दुमका (झारखण्ड) की हलचल 05 सितम्बर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 5 सितंबर 2017

दुमका (झारखण्ड) की हलचल 05 सितम्बर

लघु-सिचाई कर्मचारी संघ जिला शाखा दुमका के पदाधिकारियों का चुनाव संपन्न

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झारखण्ड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ, जिला शाखा दुमका के तत्वावधान में महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र साह की अध्यक्षता व चुनाव पर्यवेक्षक मो0 सलालुद्दिन (चालक संघ) की देखरेख में लघु-सिचाई कर्मचारी संघ जिला शाखा दुमका के पदाधिकारियों का चुनाव दिन रविवार 03 नवम्बर 2017 को जिला महासंघ कार्यालय, दुमका में सर्वसम्मति के साथ   सम्पन्न हुआ।  इस चुनाव में सौदागर मांझी को सम्मानित अध्यक्ष के रुप में संघ में स्थान दिया गया जबकि जयदेव दत्त को अध्यक्ष की जिम्मेवारी सौंपी गई।  मोती लाल टुडू, राज कुमार सिंह, रघुनन्दन सिंह व फणीभूषण पाल को उपाध्यक्ष के पद से नवाजा गया। जिला सचिव का पद सुमेश्वार पंडित को प्रदान किया गया। अनूप लाल यादव, रामचन्द्र सेन, उपेन्द्र नाथ सिंह व मो0 जब्बार, को संयुक्त सचिव का दायित्व सोंपा गया। नवीन शर्मा को कोषाध्यक्ष पद पर बिठाया गया।  लक्ष्मीकांत ठाकुर, श्रीनिवास मिस्त्री, बंगाली कापनी, भगवान मुर्मू, मो0 जन्मउद्दी अंसारी, सुखलाल, चुड़की टुडू व बाहा सोरेन को संघर्ष समिति का सदस्य बनाया गया।



दुमका में खुला पीटर इंग्लैंड का 13 वाँ एक्सक्लुसिव शोरुम, पूरे भारतवर्ष में इसकी सात सौ शाखाएँ कर रही हैं काम 

मारवाड़ी चैक (जिला स्कूल रोड) दुमका स्थित मेसर्स नव्या अपारेल में पीटर इंग्लैंड के 13 वें एक्सक्लुसिव शोरुम का उद्घाटन दिन सोमवार को पूरी भव्यता के साथ संपन्न हुआ। शोरुम का उद्घाटन शंकर लाल भुवानियां व गौरी शंकर मेहरिया संयुक्त रुप से किया। बतौर मुख्य अतिथि प्रेमसंस ग्रुप के डायरेक्टर पंकज पोद्दार ने कहा कि पिछले सौ वर्षों से बाबूलाल प्रेमकुमार टेक्सटाईल्स के क्षेत्र में अपनी सेवाएँ प्रदान करता आ रहा है। पीटर इंग्लैंड के क्षेत्रीय प्रबंधन (रिजनल मैनेजर) हरिहरा राव ने कहा कि उचित मूल्य पर बढ़िया से बढ़िया फेब्रिक्स के लिये कम्पनी पीटर इंग्लैंड मशहूर है। इस कम्पनी की पूरे भारतवर्ष मंे सात सौ से अधिक शाखाएँ हैं। ब्रांड के डिस्ट्रीब्यूट्र्स धनंजय अग्रवाल ने कहा इस वर्ष झारखण्ड में 10 शोरुम खोलने की योजना कम्पनी ने बना रखी है। दुर्गापूजा के पूर्व पीटर इंग्लैंड के 13 वें शोरुम की ओपनिंग से दुमका सहित आसपास के इलाकों से लोग जरुरत के हिसाब से उचित मूल्य पर गारमेंटस की खरीद इस शोरुम से कर सकेंगे। कम्पनी की एरिया मैनेजर श्रुति सबरवाल ने कहा कि झारखण्ड के विभिन्न जिलों में अब तक कम्पनी के 12 एक्सक्लुसिव शोरुम खुल चुके हैं। इस वर्ष 10 अन्य शोरुम खोलने की योजना पर काम चल रहा है। दुमका 13 वें स्थान पर है। एरिया मैनेजर श्रुति सबरवाल ने कहा कि वर्तमान समय में हर कोई कपडों के पहवाने से पहचाना जा रहा है।  दुमका में इस शोरुम के खोलने का निर्णय कम्पनी ने बाजार को देखते हुए लिया है। इस शोरुम में मेन्सवियर के सर्ट, पैन्ट, टी-सर्ट, जिंस, कुर्ता, सूट, ब्लेजर, बेल्ट, टाई, सहित अण्डरगार्मेटस उपलब्ध होगंे। इस अवसर पर अमित कुमार भुवानियां, विशाल डोकानिया, अमित कुमार, प्रवीण चैधरी, जीवानन्द चादव, ललित अग्रवाल व अन्य लोग मौजूद थे। 

