- लेखक, संस्कृतिकर्मी, सामजिक कार्यकर्ता, शिक्षक और आम नागरिक हुए प्रतिवाद में शामिल.
पटना 6 सितंबर, कन्नड़ की जाने मानी निर्भिक महिला पत्रकार गौरी लंकेश की फासिस्ट गिराहों द्वारा की गयी बर्बर हत्या के खिलाफ आज पटना में भी नागरिकों की प्रतिवाद सभा हुई. भगत सिंह चैक पर पटना शहर के जाने माने पत्रकार, लेखक, संस्कृतिकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, विभिन्न वामपंथी पार्टियों के नेता व आम नागरिक शामिल हुए. हाथों में तख्तियां लिए हुए हम सब गौरी हैं के बैनर से नागरिकों द्वारा यह प्रतिवाद किया गया. नागरिक प्रतिवाद सभा में मुख्य रूप से द हिन्दू के पत्रकार अमरनाथ तिवारी, टाइम्स आफ इंडिया के अभय सिंह, रीना सोपम, मंजीत, एजाज अहमद, पुष्पराज; भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव काॅ. राजाराम सिंह, शिक्षकों में प्रो. शंकर आशीष दत्त, प्रो. भारती एस कुमार, प्रो. नवल किशोर चैधरी, प्रो. अरूण कमल, प्रो. सतीश कुमार; जाने माने कवि आलोक धन्वा, अवधेश प्रीत, जावेद अख्तर, मोना झा, अरूण शाद्वल, सामजिक कार्यकर्ता रूपेश, महेन्द्र सुमन, संतोष यादव, भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, केडी यादव, एसयूसीआईसी की साधना, जितेन्द्र, रंगकर्मी रंधीर, अनीश अंकुर, महेन्द्र यादव, पत्रकार अमित, कवियत्री रीचा, प्रभात झा आदि शामिल थे. नागरिक प्रतिवाद सभा की अध्यक्षता प्रो. शंकर आशीष दत्त ने की और इसका संचालन इंकलाबी नौजवान सभा के राज्य सचिव नवीन कुमार ने की.
सभा की शुरूआत करते हुए प्रो. भारती एस कुमार ने कहा कि देश में अघोषित आपातकाल की स्थिति है. और जो लोग भी संघ गिरोह के खिलाफ हैं, उनकी हत्या कर दी जा रही है. इसके खिलाफ हम सबको एक साथ सड़क पर उतरना होगा. अवधेश प्रीत ने कहा कि यह बेहद दुखद है. लोकतंत्र में असहमति के स्वर को कुचलना संविधान के खिलाफ है. गौरी लंकेश हम सबों की प्रतिनिधि स्वर रही हैं और हम सब मिलकर इस लड़ाई को आगे बढ़ायेंगे. अरूण कमल ने कहा कि 4 साल से ज्यादा लंबे समय से यह सिलसिला चल रहा है. पहले कलबुर्गी, पानसरे, दाभोलकर की अगली कड़ी में गौरी गणेश की हत्या कर दी गयी. लेकिन इससे हम डरने वाले नहीं है. आज एक तरफ पत्रकारों की ऐसी जमात है, जो खुलकर सत्य का पक्ष ले रहे हैं, तो बड़ी जमात झूठ की भी खेती कर रही है. कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, फिर भी बुद्धिजीवियों की हत्या हो रही है, तब यह सवाल उठता है कि कहीं सब में मिलीभगत तो नहीं है. आलोक धन्वा ने कहा कि आज का दिन तकलीफ का दिन है. हमारी सरकारें संविधान की रक्षा में पूरी तरह असमर्थ हैं. न केवल असमर्थ हैं, बल्कि गुंडों को बढ़ावा दिया जा रहा है. प्रो. एन के चैधरी ने कहा कि अभी तक हत्यारे पकड़े नहीं गये हैं. ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए. नागरिक प्रतिवाद को डीएम दिवाकर ने भी संबोधित किया.
पत्रकार पुष्पराज ने कहा कि आज हर एक पत्रकार गौरी लंकेश की तरह है. हम सबको उन्हीं की तरह बहादुरी के साथ आना होगा. आज पूरे देश में और बिहार में भी खबरों को दबाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन हम पत्रकार इसे होने नहीं देंगे. भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने प्रतिवाद सभा में कहा कि कल शाम में एक सांप्रदायिकता विरोधी कन्वेंशन से गौरी लंकेश लौट रही थी, लौटने ेके उपरांत जिस प्रकार से संघी गुंडों ने इसके पहले कलबुर्गी, दाभोलकर व पानसरे की हत्या की थी, ठीक उसी तर्ज पर गौरी लंकेश की भी हत्या की गयी. आज संघी गिरोह पूरे देश में उन्माद-उत्पात मचाने में लगी हुई है. बिहार में भी उसका गंदा खेल लगातार चल रहा है. आज हम सबको मिलकर इसके खिलाफ संघर्ष करना होगा. इस मौके पर विभिन्न संगठनों केे सदस्यों की बड़ी संख्या प्रतिवाद सभा में शामिल थी.
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