आलेख : स्वच्छता मिशन को मोदी की नयी धार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 24 सितंबर 2017

आलेख : स्वच्छता मिशन को मोदी की नयी धार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के शहंशाहपुर में शौचालय की नींव रख स्वच्छता अभियान की शुरुआत की। खास यह है कि जिस गांव में मोदी ने शौचालय की नींव रखी, उस पर लिखा है, ‘इज्जत घर‘। मतलब साफ है अगर घर की इज्जत को सुरक्षित रखना है तो शौचालय जरुरी है। वैसे भी साफ-सफाई के प्रति सचेत रहना केवल इसीलिए जरूरी नहीं कि इससे हमारे सार्वजनिक स्थल गंदगी से मुक्त दिखेंगे। यह इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि इससे ही पर्यावरण की रक्षा हो सकेगी और इस तरह हमें अनेक गंभीर समस्याओं से मुक्ति मिलेगी 

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गंदगी के कारण रह-रहकर सामने आने वाली बीमारियां उत्पादकता पर बुरा असर डालने के साथ ही देश की छवि को भी खराब करने का काम करती हैं। अब साफ-सफाई को जीवन शैली का हिस्सा बनाने की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि पर्यावरण की रक्षा का सवाल लगातार गंभीर होता जा रहा है। यही वजह है कि मोदी लगातार स्वच्छता को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने योगी सरकार को स्वच्छता अभियान के लिए बधाई देते हुए कहा, वास्तव में शौचालय एक तरह  का स्वभाव है। स्वच्छता हर नागरिक का अधिकार है और हर घर स्वच्छ होना चाहिए। अगर हम स्वच्छ होंगे तो बीमारियां नहीं होंगी, वरना 50 हजार रुपए सिर्फ बीमारी में खर्च होंगे। स्वच्छता मेरे लिए पूजा है, हमारे देश में गरीबों की सेवा करने के लिए स्वच्छता सबसे अच्छा रास्ता है। शहंशाहपुर गांव के लोगों ने संकल्प लिया है कि 2 अक्टूबर तक पूरा गांव खुले में शौच से मुक्त हो जाएगा। यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि होगी। प्रधानमंत्री वर्ष 2022 तक एक ऐसे नए भारत का निर्माण करना चाहते हैं जो गंदगी और कचरे से मुक्त हो। बिना जन सहयोग इस लक्ष्य की प्राप्ति संभव नहीं। विभिन्न देशों के उदाहरण भी यही कहते हैं कि साफ-सफाई का अभियान केवल शासन-प्रशासन के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। 

स्वच्छता हर एक के लिए पूजा है। इस काम को करके वह प्रसन्न तो है ही शौचालय को ‘इज्जत घर‘ का नाम देने के लिए यूपी सरकार बधाई की पात्र है। क्योंकि यह शौचालय घर की बहू-बेटियों की इज्जत है और हम सभी को अपने घरों में इस इज्जत घर का निर्माण कराना चाहिए। मुझे बहुत अच्छा लगा। जिसे भी अपनी इज्जत की चिंता है, वह जरूर इज्जतघर बनाएगा। सभी संकल्प लें एक-एक, बेहतर करने का। हमारा संकल्प है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करेंगे। हमें मिट्टी जांच के लिए आगे बढ़ना होगा। हमें स्वच्छता की ओर बढ़ना होगा क्योंकि आरोग्य की पहली शर्त यही है। स्वच्छता मेरे लिए पूजा है। मेरा सौभाग्य कि नवरात्र में मुझे शौचालय की नीव रखने का मौका मिला। शौचालय का नाम इज्जत घर रखने के लिए प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को सराहा। स्वच्छता के अभाव में ही गंदगी बढ़ती है और बीमारियां अपनी चपेट में ले लेती हैं। आरोग्य के लिए स्वच्छता जरूरी है। शहंशाहपुर गांव में 2 अक्टूबर के बाद खुले में शौच करने नहीं जाएगा। स्वच्छता हर भारतवासी की जिम्मेदारी है। सफाई के लिए जितना काम होना चाहिए उतना नहीं हुआ है। गंदगी हम करते हैं और सफाई कोई ओर, स्वच्छता सबकी जिम्मेदारी है। हर आदमी और परिवार का जिम्मा है। हमने मुश्किल काम का बीड़ा उठाया, मैं मुश्किल काम नहीं करूंगा तो कौन करेंगा। 2022 तक हर गरीब को घर देना है। हमें करोड़ों घर बनाने हैं, जिससे रोजगार आएगा। यूरोप के एक देश जितने घर हमें बनाने हैं। पिछली सरकारों ने घर को लेकर कोई काम नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2022 आजादी का 75 वां साल होगा। 2022 तक सभी को आवास का संकल्प पूरा करेंगे, पिछली सरकार को लोगों के घरों में रूचि नहीं थी। मुश्किल से 10,000 लोगों की सूची दे पाए। 

