- घर-घर पूजे गए शंकर व मां पार्वती, चारों तरफ गूंजे मंगल गीत
- सजना के लिए सजनी ने की ‘अखंड सौभाग्य‘ की कामना
- सुहाग, बच्चों समेत पूरे परिवार के सुख-समृद्धि, संपन्नता और पुत्र रत्न प्राप्ति के लिए मांगा आर्शीवाद
- सुयोग्य, सुन्दर, मनोवांछित, सुशील और स्वस्थ्य जीवन साथी की चाहत में कुंवारी युवतियों ने भी रखा व्रत
- शिवालयों में सजाई गईं भगवान शिव व मां पार्वती की झांकियां
वाराणसी (सुरेश गांधी )। शिवजी को प्राप्त करने के लिए मां पार्वती ने की थी घोर तपस्या... उसी भक्ति और आस्था के तहत अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए गुरुवार को शहर हो या देहात हर जगह पांपरिक रुप सुहागिनों ने भादो की उजेली तीज यानी हरितालिका के अवसर पर निर्जला उपवास रखा। पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर कुछ ने घर में तो कुछ मंदिरों में पहुंचकर मां पार्वती व बाबा भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर कथा सुनी। बदलें में सजना की लंबी उम्र के लिए बच्चों समेत पूरे परिवार के सुख-समृद्धि, संपन्नता प्राप्ति का मां गौरी व शिव से वरदान मांगा। जबकि हाल ही में विवाहित महिलाओं ने पुत्र रत्न प्राप्ति की कामना की, तो कुवारी कन्याओं ने सुयोग्य, सुन्दर, मनोवांछित, सुशील और स्वस्थ्य जीवन साथी की चाहत में व्रत रखकर मां-गौरी से आर्शीवाद मांगा। मान्यता है कि इस दिन जो महिलाएं विधि-विधानपूर्वक और पूर्ण निष्ठा से इस व्रत को करती हैं, उन्हें मनचाहा पति मिलता है। व्रतियों ने पूरी रात जागरण करने के साथ ढोलक की थाप पर मंगल गीत गाएं। इसे लेकर बाजारों में भी खासी चहल-पहल रही।
आज सुबह से ही महिलाएं व युवतियां मुहूर्त के वक्त स्नान-ध्यान कर व्रत का शुभारंभ कर दी थी। इसके बाद संजने व संवरने के साथ ही पूजन-अर्चन की तैयारी में जुटी रही। दोपहर में व्रतियों ने नियम व निष्ठा से प्रसाद तैयार की। इस दौरान बाजारों में भी मिठाई, फल-फूल व पूजन सामाग्रियों के दुकानों में काफी भी़-भाड़ देखी गयी। मेंहदी लगाने का सिलसिला सुबह से ही शुरु था। कईयों ने बुधवार को ही मेहदी रचा ली थी। सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में महिलाओं ने पूरे सोलह श्रृंगार में सज-धजकर कुछ ने अपने घर में ही तो कुछ ने मंदिरों में जाकर शंकर-पार्वती की पूजा में हिस्सा लिया। महिलाएं व कन्याएं केले के पत्तों का मंडप बनाकर उसमें भगवान शंकर, मां पार्वती समेत पूरे परिवार की प्राण प्रतिष्ठा की। उसके बाद पूजन में माता गौरी के चरणों में चूड़ी, बिन्दी, आलता व अन्य श्रृंगार सामाग्री अर्पण की। मौसमी फल व पूड़ी-पकवान, गंगाजल, दही, दूध, शहद आदि से स्नान कराकर उन्हें समर्पित किया। रात्रि के समय अपने घरों में सुंदर वस्त्रों, फूल पत्रों से सजाकर फुलहरा बनाकर भगवान शिव और पार्वती का विधि-विधान से पूजन-अर्चन की। मंदिरों में पंडित जी ने भगवान शंकर-पार्वती के विवाह की कहानी विस्तार से बताई। पूजा समाप्ति के बाद सुहागिनों ने सोलहो श्रृंगार से सजी थाली के सामाग्री, फल-फूल व दक्षिणा पंडित जी को समर्पित कर आर्शीवाद अखंड सौभाग्यती का वरदान मांगा। इसके अलावा घर हरि चर्चा व भजन, कीर्तन आरती की।
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