एक पंथनिरपेक्ष समाज के इस्लामीकरण से आज देश की अखंडता खतरे में है.जब कोई व्यक्ति बिना किसी विचारधारा के समाज को देखता है या समझता है तो समाज की विचारधारा उन्हें जल्द ही अपनी चपेट में ले लेती है.यही आज पच्शिम बंगाल में हो रहा है.बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी ज़मात तृणमूल कांग्रेस लोकतंत्र के आड़ में जिस रास्ते पर चल रही है वह कुख्यात सुहरावर्दी को भी पीछे छोड़ दिया है. पश्चिम बंगाल लगभग तीन दशक से अधिक समय तक भारतीय स्टालिनवादीओ की कैद में रहा और राज्य की हालत बद से बदतर होती गयी.वोटो के खातिर थोक में ये वामपंथी बांग्लादेशी घुसपैठियो को वैध नागरिक बनाया. ये नृशंश वामपंथी राज्य के जनता को बंगाल की संस्कृति से दूर कर इस्लामी जेहादीओ के करीब लाता गया.आज बंगाल अघोषित इस्लामी तानाशाह के आगोश में कैद है. वामपंथियो की त्रस्त व्यवस्था से जब बंगाल के नागरिक निकलना चाहा तो २०११ में तृणमूल रूपी राजनीती में विश्वास किया किन्तु बंगालियो के दुर्दिन छूटे नही. उनकी स्थिति खजूर से टपका बबुल में अटका बन गयी.ममता बनर्जी आज कुख्यात एच एच सुहरावर्दी के खुनी कदम पर चल रही है. फलत; यदि आज बंगाल को भ्रष्ट सांप्रदायिक राज्य के रूप में लिया जाय तो गलत नही होगा.
ममता बनर्जी ने मुस्लिमो के खातिर देश की सेना को भी नही बख्शा इस्लामीकारन के अंधी दौड़ में तृणमूल की सरकार जिस रास्ते पर चल रही वह देश की एकता अखंडता और संप्रभुता के साथ साथ राज्य की सामजिक ताना वाना को लहू लुहान किये है..मौलाना नूर रहमान बरकती जैसा घोर भारत विरोधी जिसने बांग्ला देशी लेखिका तसलीमा नसरीन की हत्या करने का फतवा ज़ारी किया वैसे क्रूर जेहादी मुस्लिम के साथ ममता बनर्जी मंच पर बैठकर उसका प्रोत्साहन करती.इसके कारण आज गावो में मुस्लिम गुंडे हिन्दुओ को जीना दूभर कर रखा है क्योंकि ये गुंडे तृणमूल के घटक होते है. जिस बंगाल के सपूतों ने देश को राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत दिया आज उसे गाने का विरोध करने बाले ममता बनर्जी की प्रिय साथी है.आखिर यह किस लोकतंत्र की मर्यादा को रख रही है.आज बंगाल इस्लामी कट्टरता का मुख्य केंद्र बना है तो इसमें वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का शत प्रतिशत हाथ है,इनके प्रत्यक्ष और परोक्ष शह पर बंगाल विदेशी जिहादी मुस्लिमो का भी सबसे सुरक्षित स्थान है.राष्ट्रवाद की अलख जगानेवाला बंगाल आज इस्लामी जेहाडियो के हाथो लहुलुहान हो रही जिसका भयावह प्रगटीकर्ण बंगाल में अनेक अवसरों पर देखने को मिलता है.
