राम-रहीम को दोषी ठहराये जाने के बाद अम्बेड़कर के कार्यों को तहस-नहस करने वालों में शामिल किसी अपरिपक्व व्यक्ति ने एक मैसेज या कमेंट जारी/पास किया। जिसे बिना जाने-समझे अंधभक्तों ने आगे फारवर्ड करना शुरू कर दिया। कोपी पेस्ट में आस्था रखने वाले अनेक मित्रों से यह मैसेज मुझे इन बॉक्स में मिला। आप भी पढें-
''इसको कहते है कलम की ताकत कल तक अपने आपको भगवान कहलाने वाला आज संविधान के सामने रहम की भीख मांग राह है आज फिर दैवीय शक्ति हार गई और संविधान की जीत हुई है ओर पूरे विश्व ने माना कि भारत मे सिर्फ एक ही बाबा है वो है बाबा साहेब अंबेडकर जागो साथियो जागो। बाबा साहेब अम्बेडकर अमर रहे''
इस बारे में मेरा यह कहना है कि-
सबसे पहले तो इस मामले में अम्बेडकर को बीच में लाकर ऐसे लोग क्या सिद्ध करना चाहते हैं? क्योंकि जब हजारों दोषी कानून को ठेंगा दिखा कर अदालतों से छूट जाते हैं और हो सकता है कि आगे जाकर यह राम-रहीम भी छूट जाए? तब भी क्या इसके लिये अम्बेडकर को ही जिम्मेदार ठहराया जायेगा? मेरी राय में इस तरह के कमेंट पास करना निहायती ही बचकाना और आत्मघाती दृष्टिकोण है, जिसके कारण समस्त वंचित वर्ग को और डॉ. अम्बेड़कर जैसे विधिवेत्ता के व्यक्तित्व को बहुत नुकसान हो रहा है।
दूसरी बात: कमेन्ट में लिखा है कि-'पूरे विश्व ने माना कि भारत मे सिर्फ एक ही बाबा है वो है बाबा साहेब अंबेडकर'-इस टिप्पणी का आधार क्या है? विश्व में किसने मान लिया? कोई बयान? कोई घोषणा? कोई प्रस्ताव पास हुआ क्या? शर्म नहीं आती ऐसे लोगों को जो जबरदस्ती आम लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते रहते हैं!
अत: इस बात को सम्पूर्ण संजीदगी से समझना होगा कि ऐसी रुग्ण मानसिकता के लोगों से विचारों से सावधान रहने की जरूरत है। हां यदि यही मैसेज संशोधित होकर निम्न प्रकार से होता तो कोई बात होती-
''कल तक अपने आपको भगवान कहलाने वाला आज कानून के सामने रहम की भीख मांग राह है! आज दैवीय शक्ति हार गई और कानून की जीत हुई। इसे कहते हैं कानून का शासन!''
यह मैसेज न तो भड़काउ है और न हीं किसी व्यक्ति या वर्ग को बढाने या गिराने वाला। वैसे भी राम-रहीम संविधान का नहीं, कानून का कैदी है। क्योंकि उसने उस आईपीसी का उल्लंधन किया है, जो भारत में संविधान लागू होने से अनेक दशक पहले से भारत में लागू है।
मेरी व्यक्तिगत सलाह है कि इस प्रकार के मैसेज प्रोत्साहित नहीं किये जावें। इनसे अनेक लोगों की भावनाएं आहत होती हैं और ऐसे कमेंट्स के कारण समस्त वंचित वर्ग के लोग और डॉ. अम्बेड़कर जैसे इतिहास पुरुष निशाने पर आते हैं। यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि अपराधी की कोई जाति या धर्म या वर्ग नहीं होता। हर दिन हर कौम, धर्म और वर्ग के लोग अपराध करते हुए पकड़े जाते रहते हैं। कानून को अपना काम करने दिया जावे। विरोध करना है तो चोर का नहीं, चोर की मां का करो। चोर की मां है-राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ। जो इस देश को धार्मिक उन्माद, साम्प्रदायिकता और षड़यंत्रों में उलझाता रहता है और लोगों को जन्म के आधार पर जातियों में बांटकर इंसाफ से वंचित करने में विश्वास करता है।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'-राष्ट्रीय प्रमुख
हक रक्षक दल सा.सं., 9875066111,280817
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