14 प्रतिशत आबादी 80 प्रतिशत से नहीं लड़ सकती : कांग्रेस - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 21 अक्तूबर 2017

14 प्रतिशत आबादी 80 प्रतिशत से नहीं लड़ सकती : कांग्रेस

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पटना 21 अक्टूबर, कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ धर्म और संप्रदाय के नाम पर लोगों को बांटने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि देश के 14 प्रतिशत मुसलमान बहुसंख्यक 80 प्रतिशत आबादी से नहीं लड़ सकते है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद ने यहां बिहार केसरी श्रीकृष्ण सिंह की 130 वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि देश में मुसलमानाें की अाबादी महज 14 प्रतिशत है जबकि हिंदुओं की 80 प्रतिशत है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि 14 प्रतिशत आबादी देश की बहुसंख्यक आबादी से कैसे लड़ सकती है। लेकिन, भाजपा एवं उसके सहयोगी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) ओछी राजनीति के लिए दुष्प्रचार कर लोगों को डरा रहे हैं, जिससे सामाजिक समरसता समाप्त हो रही है। श्री अहमद ने कहा कि देश की बहुसंख्यक आबादी को कोई आंख दिखाने की हिम्मत नहीं कर सकता। लेकिन, जातिवाद की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि प्रत्येक जाति वालों को लगता है कि वह कमजोर है। उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक आबादी के इसी विभाजन को आधार बनाकर भाजपा एवं उसकी सरकारें समाज को बांट रही हैं। उन्होंने भाजपा को ‘बस्ती जलाकर मातम करने वाला’ बताया और कहा कि विभाजन की लकीर खींचकर ये अपनी सियासत चमका रहे हैं और जब इससे उत्पन्न मुश्किलों से जनता घिर जाती है तो वे मातम करने भी पहुंच जाते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि आज देश में राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया है। उन्होंने बिहार में बनी नई सरकार का उल्लेख करते हुये कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ मिले जनादेश का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोर अपमान किया है। संघमुक्त भारत बनाने का दावा करने वाले श्री कुमार अंतत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गोद में ही जाकर बैठ गये। हालांकि उन्हें याद रखना चाहिए कि बिहार वही राज्य है जिसने श्री लालकृष्ण आडवाणी के रथ को रोक दिया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने भेदभाव रहित समाज की परिकल्पना की थी। इसके लिए उन्होंने राजनीति में युवाओं को काफी प्रोत्साहन दिया था। लेकिन, राज्य की मौजूदा सरकार आज वैसी पार्टियों और लोगों के भरोसे चल रही है, जिन्होंने समाज को बांटने और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के अलावा कुछ भी नहीं किया। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने संप्रदायवाद की जहर को रोकने के लिए बिहारवासियों से संकल्प लेने का आह्वान करते हुये कहा, “यह एक पवित्र मंच है। मैं यहां से सांप्रदायिकता के आधार पर समाज को बांटने में संलिप्त वैसे लोगों या पार्टियों का नाम नहीं लेना चाहती क्योंकि ऐसा करने से उन्हें इज्जत मिल जाएगी। यदि संप्रदायवाद को रोकने के लिए मुझे प्राण भी देने पड़े तो, हंसते-हंसते दे दूंगी।” विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रहीं श्रीमती कुमार ने कहा कि चुनाव के दौरान बिहार आने पर उन्हें दलित कहकर लोगों से मिलवाया गया, जो दुखद था। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि 21 वीं शताब्दी के बिहार में जात-पात अभी भी हावी है। इसे जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए संकल्प लेने की जरूरत है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश सिंह ने नीतीश सरकार पर राज्य के विकास की गति को बाधित करने का आरोप लगाते हुये कहा कि बिहार केसरी (श्रीकृष्ण सिंह) के कार्यकाल में देश के कुल चीनी उत्पादन में बिहार का योगदान 27 प्रतिशत था जो अब घटकर महज दो प्रतिशत रह गया है। उन्होंने कहा कि जहां श्रीबाबू ने राज्य में औद्योगिकीरण के जबरदस्त प्रयास किये वहीं नीतीश सरकार स्थापित उद्योगों को नष्ट करने में लगी हुई है। श्री सिंह ने कांग्रेस की ओर से आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय जनता दल(राजद)अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को मुख्य अतिथि बनाये जाने को लेकर उठ रहे सवाल पर कहा कि यदि श्री यादव को नहीं बुलाते तो क्या इस कार्यक्रम में आरएसएस को बुलाया जाता। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राज्य में कोई हैसियत नहीं रह गई है।

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