वर्तमान ममता सरकार एक महिला होकर भी महिला के दर्द को नही समझी और बलात्कार जैसे घृणित अपराध को भी यह हिन्दू और मुस्लिम के चश्मे से देखती है .काम्धुनी बलात्कार मामले में इस सरकार की क्या मंशा है इसी से समझा जा सकता है की २० वर्षीय छात्रा का अपहरण और बलात्कार के मामले में ८ गिरफ्तार अपराधियो में से ६ को इसलिए छोड दिया गया क्योंकि अपराधी मुस्लिम समुदाय से था और इस घटना का प्रमुख अपराधी ममता बनर्जी के ज़मात तृणमूल से जुडा था. जिस बंगाल में फ़ुटबाल खेल पुरुष हो या महिला सबके सर पर चढ़ कर बोलती है .उसी बंगाल में यह सरकार महिला फ़ुटबाल खिलाडियो का मैच नही खेलने दिया गया क्योंकि कट्टरपंथी मुस्लिम मुल्लो ने इसका विरोध किया था.अप्रेल २०१२ में यादवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर को इसलिए गिरफ्तार कर लिया की उसने ममता बनर्जी का कार्टून बनाया था.इतना ही नहीं बलूचिस्तान और कश्मीर की गाथा पर कोलकाता क्लब में होने बाले संगोष्ठी को ममता बनर्जी ने नही होने दिया.यह सरकार कठमुल्लों के गिरफ्त में इस प्रकार है की बगैर इन जेहादियो की अनुमति लिए ना बंगाल में कोई खेल हो सकता ना कोई बौधिक सेमीनार ना राष्ट्रवाद पर चर्चा हो सकती ना कोई गैर इस्लामी सभा.आखिर बंगाल क्या शरीयत के अनुसार चलेगी.
इस्लामीकरण की प्रक्रिया को आगे बढाते हुए तृणमूल ने बंगला भाषा को कुचल ममता के राज्य में आज १२ जिलो के दूसरी आधिकारिक भाषा उर्दू कर दी गयी.बंगाल एक ऐसा राज्य है जहाँ २ लाख से अधिक इमामो और मुआज्ज़िमो को सात हजार से लेकर दस हजार रूपये का वेतन दिया जा रहा,आज यह राज्य सलाफी जिहाद की आगोश में है. दिसम्बर २०१६ धुलागढ़ का मुस्लिम दंगा शायद देश के सेकुलर भूले नही होंगे की बंगाल में किस तरह से हिन्दुओ की बहु-बेटियो और सम्पतियो को लुटा गया किन्तु देश के सेकुलरों की बोल नही फूटी.बर्धमान जिले के कटवा के दंगे जहाँ शनी मन्दिर में मुसलमानों ने प्रतिबंधित मांस का टुकडा फेका. इसी तरह २४ परगना नार्थ के हाजीनगर दंगे, बीरभूम जिले के इल्म बाज़ार दंगे, मालदा के कालियाचक दंगे, नादिया जिले के दंगे...२०१६ में ही दुर्गा प्रतिमा विसर्जन पर प्रतिबन्ध लगा दिया.आखिर बंगाल में कौन सी सरकार है.
इस वर्ष भी बंगाल का महान पर्व दुर्गा पूजा जिसके स्थापना से विसर्जन तक पर ममता बनर्जी कोर्ट के आदेश को धत्ता बताते हुए जितनी बंदिशे लगाई है शायद उतना बंदिश अल कायदा जैसे आतंकी के सूबे में में ही सम्भव होगा.कोर्ट की जितनी तल्ख़ टिप्पणी बंगाल सरकार के खिलाफ आई है यदि दुसरे राज्य के लिए आई होती तो देश के सेकुलर गिरोह भारत ही नही भारत से बाहर भी छाती कूट रहा होता .भारत जैसे महान राष्ट्र के लिए बंगाल की सरकार एक नासूर है जो लोकतंत्र की आड़ में देश की एकता और अखंडता के लिए घातक है.पिछले दिन दशक तक बंगाल जिस वामपंथी आतंक के साए में जी रहा था उससे बंगाल को छुटकारा नही बल्कि आज बंगाल इस्लामी जिहाद के ढेर पर खड़ा है.वामपंथ यदि बंगाल के लिए कोढ़ थी तो ममता सरकार उस कोढ़ में खाज ही है.
संजय कुमार आजाद
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