मधुबनी : पीर बाबा के मजार से आजतक कोई खाली हाथ नही लौटा। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

मधुबनी : पीर बाबा के मजार से आजतक कोई खाली हाथ नही लौटा।

  • हिंदू क्या मुस्लिम सभी फरियाद लेकर आते है।

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अंधराठाढी/मधुबनी (मोo आलम अंसारी) अंधराठाढी। प्रखंड क्षेत्र के ननौर पंचायत स्थित अलपुरा गॉव मे बाबा मकदुम शाह के मजार पर लगने वाला प्रसिद्ध उर्स मेला शुक्रवार को संपन्न हो गया। यह उर्स मेला प्रखंड के प्राचीनतम मेले मे से एक है। कहते है पीर बाबा के मजार से आजतक कोई खाली हाथ नही लौटा। जो भी यहॉ आकर अपनी झोली फैलाता है पीर बाबा उसकी मुराद जरूर पुरी करते है। हिंदू क्या मुस्लिम का कोई भेद नही। हर साल लाखो की संख्या मे फरियादी बाबा के मजार पर जुटते है। मुंबई, बंगाल, नेपाल, दिल्ली, बंगलौर, उडीसा आदि सुदुरवर्ती क्षेत्रो से भी श्रद्धालु और फरियादी यहॉ जुटते है। प्रेतबाधा से मुक्ति के लिये यह मेला प्रसिद्ध है। प्रेतबाधा से ग्रस्त पीडितो को लेकर दुर दुर से लोग यहॉ आते है। साथ ही साथ मुक्ति पाये लोग भी अपनी मनौती पुरा करने यहॉ आते है। मनौती चढाने वाले लोग यहॉ बकरे और मुर्गे की कुर्बानी देते है और यही पका कर उसका प्रसाद ग्रहण करते है। किवदंती है की पीर मकदुम साह अपने जमाने के प्रसिद्ध और ख्याति प्राप्त फकीर थे। यहॉ उर्स के लिये जमीन मुगल बादशाहो ने दी थी। कालांतर मे उर्स की जमीन अतिक्रमण का शिकार होकर मजार सहित कुछ ही कठ्ठो मे सिमट कर रह गयी है। सरकारी संरक्षण के अभाव मे यहॉ बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नही है। श्रद्धालुओ के ठहरने के लिये कोई शेड या ठहराव स्थल तक यहॉ आजतक मयस्सर
नही हो सका है। मुगलकालीन ये उर्स मेला बकरीद से एक दिन पहले लगता है। और शाम होते होते ये खतम हो जाता हे। इस मेले मे श्रद्धालुओ की भीड एक रात पहले ही यहॉ जमा हो जाती है। मगर बुनियादी सुविधा के अभाव मे सद्धालुओ को काफी परेशानी और दिक्कतो का सामना करना पडता है।

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