वह पार्टी को तोड़ दें। सिर्फ मीडिया में खबरों में बने रहने के लिये टूट का दावा किया जा रहा है। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि क्या राजद के बल पर जदयू को तोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी में टूट के लिये दो तिहाई बहुमत चाहिये और यदि यह संख्या उनके पास है तो वह दल तोड़ दें अन्यथा उनकी सदस्यता जायेगी यह भी तय है। मुख्यमंत्री ने श्री शरद यादव की ओर से पिछले दिनों आयोजित ‘साझी विरासत’ पर कटाक्ष करते हुये कहा कि इसमें एक ही विरासत साझी है और वह है परिवारवाद और भ्रष्टाचार। उन्होंने कहा कि बिहार में उन्हें जनादेश काम करने, सुशासन, न्याय के साथ विकास और राज्य के लोगों के जीवन में खुशहाली लाने के लिये मिला था न कि भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने या किसी एक परिवार की खुशहाली और उनके हर कुकर्मो को ढोने के लिये।
श्री कुमार ने भागलपुर के सृजन घोटाले की चर्चा करते हुये कहा कि जैसे ही उन्हें इसकी जानकारी मिली उन्होंने तुरंत मामले की जांच करायी और दूसरे दिन ही इसके बारे में मीडिया के जरिये लोगों को भी जानकारी दी। जो लोग केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अबतक आलोचना कर रहे थे वे लोग अब उससे जांच कराने की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस मामले की व्यापकता को देखते हुये इसकी जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपने का निर्देश अधिकारियों को दिया गया। इस संबंध में कल हीं केन्द्रीय गृह मंत्रालय को पत्र भी भेज दिया गया है और उम्मीद है कि जल्द ही अनुशंसा को स्वीकार भी कर लिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भागलपुर घोटाले के मामले में कोई भी नही बचेगा। लोग यह समझ लें कि गलत तरीके से माल जमा करने वाले आज नहीं तो कल पकड़े ही जाते हैं। गलत तरीके से पैसा कमाने की मानसिकता भी विचित्र है। यह एक तरह की बीमारी है। उन्होंने कहा कि वह कई बार कह चुके हैं कि कफन में जेब नही होती। जो धन कमा रहे हैं उसे वह ले नहीं जा सकते लेकिन शायद ऐसे लोगों को इसका एहसास नहीं है। श्री कुमार ने कहा कि उनकी पार्टी ने महागठबंधन से नाता तोड़ने का निर्णय इसी आधार पर लिया था। लोकतंत्र लोक-लाज से चलता है लेकिन शायद वह (लालू यादव) इसे भूल गये हैं। उन्होंने कहा कि यदि श्री तेजस्वी यादव खुद त्यागपत्र दे देते तो ऊंचाई पर जाते लेकिन शायद उनके पास इस मामले में स्पष्टीकरण देने के लिये कुछ था ही नहीं। ऐसी स्थिति में क्या वह (नीतीश) अपनी पहचान भूलकर उनके (लालू-तेजस्वी) के साथ चलते।
मुख्यमंत्री ने कहा, “जो लोग कहते हैं कि हमने जनादेश का अपमान किया, वह पहले जनता के मिजाज को जान लें। जनता ने जनादेश बिहार में न्याय के साथ विकास के लिए दिया था। हमारे दल का जो निर्णय है, वह उसी आधार पर है।” उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने महागठबंधन से अलग होने का फैसला सिर्फ बिहार के हित को ध्यान में रखकर लिया है। अब बिहार केन्द्र सरकार के सहयोग से नयी ऊंचाई पर जायेगा और इससे देश का भला होगा। श्री कुमार ने कहा कि जब बिहार में महगठबंधन बन रहा था तब उन्होंने नहीं कहा था कि उन्हें नेता बनायें। लेकिन, जब श्री मुलायम सिंह यादव ने इसकी घोषणा की तब श्री लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि वह जहर पी रहे हैं।जब उनके नेतृत्व में महागठबंधन को अपार सफलता मिली और सरकार बनी तब राजद के लोग ही कहने लगे कि वह परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं और न जाने क्या-क्या अपमानजनक बातें कही गयीं। इसके बावजूद महागठबंधन में रहते हुए जदयू के किसी एक नेता ने भी राजद प्रमुख को लेकर कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजद के लोग सत्ता जाने के कारण हताशा और निराशा में गाली-गलौज तथा अपमानजनक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं लेकिन ऐसा करना उनके (नीतीश) संस्कार में नहीं है। उन्होंने कहा कि राजद के लोग जितना ऐसी भाषा का इस्तेमाल करेंगे उतना ही लोग उनसे दूर होंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें