प्रसूताओं को दी गई स्तनपान के महत्व की जानकारी, विष्व स्तनपान सप्ताह पर किया गया आयोजन
विष्व स्तनपान सप्ताह 01 अगस्त से 07 अगस्त 2017 के अवसर पर जिला चिकित्सालय सीहोर की मेटरनिटी विंग में आज दोपहर प्रसूता महिलाओं तथा उनकी परिजन महिलाओं को स्तनपान के महत्व,स्तनपान कराने से बीमारी के बचाव पर विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर मेटरनिटी वार्ड इंचार्ज श्रीमती विमला यादव,स्टाफ नर्स प्रियंका जैन,जिला महिला सलाहकार श्रीमती कविता राठौर, जिला आईईसी सलाहकार शैलेष कुमार, जिला आरबीएसके समन्वय सुश्री दीनू शर्मा, श्रीमती कमला दाई सहित बड़ी संख्या में प्रसूता माताएं एवं उनकी महिला परिजन उपस्थित थी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.आर.के.गुप्ता ने बताया कि 01 से 07 अगस्त तक विष्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर आज जिला चिकित्सालय की मेटरनिटी विंग में स्तनपान सलाह सत्र का आयोजन किया गया । इस अवसर महिला स्टाफ द्वारा प्रसूताओं को जानकारी दी गई कि मां का दूध षिषु को निमोनिया रोग से 15 प्रतिषत तथा दस्त से 11 प्रतिषत बचाता है। डाॅ.गुप्ता ने कहा कि षिषु को आगे जीवन में हो सकने वाले असंचारी रोगों जैसे मधुमेह,हृदयरोग आदि के खतरे को मां का दूध कम करता है। स्तनपान से बच्चे की बौद्धिक क्षमता में 3 आईक्यू पाइंट्स की वृद्धि होती है। इस अवसर पर प्रसूताओं को मेटरनिटी विंग प्रभारी विमला यादव द्वारा जानकारी दी गई कि जन्म से 01 घंटे के भीतर नवजात षिषु को स्तनपान कराने से षिषु मृत्यु दर में 22 प्रतिषत तक कमी संभव है। जन्म से प्रथम 6 माह तक स्तनपान के अतिरिक्त षिषु को अन्य किसी भोज्य पदार्थ अथवा पानी की आवष्यकता नहीं होती है। 6 माह के अपरांत स्तनपान के साथ-साथ घर का ताजा बना हुआ उपरी आहार प्रारंभ करना चाहिए।
प्रदेष में है आईएमएस एक्ट लागू-डाॅ.गुप्ता
सीएमएचओ डाॅ.गुप्ता ने बताया कि प्रदेष में आईएमएस (प्दंिदज डपसा ैनइेजपजनजम) एक्ट लागू है ।जिसके अंतर्गत स्तनपान के विकल्पों जैसे डिब्बाबंद दूध एवं षिषु आहार को अनावष्यक बढ़ावा एवं दूध की बोतल, चूसनी आदि को प्रोत्साहित करने पर कानूनन कार्यवाही की जा सकती है। उन्होंने बताया कि आईएमएस एक्ट 2003 की कंडिकाओं का उल्लंघन किए जाने पर अधिकतम 3 वर्ष की कारावास अथवा 5000/-के जुर्माने का प्रावधान है।
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