जेएनयू को बदनाम व बर्बाद की करने की संघी साजिश का छात्रों ने दिया मुंहतोड़ जवाब. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 10 सितंबर 2017

जेएनयू को बदनाम व बर्बाद की करने की संघी साजिश का छात्रों ने दिया मुंहतोड़ जवाब.

  • सृजन घोटाले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच करायी जाए, राजनीतिक संरक्षण को भी जांच केे दायरे में लाया जाए.
  • बाढ़ पीड़ितों के प्रति बिहार सरकार का रवैया बेहद असंवेदनशील, शराबबंदी कानून की आड़ में दलित-गरीबों का लगातार हो रहा उत्पीड़न
  • ऐतिहासिक पटना म्यूजियम को बर्बाद करने की चल रही है कोशिशें.

cpi-ml-logo
पटना 10 सितंबर, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में यूनाइटेड लेफ्ट की ऐतिहासिक जीत हुई है. भाकपा-माले जेएनयू के छात्रों को बधाई देती है. यूनाइटेड लेफ्ट की ओर से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर आइसा, महासचिव पद पर एसएफआई और संयुक्त सचिव पर डीएसएफ के उम्मीदवारों ने काफी मार्जिन से संघ गिरोह के छात्र संगठन एबीवीपी को हराया है. यह जीत जेएनयू को बदनाम व बर्बाद करने की संघी साजिश व सरकारी मुहिम के खिलाफ छात्रों का निर्णायक जनादेश है. जेएनयू ने उन्माद-उत्पात की ताकतों को पूरी तरह खारिज कर दिया है. यह जीत जेएनयू में संघ विचारधारा को थोपने के खिलाफ है. जेएनयू वीसी द्वारा हाल ही में कैंपस में टैंक लगाने की बात कही गयी थी, जिसका बाहरी प्रचार यह किया गया कि इससे छात्रों में राष्ट्रवाद की भावना पनपेगी. लेकिन दरअसल वह टैंक कैंपस में संघ विचारधारा की जीत का प्रतीक था. चुनाव परिणाम में वीसी और संघ परिवार के उस भ्रम को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है और संघ विचारधारा पर वामपंथ विचारधारा की जीत हुई है.


जेएनयू में वामपंथ की जीत ऐसे मौके पर हुई है, जब संघ व भाजपा परिवार पूरे देश में उन्माद व उत्पात फैलाने में लगी हुई है. और विरोध-प्रतिरोध की आवाज को कुचलने में लगी हुई है. निर्भिक महिला पत्रकार गौरी लंकेश की पहले बर्बरता से हत्या कर दी गयी और उसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी हत्या का जश्न भी मनाया गया. जब भाजपा से ही आने वाले केंद्रीय सूचना मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस घटना की निंदा की, तो उन ताकतों ने अपने ही नेता को भी नहीं छोड़ा. इससे जाहिर होता है कि नफरत की राजनीति करने वाली ताकतें आज पूरी तरह निरंकुश हो गयी हैं. ऐसी स्थिति में जेएनयू की जीत सभी लोकतांत्रिक व अमनपसंद जनता को राहत प्रदान करने वाली है. बिहार में बाढ़ राहत अभियान में सरकार घोर लापरवाही बरत रही है. लोग भूख और बीमारी से परेशान हैं, लेकिन सरकार कई तरह की शत्र्तों को लादकर राहत अभियान बाढ़ पीड़ितों की पहंुच से दूर कर दे रही है. बाढ़ राहत अभियान के प्रति सरकारी संवेदनहीनता के खिलाफ हमारी पार्टी ने 9 सितंबर को बाढ़ प्रभावित इलाके में चक्का जाम किया. हम तमाम बाढ़ पीड़ितों को 3 माह का राशन व 15 हजार रु. तत्काल उपलब्ध कराने की मांग करते हैं. गरीबों को काम नहीं मिल रहा है. हमारी मांग है कि गरीबों-मजदूरों को मनरेगा की 3 महीने की अग्रिम मजदूरी दी जाए. मृतक के परिजनों को 10 लाख रु. मुआवजा दिया जाए. हम बटाईदार किसानों सहित सभी किसानों के लिए 15 हजार रु. प्रति एकड़ की दर से फसल मुआवजे की भी मांग करते हैं. पशुधन क्षति का भी उपयुक्त मुआवजा और चारे की मुकम्मल व्यवस्था का ठोस इंतजाम भी किया जाए. बाढ़ का स्थायी समाधान निकाला जाए. उत्तर-पूर्व के सभी गरीबों को पक्का मकान उपलब्ध कराया जाए.

सृजन खजाना घोटाले ने राजनेता-नौकरशाह व अफसरों के गठजोड़ के उस नापाक तंत्र को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है, जिसके द्वारा जतना की गाढ़ी कमाई को व्यक्तिगत मुनाफा कमाने मंे लगाया गया. बिहार में भाजपा व नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के ही नाम पर तख्तापलट किया, लोकतंत्र का अपहरण किया, जबकि ठीक उसी वक्त नीतीश कुमार व सुशील कुमार मोदी को इस सृजन घोटाले की पूरी जानकारी थी. जिन भी नेताओं के साथ मनोरमा देवी की तस्वीरें हैं, उन्हें जांच के दायरे में लाना चाहिए, इस घोटाले के राजनीतिक संरक्षण को जांच के दायरे में लाकर ही सच्चाई सामने लाया जा सकता है. हमारी मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के प्रत्यक्ष निर्देशन में इस घोटाले की सीबीआई जांच करायी जाए. बिहार में शराबबंदी के नाम पर दलित-गरीबों पर जुल्म जारी है. जहानाबाद में मस्तान मांझी व पेंटर मांझी की सजा के बाद अब अरवल में प्रशासन ने 47 लोगों की घर निलामी का आदेश निकाल रखा है. जाहिर है इसमें सर्वाधिक संख्या दलित-गरीबों की है. हम इस अन्याय की कड़ी निंदा करते हैं और बिहार सरकार से मांग करते हैं कि शराबबंदी कानून के काले प्रावधानों को अविलंब वापस लिया जाए. हम बिहार सरकार द्वारा वर्षों पुरानी व ऐतिहासिक पटना म्यूजियम को बर्बाद करने की कोशिशों का विरोध करते हैं. पटना म्यूजिययम को समृद्ध करने की आवश्यकता है, लेकिन उसकी जगह पर सदियों पुरानी व ऐतिहासिक मूर्तियों को दूसरी जगह स्थानांतरिक किया जा रहा है, यह बेहद निंदनीय है.

कोई टिप्पणी नहीं: