संग्रहालय बंद होने से राहुल सांकृत्यायन की कृतियों की सुरक्षा खतरे में : जया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 12 सितंबर 2017

संग्रहालय बंद होने से राहुल सांकृत्यायन की कृतियों की सुरक्षा खतरे में : जया

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पटना 12 सितंबर, महान साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन की पुत्री जया सांकृत्यायन पड़हाक ने पटना संग्रहालय को बंद किये जाने की कार्रवाई पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ध्यान आकृष्ट करते हुये आज कहा कि ऐसा होने से उनके अथक प्रयास से संग्रहित की गई बौद्ध धर्म की प्राचीन पांडुलिपियों एवं उनकी साहित्यिक कृतियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। सुश्री जया ने मुख्यमंत्री श्री कुमार को लिखे पत्र में कहा कि खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि पटना संग्रहालय को इस वर्ष 09 सितंबर से बंद किये जाने और इस अंतराल में उसकी बहुमूल्य ऐतिहासिक धरोहरों को स्थानांतरित किया जाना केवल आश्चर्यजनक ही नहीं बल्कि घोर निंदा और विरोध के लायक है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से श्री सांकृत्यायन की कृतियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1928 में जब पटना संग्रहालय का भवन बनकर तैयार हुआ तो श्री सांकृत्यायन देश से विलुप्त हो चुके संस्कृत एवं बौद्ध दर्शन से संबंधित बहुमूल्य ग्रंथों एवं पांडुलिपियों की खोज में निकल पड़े थे। तिब्बत की उनकी चार साहसिक यात्राएं अपने आप में इतिहास है। वह अपने अथक प्रयास के बाद वहां के मठों में शताब्दियों से रखी पांडुलिपियों और थंका चित्रों को भारत लाने में सफल हुये थे। इसे तिब्बत के बाहर सबसे महत्वपूर्ण संग्रह समझा गया था। उन्होंने कहा कि यदि श्री सांकृत्यायन चाहते तो इन दस्तावेजों को किसी भी विदेशी संस्था या संग्रहालय को सुपुर्द कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और यह धरोहर पटना संग्रहालय में रखने का फैसला किया। सुश्री जया ने कहा कि श्री सांकृत्यायन के ऐसा नहीं करने के पीछे एकमात्र उद्देश्य यह था कि यह धरोहर एक ही छत के नीचे बिहार के अन्य धरोहरों के साथ रहे ताकि शोधार्थियों को अपने इतिहास से जुड़े अछूते पहलुओं को समझने के लिए किसी विदेशी संस्था या विश्वविद्यालय का दरवाजा न खटखटाना पड़े। इस संग्रह में थंका चित्र, पांडुलिपि और ताड़पत्रों के अलावा पोशाक, धार्मिक क्रियाओं से जुड़ी वस्तुएं, मूर्तियां, अभूषण तथा सिक्के हैं। उन्होंने श्री कुमार से आग्रह करते हुये कहा, “श्री सांकृत्यायन की पुत्री होने के नाते मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप इस निश्चय पर पुन: विचार करें और बिहारवासियों की इस धरोहर को तितर-बितर होने से बचायें।” 

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