राष्ट्र निर्माता सम्मान समारोह का आयोजन।

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शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या  छात्र चेतना संगठन, रानीश्वर प्रखंड इकाई के तत्वावधान में  मयूराक्षी ग्रामीण डिग्री महाविद्यालय रानीश्वर में राष्ट्र निर्माता सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि छात्र चेतना संगठन के केंद्रीय प्रमुख हिमांशु मिश्रा ,विशिष्ट  अतिथि प्राचार्य डॉ अब्दुल रईस खान (काॅलेज के प्राचार्य )इंटर कालेज के प्राचार्य बी  बी साहा , प्रदेश संगठक उदयकांत पांडेय, डॉ स्वर्ण सिंह, गजेंद्र सिंह, रूपम कुमारी , रिणा कुमारी,  मोहम्मद रिजाउद्दीन, ऐन के पाल सहित भारी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएॅ व  छात्र - छात्राए उपस्तिथ थे। कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षकों के सम्मान में उपस्तिथ शिक्षकों को मोमेंटो व कलम देकर सम्मानित किया गया।  कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय प्रमुख हिमांशु मिश्रा ने कहा कि छात्र व शिक्षकों  का संबंध पिता- पुत्र की तरह होता है।  भारतीय संस्कृति में गुरु का पद ईश्वर से भी ऊंचा माना जाता है। गुरु-शिष्य के ऐसे गरीमामय  को छात्र चेतना संगठन कोटि सह प्रणाम करता है। छात्र चेतना संगठन का मुख्य उद्देश्य छात्रों को स्वयं के प्रति जिम्मेदार बनाते हुए समाज एवं राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार बनाना है और यह तभी संभव है जब हमे गुरुओ का मार्गदर्शन प्राप्त हो । श्री मिश्रा ने कहा कि वर्तमान समय मे छात्र एवं शिक्षको की गरिमा का ह्रास हुआ है जो कि शुभ संकेत नही है। अतः हम युवाओ को चाहिए कि हम अनुशासित हो, अध्यनशील हो , राष्ट्रवादी हो क्योंकि छात्र का अर्थ होता है छत्र की तरह शील वाला। वही कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ रईस खान ने कहा कि छात्र चेतना संगठन का यह कार्यक्रम एक अद्भुत एवं प्रेरणादायी कार्यक्रम है जिससे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। निश्चित ही ऐसे कार्यक्रम से छात्र एवं शिक्षको के बीच प्रगाढ़ता बढ़ेगी ।छात्र अनुसाहित होकर अध्ययन करे। शिक्षक हर हमेसा उनके साथ खड़ा मिलेगा। कार्यक्रम को प्राचार्य बी0बी0 साहा , रीणा कुमारी , गजेंद्र सिंह , स्वर्ण सिंह , ने भी संबोधित किया । कार्यक्रम का संचालन संथाल परगना प्रभारी राजीव मिश्रा ने किया एवं कार्यक्रम के सफल आयोजन में नगर संगठन प्रभारी दुमका अमित कुमार यादव, रानीश्वर इकाई के पार्थो राउत ,नगर प्रभारी रोहित पांडेय , आशीष शील , प्रियगोपाल दास , राजेश पांडेय , माला भंडारी , असीमा मंडल का महत्वपूर्ण योगदान रहा।कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत वंदेमातरम के साथ हुआ।

झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 के विरुद्ध विशाल रैली के माध्यम से 28 अलग-अलग चर्चों से संबद्ध इसाई समुदाय ने रघुवर सरकार के विरुद्ध किया विरोध प्रदर्शन। डीसी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन। 