यह गर्व की बात है कि स्वच्छता अभियान को और गति देने के लिए खुद प्रधानमंत्री के स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं उससे यदि कुछ स्पष्ट होता है तो यही कि वह इस अभियान को एक जन आंदोलन का रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वह देश को साफ-स्वच्छ बनाने के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए आए दिन कुछ न कुछ करते या कहते दिखते हैं। वह इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए न केवल आम लोगों को प्रेरित कर रहे हैं, बल्कि अपने सहयोगी नेताओं को भी। इसी सिलसिले में हाल में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की ओर से विभिन्न प्रतियोगिताओं का जो आयोजन किया गया उनके विजेताओं को गांधी जंयती के दिन सम्मानित करने की तैयारी हो रही है। चूंकि तीन वर्ष पहले दो अक्टूबर के दिन ही स्वच्छता अभियान की शुरुआत की गई थी इसलिए इसका भी आकलन किया जाना चाहिए कि आखिर इन तीन सालों में यह अभियान कितना आगे बढ़ा? तीन साल का लेखा-जोखा कैसी भी तस्वीर सामने लाए, राजनीतिक नेतृत्व और साथ ही आम जनता को यह समझना होगा कि देश को साफ-सुथरा बनाने का लक्ष्य न तो कोई राजनीतिक कार्यक्रम है और न ही किसी दल विशेष का अभियान। 

देश को साफ-सुथरा बनाना हर किसी का उद्देश्य होना चाहिए और इस उद्देश्य की पूर्ति तभी होगी जब आम लोग अपने आसपास साफ-सफाई के लिए सजग एवं सक्रिय होंगे। निःसंदेह सरकार की तमाम कोशिशों के चलते आम जनता के स्तर पर एक हद तक साफ-सफाई के प्रति सजगता का भाव तो नजर आने लगा है, लेकिन अभी वैसी सक्रियता का परिचय नहीं दिया जा रहा है जो अपेक्षित ही नहीं, बल्कि आवश्यक भीयह अच्छा हुआ कि सर्दियां करीब आते ही केंद्र सरकार ने उन राज्यों को सचेत किया जहां के किसान फसलों के अवशेष यानी पराली जलाते हैं, लेकिन वायु प्रदूषण की रोकथाम केवल पराली जलाने पर रोक लगाकर ही नहीं की जा सकती। पराली से खाद या फिर धुआं रहित जलाऊ ईंधन बनाने के साथ-साथ अन्य अनेक उपाय भी करने होंगे। ये उपाय सफल तब होंगे जब जनता उनकी उपयोगिता समङोगी। जिस तरह वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले सभी कारणों का निवारण करने की जरूरत है वैसी ही जरूरत जल प्रदूषण की रोकथाम के मामले में भी है। जलस्रोतों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है। मोदी का संकल्प है 2022 तक हर बेघर को घर देने का। जो सराहनीय है। जहां तक पशु आरोग्य मेले का सवाल है तो इस तरह का आयोजन पूरे उत्तर प्रदेश में होना चाहिए। मोदी का वादा है आजादी की 75वीं वर्षगांठ यानी 2022 तक देश के हर शहरी और ग्रामीण गरीब को घर मुहैया कराने का। माना ये काम कठिन है लेकिन यह भी सच है कि इस कठिन काम मोदी के सिवाय दुसरा कोई कर भी नहीं सकता। गुजरात के विकास में दुग्ध उत्पादन की बड़ी भूमिका रही है। अब यूपी के कानपुर और लखनऊ से भी गुजरात की बनारस डेयरी में दूध बेचा जाना शुरू हो जाएगा। किसानों के लिए गुजरात सरकार और बनारस डेयरी की मदद से यूपी सरकार की ओर से चलाए गए अभियान से काफी फायदा होने वाला है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया है। अच्छज्ञ है कि सरकार ने कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेड़ी है और आम जनता की इस अभियान से जुड़कर इसे मजबूत बना रही है। 






(सुरेश गांधी)

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