बिहार में पेंशनधारियों के लंबित पेंशन का एकमुश्त होगा भुगतान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

बिहार में पेंशनधारियों के लंबित पेंशन का एकमुश्त होगा भुगतान

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पटना 04 अगस्त, बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग)सरकार ने राज्य के लोगों की सामाजिक सुरक्षा के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुये कहा कि पेंशन योजना का शीघ्र लाभ पहुंचाने के लिए जिन लाभार्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन कर लिया गया है उन्हें लंबित अवधि के पेंशन का एकमुश्त भुगतान किया जाएगा।  मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री श्री कुमार की अध्यक्षता में समाज कल्याण विभाग की कल हुई समीक्षा बैठक में लिये गये निर्णय के बारे में आज यहां संवाददाताओं को बताया कि मुख्यमंत्री ने सामाजिक सुरक्षा की विभिन्न पेंशन योजना के लाभार्थियों को आधार संख्या से जोड़ते हुये प्रत्येक लाभार्थी को पेंशन योजना का त्वरित लाभ देने का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया कि जिन लाभार्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन कर लिया गया है, उनके लंबित अवधि के पेंशन का भुगतान एकमुश्त कर दिया जायेगा। भुगतान की अवधि तत्काल त्रैमासिक होगी लेकिन इसे शीघ्र ही मासिक अवधि पर भुगतान करने के लिए संस्थागत व्यवस्था को सुदृढ़ कर लिया जायेगा।  श्री सिंह ने बताया कि कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत तीन जिलों में अभिभावक शिशु खाता प्रणाली तथा विकसित मोबाइल ऐप का पायलट कार्यक्रम शीघ्र शुरू किया जाएगा ताकि योजना का लाभ तत्क्षण मिल सके और उसका वास्तविक समय में उचित अनुश्रवण भी हो सके। इसे जल्दी ही पूरे राज्य में लागू कर दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि वृद्धों के लिये संचालित सभी वृद्धाश्रम (सहारा) का संचालन स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से ही कराया जायेगा। मुख्य सचिव ने बताया कि एड्स पीड़ितों के लिए चल रही कल्याण योजना को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) से जोड़ा जायेगा ताकि पीड़ितों के सम्पूर्ण ब्योरे को संधारित करते हुये उसकी निरंतर निगरानी की जा सके। उन्होंने बताया कि निःशक्तों के लिये 27 जिलों में बुनियाद केन्द्र की स्थापना की जा चुकी है। साथ ही 11 मोबाइल थेरेपी वैन का भी खरीदे गये हैं। शीघ्र ही इन केन्द्रों एवं मोबाइल थेरेपी वैन से बुनियाद संजीवनी सेवा राज्य में शुरू हो जाएगी और इसका चरणबद्ध तरीके से अनुमंडल स्तर तक विस्तार किया जायेगा। 


श्री सिंह ने बताया कि समेकित बाल विकास कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों की गतिविधियों जैसे कि बच्चों की उपस्थिति, पोषाहार का वितरण आदि की निगरानी करने के लिए मोबाइल ऐप ‘आंगन’ विकसित कर लिया गया है। इसके लिए आंगनबाड़ी कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके बाद शीघ्र ही इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को दिये जा रहे पूरक पोषाहार से कोई महिला वंचित न रह जाय, इसके उचित अनुश्रवण के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर आंकड़े साझा किये जायेंगे ताकि इस योजना का लाभ अधिक से अधिक गर्भवती महिलाओं को समय से मिल सके। मुख्य सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री नारीशक्ति योजना की समीक्षा के दौरान महिला हेल्पलाइन एवं अल्पावास गृह के संचालन पर संतोष व्यक्त किया गया। साथ ही योजना के तहत लाभुकों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया गया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि महिला सशक्तिकरण के लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है तथा महिला सशक्तिकरण नीति का कार्यान्वयन राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इसी क्रम में इस वर्ष 02 अक्टूबर से बाल विवाह एवं दहेज उन्मूलन के लिए राज्यव्यापी अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया है। श्री सिंह ने बताया कि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ आज हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री श्री कुमार ने सिंचाई योजनाओं की अनुरक्षण नीति के तहत वाटर कोर्स को प्राथमिकता देते हुये मुख्य नहर, शाखा नहर, वितरणी, उप वितरणी और लघु नहर का अनुरक्षण करने, फील्ड चैनेल निर्माण के कार्य को भी अनुरक्षण नीति के तहत शामिल करने तथा मलई बराज योजना का कार्य जल्दी पूरा करने के निर्देश दिये। उन्होंने बताया कि जमींदारी बांध की गश्ती में मजदूरों के लिए निर्धारित 15 किलोमीटर क्षेत्र को कम कर पांच किलोमीटर किया जायेगा। इसके लिए विभाग बांध के आस-पास के गांवों के लोग तथा पंच एवं सरपंचों की बाढ़ नियंत्रण कक्ष के साथ सहभागिता सुनिश्चित कराने का प्रयास कर रही है। 

मुख्य सचिव ने कहा कि वीरपुर में फिजिकल माॅडलिंग सेंटर की स्थापना की जायेगी ताकि धीरे-धीरे राज्य की सभी प्रमुख नदियों के लिये फिजिकल माॅडलिंग की जा सके। इसे सेंटर आॅफ एक्सेलेंस बनाया जायेगा ताकि अन्य राज्य भी इसका लाभ उठा सकें। उन्होंने बताया कि गाद प्रबंधन के लिये केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई ड्राफ्ट रिपोर्ट एवं समिति की संरचना पर बिहार सरकार के दृष्टिकोण के आलोक में इसे शीघ्र कार्यान्वित कराने का निर्देश दिया गया। मुख्य सचिव ने योजना एवं विकास विभाग की समीक्षा के संबंध में बताया कि वर्ष 2005-06 से 2016-17 तक लगातार योजना व्यय में बढ़ोतरी हुयी है। सरकार ने वर्ष 2012-17 में दो लाख 28 हजार 452 करोड़ रुपये के विरुद्ध दो लाख 21 हजार 245 करोड़ रुपये खर्च किया है, जो कि कुल राशि का 97 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक खर्च आधारभूत संरचना (कृषि सहित) पर किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 में चालू दर पर बिहार की आर्थिक विकास दर 14.8 प्रतिशत है तथा स्थिर दर पर 10.32 प्रतिशत है। राज्य में विकास दर का दहाई अंक में रहना खुशी की बात है। बैठक में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, समाज कल्याण विभाग की मंत्री कुमारी मंजू वर्मा, जल संसाधन तथा योजना एवं विकास मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, संबंधित विभागों के प्रधान सचिव, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चन्द्रा एवं मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह समेत संबंधित विभागों के अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे। 

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