बिहार : कहीं खुशी तो कहीं गम का नजारा, 17 साल की ऑडिट रिपोर्ट खंगालेंगे - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 16 सितंबर 2017

बिहार : कहीं खुशी तो कहीं गम का नजारा, 17 साल की ऑडिट रिपोर्ट खंगालेंगे

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बेतिया। दी बेतिया पैरिश थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी का चुनाव खत्म होने के बाद खुशी और गम का खेल जारी है। 9 लोगों की संख्या वालों की जीत हुई है।वहीं 7 लोगों की संख्या वालों की हार हुई। बेतिया पल्ली के प्रधान.पल्ली पुरोहित फादर लौरेंस पास्कल का अनुज फिलिप लौरेंस हार गये। संत जेवियर हाई स्कूल,पटना के वाइस प्रिंसिपल फादर मनीष ओस्ता के अंकल जोसेफ माइकल भी परास्त हो गये। पराजित होने वाले आंसू छलका कर कह रहे हैं कि 15 सितम्बर को जुम्मा के (शुक्रवार) था। कामकाजी लोग काम पर गये थे। चुनाव के आलोक में इलेक्शन फ्राइडे को छुट्टी नहीं मिली। यह कहे कि अवकाश नहीं रहने के कारण वोट नहीं डाल सके। अपनी बातों को मजबूती देने के लिये कहने लगे कि चुनाव के दिन छुट्टी दी जाती है। ऐसा को-ऑपरेटिव का चुनाव में अवकाश नहीं दिया। वहीं जब कभी भी संसद से लेकर बेतिया नगर परिषद का चुनाव होता है तो छुट्टी दी जाती है। और तो और सभी तरह का चुनाव बेतिया चर्च परिसर में ही बूथ बनाया जाता है। आसानी से द्यर से आकर मतदान कर चल जाते हैं। इस बार चर्च के बाहर को-ऑपरेटिव का चुनाव हुआ। वोटर्स बेतिया प्रखंड नहीं गये। इसका परिणाम सामने है।


सूत्र ने जवाब में विजेताओं के बीच में आपसी रिश्तेदारी नहीं है।हां, फिलीप पास्कल फादर लौरेन्स पास्कल के खास छोटे भाई हैं। वे 'जी 9' गुट 9 में नहीं थे। जी हाँ एक साथ जी 9 वाले जीत गए। एक जन भी जी 7 वाले सेंधमारी कर जीत नहीं पायें। जी 7 वाले वोटर्स के घर -घर में जाकर दस्तक नहीं किये। किसी तरह की रणनीति नहीं बनायें।के केवल प्रचार भी तो सिर्फ अपने ही रिश्तेदारों के बीच में जाकर हाथ पसारकर वोट मांगे। जिनके सहारे  चुनाव लड़ रहे थे, उनके ही गले के हड्डी बन गये। सूत्र बताते हैं कि कल ही पता चला बोहोत सारे वोटर को ये भी पता नहीं था कि जी 9 लोगो के आलावा भी कोई और भी चुनावी मैदान में हैं। इस लिये यह हश्र जी 7 वालों का हुआ। दो बूंद दवा और पोलियो हो हवा। जी 7 वाले हवा -हवा हो गये।

केवल 477 ही वोट पड़ने का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण रहा कि 15 तारीख दिन शुक्रवार था और ज्यादा लोग नौकरी वाले हैं जो अपना काम छोड़कर नहीं आ सकते थे । इस चुनाव को रविवार के दिन रखना चाहिए था। एक बात लोक सभा,  विधान सभा, वार्ड कमिश्नर आदि का चुनाव हमारे चर्च यानी बेतिया चर्च के आहाते में होता है लेकिन ईसाई समुदाय का चुनाव को बी.डी.ओ.कार्यालय में करने की क्या जरूरत थी? शायद जी 9 के ही लोग इस चुनाव को चर्च परिसर के बाहर करवाना चाहते थे ताकि कम से कम लोग वोट देने के लिए बी.डी.ओ. कार्यालय जा सके। अब क्या होत जब चिड़िया चुंग गयी खेत। बहरहाल जी 9 के विजेताओं में हर्ष का माहौल है। दबी जुब़ान 17 साल की बात कर रहे हैं। अब देखना है कि नवनिर्वाचित मेम्बर कब दी बेतिया पैरिश थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट सोसायटी को-ऑपरेटिव सोसायटी पर से पर्दा उठा पाते हैं। ऑडिट रिपोर्ट को खंगालना पड़ेगा तब जाकर मंथन किया जा सकेगा।

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