खूब लड़ी सिंधू लेकिन रजत से करना पड़ा संतोष - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 28 अगस्त 2017

खूब लड़ी सिंधू लेकिन रजत से करना पड़ा संतोष

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ग्लास्गो ,27 अगस्त, ओलंपिक रजत पदक विजेता पी वी सिंधू को जापान की नाेजोमी आेकूहारा के खिलाफ सांसों को रोक देने वाले बेहद उतार चढ़ाव भरे रोमांचक मुकाबले में रविवार को तीन गेमों के संघर्ष में हार कर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में रजत पदक से संतोष करना पड़ा। चौथी सीड सिंधू और सातवीं सीड ओकूहारा के बीच यह हाईवोल्टेज मुकाबला एक घंटे 50 मिनट तक चला जिसमें जापानी खिलाड़ी ने 21-19, 20-22, 22-20 से जीत हासिल कर विश्व चैंपियन बनने का गौरव अपने नाम कर लिया। सिंधू को रियो ओलंपिक 2016 में रजत जीतने के बाद विश्व चैंपियनशिप 2017 में भी रजत से संतोष करना पड़ गया। भारत के लिये टूर्नामेंट ऐतिहासिक रहा और उसने एक चैंपियनशिप में पहली बार दो पदक जीतने की उपलब्धि हासिल की। सायना नेहवाल को कांस्य पदक मिला। सिंधू और ओकूहारा के बीच यह मुकाबला रोमांच की पराकाष्ठा को छूने के बाद समाप्त हुआ। दोनों ही खिलाड़ियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। मैच में लंबी रैलियां ,नेट पर लाजवाब खेल ,कोर्ट पर चारों तरफ मूवमेंट, बेहतरीन लाब और शानदार स्मैश देखने को मिले। मैच के दौरान दोनों ही खिलाड़ी बुरी तरह थक चुकी थीं लेकिन कोई भी हिम्मत नहीं हार रही थी। मैच का स्कोर इस बात का गवाह है कि यह कितना जबरदस्त मैच था। सिंधू के पास मौका था लेकिन अंत में शायद थकावट उन पर बुरी तरह हावी हो गयी। जापानी खिलाड़ी ने 21-20 के स्कोर पर जैसे ही मैच विजयी अंक लिया ,जापानी समर्थक खुशी से उछल पड़े। सिंधू के हाथ अंत में निराशा लगी लेकिन उन्होंने जोरदार खेल का प्रदर्शन किया। यह ऐसा मैच था जिसे विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अंकित रखा जायेगा। विश्व रैंकिंग में 12 वें नंबर की खिलाड़ी ओकूहारा ने चौथे नंबर की भारतीय खिलाड़ी के खिलाफ अब अपना करियर रिकार्ड 4-3 कर दिया है और साथ ही सिंधू से गत वर्ष ओलंपिक और इस साल सिंगापुर ओपन में मिली हार का बदला भी चुका लिया। 


सिंधू की हार के साथ भारत के हाथों पहले विश्व बैडमिंटन खिताब का मौका भी निकल गया। सिंधू का विश्व चैंपियनशिप में यह कुल तीसरा पदक है। उन्होंने इससे पहले 2013 और 2014 में लगातार कांस्य पदक जीते थे। ओकूहारा ने कल सायना नेहवाल को सेमीफाइनल में पराजित किया था और आज उन्होंने सिंधू का सपना तोड़ दिया। इस गजब के मुकाबले में सिंधू ने पहले गेम में लगातार आठ अंक लेते हुए 11-5 की बढ़त बनाई लेकिन ओकूहारा ने 11-14 के स्कोर पर लगातार सात अंक लेकिा 18-14 की बढ़त बनाई। सिंधू ने स्कोर 18-18 से बराबर किया। ओकूहारा ने 19-19 के स्कोर पर लगातार दो अंक लेकर 21-19 पर पहला गेम समाप्त कर दिया। पहला गेम 25 मिनट में समाप्त हुआ। दूसरा गेम इससे भी ज्यादा संघर्षपूर्ण रहा और यह 38 मिनट तक चला। इस गेम में दो जबरदस्त रैलियां देखने को मिलीं। सिंधू ने 15-13 के स्कोर पर 43 शाट की रैली जीती। उन्होंने फिर 21-20 के स्कोर पर 73 शाट की अविश्वसनीय रैली जीतकर दूसरा गेम 22-20 से जीता और मैच में स्कोर एक-एक से बराबर कर दिया। फाइनल में पहले दो गेम में ही एक घंटे तीन मिनट का समय लग चुका था। निर्णायक गेम में मुकाबला और जबरदस्त होता चला गया और यह गेम 47 मिनट तक चला। इस गेम में दोनों खिलाड़ी इतनी थक चुकी थीं कि हर अंक के बाद सुस्ताने लगती थीं या फिर पानी पीने लगती थीं। सिंधू को 12-12 के स्कोर पर कोर्ट के बाहर ज्यादा समय लगाने के कारण पीला कार्ड भी दिखाया गया। निर्णायक गेम में ओकूहारा ने 5-1 की बढ़त बनाई तो सिंधू ने 5-5 से स्कोर बराबर किया। इसके बाद तो दोनों खिलाड़ियों के बीच एक -एक अंक के लिये मैराथन संघर्ष चलता रहा और दर्शक दांतों तले उंगली दबाये इस संघर्ष को देखते रहे। एक-एक अंक पर दर्शकों के बीच से जैसे आह निकलती रही। भारतीय कोच पुलेला गोपीचंद सिंधू को कोर्ट के बाहर से ढांढस बंधाते रहे लेकिन मुकाबला इतना जोरदार था कि मैच किसी के पक्ष में भी जा सकता था। सिंधू ने 16-15, 17-16 और 19-17 की बढ़त बनाई। यहां उनके पास जीत का पूरा मौका था लेकिन जापानी खिलाड़ी ने लगातार तीन अंक लेकर 20-19 की बढ़त बना ली। सिंधू ने स्कोर 20-20 किया। इस समय भी उम्मीद थी कि दूसरे गेम की तरह सिंधू इस बार मुकाबला निकाल लेंगी लेकिन जापानी खिलाड़ी ने लगातार दो अंक लेकर 22-20 से गेम ,मैच और विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया। 

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