तीन तलाक पर फैसले का चौतरफा स्वागत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 23 अगस्त 2017

तीन तलाक पर फैसले का चौतरफा स्वागत

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नयी दिल्ली,22अगस्त, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विभिन्न दलों के नेताओं ,कानूनी विशेषज्ञों, मुस्लिम समाज की महिलाओं तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक करार दिए जाने के उच्चतम न्यायालय के आज के फैसले को ऐतिहासिक,तर्कसंगत और प्रगतिशील सोच वाला बताते हुए एकस्वर से इसका स्वागत किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे मुस्लिम महिलाओं को समानता का अधिकार मिलेगा और यह महिला सशक्तिकरण के लिये एक मजबूत कदम सिद्ध होगा। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इसके लिए संघर्ष करने वाली महिलाओं को बधाई देते हुए कहा कि न्यायालय का एक साथ तीन तलाक बोलने की प्रथा को खत्म करना स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं न्याय के लिए संघर्ष करने वाली महिलाओं काे बधाई देता हूं।” इसके साथ ही कांग्रेस ने न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक तर्कपूर्ण ,न्यायसंगत तथा प्रगतिशील बताते हुए कहा कि इससे वर्षाें से भेदभाव और शोषण की शिकार मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा होगी। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि एक महिला होने के नाते उन्हे आज का फैसला बहुत अच्छा लगा महिलाओं के साथ अन्याय न हो यह सुनिश्चित होना चाहिए। उनके हितों की रक्षा के लिए कानून एक से होने चाहिए। मुस्लिम समुदाय की महिलाओं से जुड़े तीन तलाक के खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ने वाली सायरा बानो ने फैसले पर कहा कि आज का दिन मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के लिए ऐतिहासिक है। सरकार को इस बारे में जल्दी ही कानून बनाना चाहिए। तीन तलाक की लड़ाई को अंजाम तक ले जाने वाली उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली सायरा बानो ने पिछले साल शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उनकी शादी 2001 में हुई थी। दो बच्चों की माँ बानो को 10 अक्टूबर 2015 को बानो के पति ने तलाक दे दिया था। इसके बाद बच्चों की पढ़ाई और अपना जीवन निर्वाह करने में दिक्कतों को देखते हुए बानो ने न्यायालय में याचिका दायर कर तीन तलाक को चुनौती दी थी। केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को संवैधानिक मूल्यों की जीत बताते हुए कहा कि इसे मुुद्दे को किसी धर्म के साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह किसी मजहब से नहीं बल्कि सामाजिक सुधार से जुड़ा मसला है। इस तरह के फैसले की सख्त जरूरत थी हालांकि उन्होंने कहा कि इसके लिए अलग से कोई कानून बनाने की आवश्यकता नहीं है।

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