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12 अगस्त 2017 को झारखण्ड सरकार द्वारा पारित झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 व भूमि अर्जन, पुर्नवास व विस्थापन में उचित प्रतिकार व पारदर्शिता का अधिकार (झारखण्ड संशोधन) विधेयक 2017 को निरस्त करने की मांग को लेकर दिन गुरुवार (24 अगस्त 2017) को आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका के वैनर तले इसाई समुदाय के पास्टर, बुद्धिजीवि, सामाजिक कार्यकर्ता, शुभचिन्तक, आदिवासी समाज के परम्परागत अगुवों व इसाई धर्मावलम्बियों ने मौन जुलूस निकाल कर सरकार के विरुद्ध अपना विरोध प्रकट किया। इससे पूर्व इसाई धर्मावलम्बियों ने एक विशाल रैली के माध्यम से दुमका नगर के विभिन्न मार्गों में अपनी बहुमत उपस्थिति दर्ज करायी। डीसी, दुमका के माध्यम से राज्यपाल, झारखण्ड द्रौपदी मुर्मू के नाम पर एक ज्ञापन भी प्रेषित किया। इस रैली व प्रदर्शन के संयोजक डा0 सुशील मराण्डी ने कहा कि झारखण्ड विधानसभा में पास किया गया विधेयक झारखण्ड धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2017 व भूमि अर्जन विधेयक 2017 असंवैधानिक है। यह लोकतंत्र पर आघात है। सेवानिवृत्त अधिकारी ई0 जे0 सोरेन ने कहा कि सरकार द्वारा पारित भूमि अर्जन, पुर्नवास व पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार (झारखण्ड संशोधन) विधेयक 2017 में रैयतों से बिना सहमति लिये सरकार अपने प्रयोजन के लिये जमीन ले सकती है। ग्राम सभा की सहमति लेना अनिवार्य नहीं बनाया गया है। ऐसी स्थिति मंे सरकार कानून का गलत प्रयोग कर जमीन हड़पने की साजिश रच रही है। अनुसूचित क्षेत्रो मंें रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों के लिये संवैधानिक अधिकारों में हनन होगा। इससे पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। अधिवक्ता सामुएल सोरेन ने कहा कि इस विधेयक से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक के मौलिक अधिकारों का हनन है। ऐसा कानूून संविधान की आत्मा पर प्रहार है। इसे शीघ्र निरस्त किया जाए। सभा में डा0 संजय सेबास्टियन मरांडी, शीरिल सोरेन, मार्शल टुडू, किनू हेम्ब्रम, पौलूस मुर्मू, सोनोत हांसदा, विनोद कुमार वास्की, श्यामदेव हेम्ब्रम, एहतेशाम अहमद, पिटर हेम्ब्रम, नंदलाल हेम्ब्रम, लुसु हेम्ब्रम, छवि हेम्ब्रम इत्यादि ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये। दुमका डायस के फादर विशप जूलियस मरांडी व फादर सोलोमन ने रैली मे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका ने पर्चा के माध्यम से इसाई समुदाय को जागरुक करते हुए कहा है कि विधान सभा की प्रवर समिति को सौंपने के विपक्ष के सुझाव को अमान्य करते हुए सरकार ने उपरोक्त विधेयकों को मंजूरी प्रदान की है। ऐसा प्रतीत होता है कि विधेयक को मंजूरी देने में काफी हड़वड़ाहट दिखलाई गई है। सरकार की मंशा में खोट है। सरकार की मंशा स्वार्थी तत्वों की मनोकामनाओं को पूर्ण करना है। धर्म आस्था का विषय है। आदिवासियों की एकता को तोड़ने के लिये कानून को हथियार बनाकर वैसे लोगों को सरकार निशाना बनाना चाहती है जो गलत नीतियों का विरोध करते हैं। झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 में धर्मांतरण को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखकर इसके खिलाफ कड़े प्रावधान निर्धारित किये गए हें। धोखाधड़ी, लालच, प्रलोभन व दबाव से जबरन धर्मांतरण की बात सरकार करती है किन्तु पिछले 16 वर्षों में ऐसे मामलों के विरुद्ध कितने लोगांे के विरुद्ध कार्रवाई की गई सरकार इन आँकड़ों को प्रस्तुत करने से डरती है। भादसं की धारा 295 ए के तहत जबकि सरकार को प्रयाप्त कानूनी अधिकार प्राप्त है । धर्मातरण राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा है तो फिर सरकार श्वेत पत्र क्यों नहीं जारी करती ? आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका की ओर से कहा गया कि धर्मांतरण आस्था व हृदय परिवर्तन का मसला है। एक धर्म निरपेक्ष राज्य में किसी नागरिक का धर्म क्या होगा सरकार कैसे तय कर सकती है ? आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 1951 में ईसाइयों की जनसंख्या 4. 12 प्रतिशत थी। वर्ष 1961 में बढ़कर यह 4.17 प्रतिशत हो गई। वर्ष 1971 में जनसंख्या का प्रतिशत बढ़कर 4. 35 प्रतिशत हो गई। वर्ष 1981 में घटकर इनकी जनसंख्या प्रतिशत 3. 72 हो गई। वर्ष 1991 में 3. 72 प्रतिशत, वर्ष 2001 में यह बढ़कर 4. 10 प्रतिशत व वर्ष 2011 में 4. 30 प्रतिशत। पिछले 70 वर्षों में इसाई धर्मावलम्बियों की जनसंख्या प्रतिशत 4 प्रतिशत पर ही अटकी हुई है। मिशनरियों से जुड़े बुद्धिजीवियों का कहना है संविधान के भाग-3 के अनुच्छेद 25 के अन्तर्गत लोक व्यवस्था, सदाचार व स्वास्थ्य के अधीन प्रत्येक नागरिक को अन्तःकरण की स्वतंत्रता व धर्म के आचरण व प्रचार का समान हक है। झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 वर्तमान स्थिति में असंवैधानिक व संविधान के अनुच्छेद 13 (2) के अन्तर्गत प्रदत्त मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। 

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